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ईरान के फ़ुटबॉल खिलाड़ियों ने राष्ट्रगान न गाकर क्या बड़ी दुश्मनी मोल ले ली है?
22-Nov-2022 1:08 PM
ईरान के फ़ुटबॉल खिलाड़ियों ने राष्ट्रगान न गाकर क्या बड़ी दुश्मनी मोल ले ली है?

क़तर में खेले जा रहे फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप में ईरान की टीम ने सोमवार को इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अपने पहले मुक़ाबले में राष्ट्रगान गाने से इनकार कर दिया.

दोहा के ख़लीफ़ा अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में राष्ट्रगान के दौरान स्टेडियम में मौजूद कुछ प्रशंसक चिल्ला रहे थे और हंसी-मज़ाक कर रहे थे तो कुछ एक लय में 'वुमन, लाइफ़, फ्रीडम' गा रहे थे.

ईरान के सरकारी टेलीविज़न ने राष्ट्रगान का कवरेज़ नहीं दिखाया और इस दौरान पूर्व में फ़िल्माए गए स्टेडियम के दृश्य दिखाए जाते रहे.

ईरान में पिछले कुछ महीनों में हिजाब के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं, वहीं सरकार ने इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए सख़्ती दिखाई है.

दो महीने पहले ईरान के सख़्त ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के आरोप में 22 साल की महसा आमिनी नाम की लड़की को गिरफ़्तार किया था, जिसके बाद हिरासत में उनकी मौत हो गई थी.

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का दावा है कि ईरान में हुए विरोध प्रदर्शनों में सुरक्षाबलों के साथ हिंसक झड़पों में 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और 16 हज़ार 800 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

ईरान के नेताओं का कहना है कि ये 'दंगे' देश के दुश्मनों की साजिश हैं.

मुक़ाबले के पहले हाफ़ में कुछ दर्शकों को 'अली करीमी' के नारे लगाते भी सुना गया.

अली करीमी ईरान के मशहूर फ़ुटबॉल खिलाड़ी रहे हैं और उन्हें एशिया का माराडोना तक कहा जाता है.

करीमी इस्लामिक गणतंत्र के मुखर आलोचक रहे हैं.

अली करीमी को 2010 में मुसलमानों के पवित्र महीने रमज़ान में रोज़ा न रखने के कारण उनके क्लब स्टील अज़ीन ने निकाल दिया गया था. रोज़ा के दौरान अभ्यास करते समय उन्हें पानी पीते हुए देखा गया था.

कुछ प्रदर्शनकारियों को 'बेशरफ़' यानी बेशर्म के नारे लगाते भी सुना गया. ये वो नारा है, जो ईरान में प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ लगाते हैं.

इस्लामिक गणतंत्र के विरोध में खड़े कई लोगों ने प्रदर्शन का खुलकर समर्थन नहीं करने और पिछले हफ्ते राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के साथ उनकी मुलाक़ात को लेकर फ़ुटबॉल टीम की आलोचना की थी.

ख़ामनेई मुर्दाबाद के नारे

सोशल मीडिया पर आए कुछ वीडियो में स्टेडियम के सामने कुछ दर्शकों को 'ख़ामनेई मुर्दाबाद' के नारे लगाते भी देखा जा सकता है.

कुछ दूसरे वीडियो में ईरानी दर्शक फ़ारसी और अंग्रेज़ी भाषा में 'वुमन, लाइफ़, फ्रीडम', 'ईरान के लिए आज़ादी' और 'तानाशाह मुर्दाबाद' के नारे लगाते भी दिख रहे हैं.

इसके अलावा कुछ दर्शक उन लोगों की तस्वीरें भी लिए हुए दिखे, जो हाल के प्रदर्शनों में मारे गए हैं.

कुछ दर्शकों को पुलिस ने रोका

इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अपनी टीम का मुक़ाबला देखने की हसरत लिए स्टेडियम पहुँचे कुछ ईरानी समर्थकों को कहना था कि सुरक्षाबलों ने उन्हें स्टेडियम में जाने से रोक दिया.

एक महिला ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बीबीसी को बताया " स्टेडियम के सुरक्षाकर्मियों ने जो कुछ भी मेरे पास था उसे फेंक दिया. इसमें ईरान का झंडा भी शामिल था. पूछने पर सुरक्षाकर्मी ने ग़ुस्से में कहा कि यह नियम है."

इसके बावजूद ये महिला स्टेडियम में 'प्रदर्शन' में शामिल हुई और मुक़ाबले के दौरान दूसरे दर्शकों के साथ 'वुमन, लाइफ़ फ्रीडम' के नारे लगाती रही.

ईरान के कप्तान ने क्या कहा?

इंग्लैंड के ख़िलाफ़ मुक़ाबले से पहले ईरान के कप्तान एहसान हजसफ़ी ने कहा था कि खिलाड़ी उन लोगों के समर्थन में खड़े हैं, जिन्होंने प्रदर्शनों के दौरान अपनी जान गंवाई है.

32 साल के हजसफ़ी ने कहा, "हमें ये मानना होगा कि हमारे देश में हालात अच्छे नहीं हैं और हमारे लोग ख़ुश नहीं हैं."

उन्होंने कहा, "सबसे पहले, मैं ईरान में उन परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करना चाहता हूँ जिन्होंने प्रदर्शनों में अपनों को खोया है. उन्हें ये जानना चाहिए कि हम उनके साथ हैं. हम उनका समर्थन करते हैं और हमें उनसे हमदर्दी है."

एईके एथेंस क्लब से खेलने वाले हजसफ़ी ने कहा, "हम हालात से मुँह नहीं मोड़ सकते. मेरे वतन में हालात अच्छे नहीं हैं और खिलाड़ियों को ये अच्छे से पता है. हम यहाँ हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम उनकी आवाज़ नहीं बन सकते या हम उनका सम्मान नहीं कर सकते."

उन्होंने कहा, "जो कुछ हमारे पास है वो सब उनकी बदौलत है. हमें लड़ना होगा, हमें अच्छा खेल दिखाना होगा ताकि हम गोल कर सकें और अच्छे नतीजे को अपने बहादुर ईरानी नागरिकों को तोहफ़े के रूप में दे सकें."

ईरानी टीम के मैनेजर कार्लोस क़्यूइरोज़ ने कहा कि उनके खिलाड़ी देश में महिला अधिकारों को लेकर प्रदर्शन करने के लिए तब तक आज़ाद हैं, जब तक कि ये वर्ल्ड कप के नियमों और खेल भावना के विपरीत न हों.

'ये फ़ुटबॉल मुक़ाबले से कुछ अधिक था'

दोहा से बीबीसी संवाददाता शाइमा खलील का कहना है कि भले ही ईरानी खिलाड़ियों का ये बर्ताव सांकेतिक भर था, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती.

दर्शक दीर्घा से जब नारों की आवाज़ आ रही थी, तभी मैंने एक दर्शक से बात की, उनकी आँखों में आँसू थे और गले से शब्द रुक-रुक कर आ रहे थे. उन्होंने टूटती आवाज़ में कहा, "मेरे लोगों के लिए... वे मेरे लोगों को मार रहे हैं."

ईरानी दर्शक जब भी मौक़ा मिलते खूब ज़ोर-शोर से अपनी टीम की हौसलाअफ़जाई में जुट जाते. ड्रम की धुनों पर अक्सर उन्हें 'ईरान-ईरान' गाते सुना जा सकता था. कई के चेहरे पर ईरान का झंडा बना था तो कई ने अपने देश का नक्शा चेहरे पर पेंट कराया था.

कई महिला दर्शकों ने सिर को ईरानी झंडों से ढँका था और जब भी उनकी टीम विरोधी खेमे के गोलपोस्ट के नज़दीक पहुँचती, वे चिल्लाने लगती. बेशक फ़ुटबॉल मुक़ाबले का ये शानदार नज़ारा था, लेकिन शायद इससे कहीं कुछ अधिक.

जब मैं स्टेडियम में दर्शकों के बीच पहुँच रही थी, तो एक और ईरानी प्रशंसक मेरे कान में फुसफुसाया, "कृपया हमारी कहानी बताएँ. तस्वीर मत खींचना प्लीज़. मैं एक दिन अपने वतन वापस जाना चाहता हूँ और नहीं चाहता कि कोई मुश्किल खड़ी हो."

क्या हैं आशंकाएँ?

ईरान में फ़ुटबॉल बेहद लोकप्रिय है और इसके इसके इर्द-गिर्द सियासत भी जमकर होती है.

फ़ुटबॉल खिलाड़ी ख़ुद को 'असहज' स्थिति में पा रहे थे. एक तरफ़ प्रदर्शनकारी उनसे गुज़ारिश कर रहे थे कि वे अपनी लोकप्रियता और क़तर में फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप जैसे लोकप्रिय मंच का इस्तेमाल उनकी आवाज़ को दुनिया तक पहुँचाने के लिए करें, वहीं सरकार का दबाव था कि वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस्लामिक गणतंत्र का प्रतिनिधित्व करें.

लेकिन इसमें शक नहीं कि ईरान में शासन के ख़िलाफ़ बोलना बेहद ख़तरनाक हो सकता है और इसकी वजह से न केवल विरोध करने वाला शख्स बल्कि उसका परिवार भी सलाखों के पीछे जा सकता है.

ईरान के एक फ़ुटबॉल खिलाड़ी सरदार अज़मॉन ने महिलाओं के समर्थन में इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर किया था, बाद में उन्होंने दावा किया कि उन्हें और उनके एक साथी खिलाड़ी को ईरान फ़ुटबॉल फेडरेशन ने जनता के समर्थन में खड़ा होने से रोक दिया.

ईरान फ़ुटबॉल फ़ेडरेशन के सरकार और बेहद ताक़तवर रिवॉल्यूशनरी गार्ड से करीबी रिश्ते बताए जाते हैं.

अज़मॉन को जल्द ही माफ़ी मांगने के लिए मज़बूर होना पड़ा और एक वक़्त तो ये लगने लगा था कि अज़मॉन को राष्ट्रीय टीम से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है, लेकिन कोच कार्लोस ने उन्हें क़तर साथ ले जाने पर ज़ोर डाला.

अब आगे क्या?

मैदान पर राष्ट्र गान पर ख़ामोश रहकर ईरान के खिलाड़ियों ने देश-विदेश में चर्चा तो खूब बटोरी है, लेकिन इंग्लैंड के हाथों 6-2 की करारी शिकस्त के बाद टीम और इसके कोच पर अगले मुक़ाबलों के लिए भारी दबाव होगा.

ग्रुप स्टेज में अभी ईरान के दो और मुक़ाबले हैं और दो बार और ईरान का राष्ट्र गान बजेगा. ईरान का हर खिलाड़ी जानता है कि अगर वो राष्ट्र गान पर ख़ामोश रहता है तो उसे इसकी क्या क़ीमत चुकानी पड़ सकती है.

याद है ना... इंग्लैंड के कप्तान हैरी केन ने कहा था कि एलजीबीटी समुदाय के साथ एकजुटता दिखाने के लिए वह 'वन लव' आर्मबैंड पहनेंगे.

लेकिन फ़ुटबॉल की विश्व संस्था फ़ीफ़ा की धमकी के बाद इंग्लैंड के कप्तान हैरी केन ने कहा कि वह 'वन लव' आर्म बैंड नहीं पहनेंगे. हैरी केन ही नहीं, बल्कि वेल्स, नीदरलैंड्स, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, जर्मनी और डेनमार्क के कप्तानों को भी फ़ीफ़ा के दबाव के आगे झुकना पड़ा है.

कैसे हैं ईरान-क़तर के रिश्ते?

क़तर और ईरान के रिश्ते बेहद क़रीबी रहे हैं.

क़तर के साथ ज़मीनी सीमा साझा करने वाले इकलौते देश सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने साल 2017 में जब क़तर की आर्थिक नाकेबंदी की थी, तब उनकी 13 मांगों में से एक मांग ये भी थी की क़तर ईरान के साथ अपने सभी कूटनीतिक संबंध तोड़ दे और ईरान स्थित अपना दूतावास भी बंद कर दे

लेकिन क़तर ने इस मांग को ठुकरा दिया और ईरान ने बदले में दोस्ती निभाते हुए विमानों से दोहा तक खाद्य सामग्री पहुँचाई.

सऊदी अरब और ईरान के बीच दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है. शायद यही वजह है कि क़तर और ईरान की क़रीबी सऊदी अरब को फूटी आँख नहीं सुहाती.

साल 2021 में सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों ने क़तर के साथ अपने राजनयिक रिश्ते बहाल कर दिए थे. (bbc.com/hindi)

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