अंतरराष्ट्रीय
ऑस्ट्रेलिया, 22 नवंबर । ऑस्ट्रेलिया की पुलिस तीस सालों तक महिलाओं को डराने वाले 'सीरियल रेपिस्ट' की पहचान करने में सफल हो गयी है.
पुलिस का दावा है कि कीथ सिम्स नामक इस शख़्स ने अब से लगभग चालीस साल पहले पहली बार किसी महिला को अपना शिकार बनाया. इस शख़्स ने 1985 से 2001 के बीच घर में घुसकर या चहलकदमी करते हुए 31 महिलाओं को अपना शिकार बनाया था.
अब तक जांचकर्ता ये मानकर चल रहे थे कि इन बलात्कारों को अलग-अलग शख़्सों ने अंजाम दिया था.
लेकिन डीएनए तकनीक की मदद से जांचकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इन सभी अपराधों के लिए कीथ सिम्स ज़िम्मेदार है. सिम्स की इस साल फरवरी में 66 वर्ष की उम्र में मृत्यु चुकी है.
ट्रेकसूट रेपिस्ट से लेकर बॉंदी बीस्ट जैसे तमाम नामों से कुख़्यात रहे सिम्स ने पहली बार 1985 में समुद्रतटीय उपनगर क्लोवली में एक महिला को अपना शिकार बनाया था. इसके बाद 2001 में उन्होंने एक कब्रिस्तान में आख़िरी बार किसी महिला को अपना शिकार बनाया था.
इन मामलों की अलग-अलग ढंग से जांच की गयी थी लेकिन पुलिस ने 2000 के दशक में इन्हें जोड़ना शुरू किया. बारह पीड़िताओं से मिला डीएनए एक समान था और शेष 19 मामलों में हमलावर का तरीका एक जैसा था.
लगभग 14 से 55 उम्र वर्ग वाली पीड़िताओं ने अपने ऊपर हमला करने वाले शख़्स के चेहरे-मोहरे के बारे में जो जानकारी दी थी, वह एक दूसरे से काफ़ी मिलती जुलती थी.
इस शख़्स की लंबाई 160 से 180 सेंटीमीटर के बीच थी. त्वचा का रंग काला, आंखों का रंग भूरा और चौड़ी नाक थी.
ये शख़्स अपना चेहरा ढककर रखता था और आरामदायक कपड़े जैसे ट्रैक सूट, हुडी और फुटबॉल शॉर्ट्स पहनना था.
ये शख़्स अपनी पीड़िताओं को चाकू से धमकाता था या उन्हें ये यकीन दिलाने की कोशिश करता था कि उसके पास चाकू है.
जांचकर्ताओं को साल 2019 में एक बड़ी कामयाबी मिली जब उन्हें पुलिस डेटाबेस में एक ऐसा डीएनए सैंपल मिला जिसकी मदद से जांच का दायरा 324 लोगों से घटकर काफ़ी कम रह गया.
बीती सितंबर में सिम्स से मिले एक सैंपल का मिलान उन सैंपलों से हो गया जो पीड़िताओं से हासिल किए गए थे.
हालांकि, स्थानीय ख़बरों में सिम्स को एक अच्छे पिता, बाबा और समुदाय के सदस्य के रूप में बयां किया गया था. (bbc.com/hindi)