विचार / लेख
-आशुतोष भारद्वाज
रायपुर में एक रिहायशी कॉलोनी है हिमालयन हाइट्स। जगदलपुर हाइवे पर बनी बहुमंजिला इमारतों की इस कॉलोनी में करीब बारह सौ घर हैं । बीस नवंबर की शाम इस कॉलोनी में रहती वरिष्ठ पत्रकार सुश्री ममता लांजेवार के घर में बजरंग दल के आठ-दस लोग घुस आये, बीसेक करीब नीचे नारे लगा रहे थे। ममता उस वक्त घर में अकेली थीं।
कुछ लोग इस कॉलोनी के पार्क में एक मंदिर बना कर रहे हैं। कॉलोनी के कई निवासी बच्चों के खेलने की जगह पर मंदिर बनाये जाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन एकाध को छोड़ किसी में इतना साहस नहीं कि गुंडई का विरोध कर सकें। जब ममता लांजेवार ने आपत्ति जतायी, बजरंगी लोगों ने ममता के घर आ उन्हें घेर लिया। जब बात बढ़ने लगी, ममता ने फोन का वीडियो चालू किया कि शायद कैमरे को देख वे लौट जायें, लेकिन गुंडे उन्हें धमकाते रहे।
अगले दिन हुई एफआईआर में साफ लिखा था कि गुंडे ममता लांजेवार के घर में जबरदस्ती घुस आये और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। लेकिन एफआईआर में सिर्फ़ दो धाराएँ लगीं—452 और 506। आप भारतीय दण्ड संहिता खोल कर इन दोनों धाराओं को पढ़ सकते हैं कि ये कितनी मामूली हैं। आठ गुंडे किसी अकेली लड़की के घर अँधेरा होने पर घुस जाते हैं, उनके बीसेक साथी नीचे खड़े हैं। इसकी गंभीरता को बगैर लिखे भी समझा जा सकता है।
खैर, कुछेक लोगों की गिरफ़्तारी होती है। एक अभियुक्त पुलिस की वैन में अदालत जाते वक्त मजे से फ़ोन में अपना वीडियो बनाता है, जय श्री राम कहते हुए उसे वायरल कर देता है। कुछ ही घंटों में सबको जमानत मिल जाती है। उनका मालाओं से स्वागत किया जाता है, बजरंगी फेसबुक पर उनकी रिहाई का उत्सव मनाते हैं। भाजपा बजरंगियों का भरपूर समर्थन करती है।
राज्य की पुलिस बजरंगियों के सामने बेबस नजर आयी है। जब बीस की शाम पुलिस दो-तीन लोगों को पकड़ थाने ले गयी, करीब सौ बजरंगी थाने को घेर कर ‘जेहादी पत्रकार मुर्दाबाद’ के नारे लगाने लगे।
तमिलनाडु से बड़े राज्य छत्तीसगढ़ में उँगलियों पर गिने जाने योग्य महिला पत्रकार हैं। एंकर मिल जायेंगीं, लेकिन फील्ड रिपोर्टर बहुत कम हैं। ममता लांजेवार शायद राज्य की श्रेष्ठतम महिला पत्रकार हैं—स्वाभिमानी, निर्भीक, संवेदनशील। चंदूलाल चंद्राकर सम्मान पत्रकारिता का राज्य का सर्वोच्च पुरस्कार है। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह सम्मान उन्हें दो बरस पहले दिया था।
चार साल पहले मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद भूपेश बघेल जब पहली बार दिल्ली जा रहे थे, ममता ने उनसे हवाई अड्डे पर एक प्रश्न पूछा था। जब भूपेश विधायक थे, ममता उनसे अमूमन छत्तीसगढ़िया में बात करती थीं, लेकिन अब वे मुख्यमंत्री हो चुके थे। उस दिन ममता ने भूपेश बघेल को शुद्ध हिंदी में ‘सर’ संबोधित करते हुए प्रश्न पूछा और उन्होंने तुरंत अधिकार से ममता का माइक थाम लिया: “नोनी, मैं ह तोर सर कब से हो गे हों, पहले मोला भैया बोल तभेच जवाब दूं हूं। में ह काली घलो तोर बड़े भाई रेहेव अऊ आज भी वई सने बड़े भाई हों। (बिटिया, मैं तेरा ‘सर’ कब से हो गया? मैं तभी जवाब दूँगा, जब भैया बोलेगी। मैं पहले भी तेरा बड़ा भाई था, आज भी बड़ा भाई हूँ।)”
सभी पत्रकारों के सामने रायपुर हवाई अड्डे पर भूपेश बघेल ने ममता को बाध्य किया कि वे फिर से अपना प्रश्न पूछें।
मुख्यमंत्री से अपेक्षा है कि अपने दायित्व का निर्वाह करें, एफ़आईआर में उचित धारायें जोड़ने का आदेश दें, सुनिश्चित करें कि राज्य में किसी गुंडे की फिर ऐसी हिम्मत न हो।