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नेपाल में नई पार्टी का धमाल, किसकी बनेगी सरकार इस पर सस्पेंस बरकरार
24-Nov-2022 11:08 AM
नेपाल में नई पार्टी का धमाल, किसकी बनेगी सरकार इस पर सस्पेंस बरकरार

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-फणीन्द्र दाहाल

नेपाल में रविवार को संसद और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए मतदान हुआ. संसद की 165 और सात प्रांतों की 330 विधानसभा सीटों पर सीधे मतदान हुआ. जबकि नेपाल की व्यवस्था के तहत 110 संसदीय और 220 प्रांतीय विधानसभा सीटों पर आनुपातिक मतदान व्यवस्था के तहत मतदान हुआ.

नेपाल के चुनाव के शुरुआती नतीजे आने शुरू हो गए हैं और पूर्ण नतीजे आने में अभी कुछ और दिन लग सकते हैं.

क्यों हो रही है नतीजों में देरी?
नेपाल ने कुल 1 करोड़ 80 लाख मतदाताओं में से 61 प्रतिशत ने मतदान किया था.

इन मतदाताओं ने कुल चार मतपत्रों पर मतदान किया है. इनमें एक सीधे संसदीय सीट, एक सीधे विधानसभा सीट, एक अनुपातिक संसदीय सीट और एक अनुपातिक विधानसभा सीट का पर्चा था.

इस बड़ी तादाद में मतपत्रों को गिनने में समय लग रहा है. इसके अलावा नेपाल के अंदरूनी इलाकों में भी मतदान कराया गया है जहां और अधिक समय लग रहा है.

इसलिए अभी बड़े शहरी इलाक़ों से शुरुआती नतीजे आए हैं और पूरे देश से नतीजे आने में अभी कुछ और दिन लगेंगे.

नेपाल में हाऊस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव के लिए कुल 275 सांसद चुने जाने हैं. इनमें से 165 सीधे मतदान से और 110 आनुपातिक मतदान से चुने जाने हैं. इन वोटों की गिनती में समय लग रहा है.

नेपाल में कुल सात प्रांत हैं जिनकी 330 सीटों पर सीधे और 220 पर आनुपातिक मदतान हुआ है.

अभी तक नेपाल के चुनावों के जो शुरुआती नतीजे आ रहे हैं उनमें फिलहाल नेपाली कांग्रेस आगे दिख रही है. हालांकि ये बढ़त बरकरार रहेगी या नहीं ये स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है.

नेपाली कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर यूएमएल यानी नेपाल की विपक्षी पार्टियां हैं.

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा ने अपने संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीत लिया है. देऊबा छह बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और अभी भी प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में देखे जा रहे हैं.

हालांकि एक नए उम्मीदवार से देऊबा को कड़ी चुनौती भी मिली है. पेशे से हाइड्रो इंजीनियर सागर ढकाल पहली बार चुनाव लड़ रहे थे. ढकाल ने देऊबा के सामने तेरह हज़ार से अधिक वोट पाएं हैं और देऊबा के प्रभाव वाले इलाक़े में उन्हें चुनौती दी है. बहुत से लोगों का ये मानना है कि देऊबा के सामने लड़ते हुए इतने मत हासिल करना भी बड़ी बात है.

प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा ने अपनी सीट जीत ली है और ये माना जा रहा है कि वो फिर से प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी पेश करेंगे.

हालांकि नेपाली कांग्रेस में अन्य नेताओं ने भी प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी का इशारा किया है.

नेपाली कांग्रेस के दो महामंत्री बिस्व प्रकाश शर्मा और गगन थापा ने चुनाव जीत लिया है.

गगन थापा ने काठमांडु के अपने संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की है. गगन थापा ने चुनाव से पहले ही ऐलान कर दिया था कि वो प्रधानमंत्री के पद के लिए भावी दावेदार हैं.

दूसरे महामंत्री बिश्व प्रकाश शर्मा ने भी थापा का समर्थन करने का भरोसा दिया है. अब इस सवाल में दिलचस्पी ली जा रही है कि कांग्रेस के संसदीय दल का नेता कौन होगा?

क्या शक्ल लेंगे गठबंधन?
प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व में सत्ताधारी गठबंधन में उनकी पार्टी नेपाली कांग्रेस के अलावा पुष्प कमल दहाल प्रचंड की कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल माओइस्ट सेंटर (सीपीएन-एमसी) और माधव कुमार नेपाल की कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल- यूनिफाइड सोश्लिस्ट (सीपीएन-यूएस) ने चुनाव लड़ा है.

हालांकि अब आगे ये गठबंधन क्या शक्ल लेगा और सत्ता के समीकरण क्या होंगे ये अभी स्पष्ट नहीं हुआ है.

पूर्व प्रधानमंत्री प्रंचड अपने संसदीय क्षेत्र में काफ़ी आगे चल रहे हैं, हालांकि अभी वहां नतीजा नहीं आया है.

हालांकि प्रचंड की पार्टी का प्रदर्शन उनकी आशा के अनुरूप नहीं है. आनुपातिक (प्रोपोर्शनल) मतदान में प्रचंड की पार्टी चौथे नंबर पर चल रही है जबकि यूएमएल सबसे आगे है, ये विपक्षी नेता केपी शर्मा ओली की पार्टी है, इसके थोड़ा पीछे प्रधानमंत्री की पार्टी नेपाली कांग्रेस है.

प्रचंड की पार्टी नतीजों के बाद किस हैसियत में रहती है और क्या वो गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे, फिलहाल इस पर सबकी नज़रे हैं.

नेपाल की राजनीति में इस बार कई नए चेहरों ने क़दम रखा है. ये डॉक्टर, इंजीनियरिंग और पत्रकारिता जैसे पेशेवर क्षेत्रों को छोड़कर राजनीति में कुछ नया करने के उद्देश्य से आए हैं.

नई बनी नेशनल इंडीपेंडेंट पार्टी ने कई ऐसे पेशेवरों को टिकट दिया है. पूर्व टीवी होस्ट राबी लामीछाने नेशनल इंडीपेंडेंट पार्टी (राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी) के प्रमुख हैं.

ये नई पार्टी नई राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरी है और अब तक आए नतीजों में आनुपातिक मतदान में तीसरे नंबर पर है. जबकि रॉयलिस्ट पार्टी (आरपीपी) चौथे नंबर पर है.

राजधानी काठमांडु के दस संसदीय क्षेत्रों में से चार पर नई पार्टी नेपाली स्वतंत्र पार्टी ने जीत हासिल की है जबकि पार्टी के नेता राबी लामीछाने भी चितवन में अपनी सीट पर आगे हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने झापा में भारी मंतर से जीत हासिल की है, हालांकि उनकी पार्टी सीधे मतदान के नतीजों में पिछड़ रही है. पिछले चुनाव में केपी शर्मा ओली की पार्टी काठमंडु में छह सीटों पर जीती थी, इस बार एक पर ही जीती है.

काठमांडु की दस सीटों में से पांच में नेपाली कांग्रेस जीती है जबकि चार सीटों पर राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं. ये पार्टी कुछ महीने पहले ही गठित हुई है.

नई पार्टी की कामयाबी ने बहुत से लोगों को चौंका दिया है लेकिन कई विश्लेषकों का ये मानना है कि जनता ने इस बार नए विकल्प को चुनना चाहा है.

इसी साल नेपाल में लोकल बॉडी चुनाव हुआ था, जिसमें काठमांडु में स्वतंत्र उम्मीदवार को मेयर चुना गया था.

संसदीय चुनावों में भी अब ये देखा गया है कि नई पार्टी के युवा चेहरों को जनता को पसंद किया है.

विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल के आम लोग मुख्यधारा की पार्टियों से निराश हैं और ये नतीजे उसी निराशा की अभिव्यक्ति हैं.

काठमांडु में जिस तरह से नई पार्टी ने प्रदर्शन किया है और देश के कई और इलाक़ों में आगे है और आनुपातिक मतदान में भी ये तीसरे नंबर पर आ गई है, ऐसे में ये माना जा रहा है कि भावी गठबंधन में इस पार्टी की भूमिका अहम होगी.

हालांकि पार्टी के नेता ने सार्वजनिक तौर पर ये कहा था कि उनकी पार्टी विपक्ष में रहेगी और कोई भी पुराना नेता प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होगा तो उसे समर्थन नहीं दिया जाएगा.

भारत के तराई क्षेत्र की सीमा नेपाल से जुड़ी है. तराई क्षेत्र से भी नतीजे आ रहे हैं. नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री रहे उपेंद्र यादव चुनाव हार गए हैं.

उन्हें जनमत पार्टी के नेता सीके राउत ने हरा दिया है. संसदीय राजनीति में सीके राउत नया चेहरा होगा. राजनीति में उनके उभार को दिलचस्पी से देखा जा रहा है.

तराई क्षेत्र की पूरी तस्वीर अभी साफ़ नहीं हुई है क्योंकि अभी भी कई संसदीय क्षेत्रों में वोटों की गिनती जारी है.

अभी तक जो नतीजे और रुझान सामने आए हैं, उन्हें देखते हुए कहा जा सकता है कि नेपाल एक त्रिशंकु संसद की तरफ़ बढ़ रहा है. अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि सरकार का रूप क्या होगा.

चुनाव से पहले गठबंधन में उपेंद्र यादव भी शामिल थे लेकिन अंतिम समय में वो केपी शर्मा ओली के साथ चले गए थे और उनके सहयोग से चुनाव लड़ा.

अभी तक के नतीजों से किसी को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. अभी ठोस रूप से ये भी नहीं कहा जा सकता है कि कौन नेता अपने पक्ष में माहौल बना लेगा. लेकिन एक बात स्पष्ट है, नए दल राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी उसकी भूमिका अहम रहेगी. (bbc.com/hindi)

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