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रायपुर, 26 नवंबर। अग्रसेन महाविद्यालय में समाजकार्य विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय सेमिनार आज से शुरू हुआ. "वर्तमान समय में बुजुर्गों की समस्याएँ एवं समाधान "- विषय पर आयोजित इस सेमिनार के पहले दिन के सत्र में आमंत्रित वक्ताओं ने बुजुर्गों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की.
सेमिनार के तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए पं. रविशंकर शुक्ल विवि में मनोविज्ञान की प्राध्यापक डॉ मीता झा ने कहा कि समाज में भौतिक प्रगति की बढती चाह के कारण प्राय: परिवारों में बुजुर्गों की देखभाल नहीं हो पा रही है. इसलिए उनमें एकाकीपन, निराशा और तनाव जैसी समस्याएँ देखने को मिल रही है. ऐसे ही लोगों को वृद्ध-आश्रमों में रहने पर विवश होना पड़ता है. इसके लिए बुजुर्गों के साथ रहकर तमाम समस्याओं का हल निकला जा सकता है।
रायपुर में बुजुर्गों की चौपाल सामाजिक संस्था संचालित करने वाले समाजसेवी प्रशांत पाण्डेय ने कहा कि आखिर बुजुर्गों को वृद्ध-आश्रम में रहने की नौबत क्यों आती है. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के सभी लोग अपनी मर्जी से जीवन जीना चाहते हैं. उन्हें अपने परिवार में भी किसी बड़े-बुजुर्ग की सलाह, हस्तक्षेप की तरह लगती है।
यहीं से एकल परिवार और बुजुर्गों की उपेक्षा का दौर शुरू होता है. इसे समझने की ज़रूरत है।
तकनीकी सत्र की अंतिम वक्ता के रूप में 181-महिला हेल्पलाइन सेवा (रायपुर) की प्रभारी गरिमा द्विवेदी ने बुजुर्गों से सम्बंधित कानूनी समस्याओं की चर्चा करते हुए कहा कि यदि परिवार के बेटे-बहू बुजुर्गों के साथ किसी तरह का अन्याय करते हैं, तो इसका सामना करने के लिए कानूनी प्रावधान मौजूद हैं. इसी सुविधा के लिए सरकार ने हेल्प लाइन सेवा शुरू की है.
इससे पहले विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ वी.के. अग्रवाल ने कहा समाज के आधुनिक बनने की प्रक्रिया में संयुक्त परिवार टूटने लगे और एकल परिवारों के कारण नई पीढ़ी के युया बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी से दूर होने लगे. इसी वजह से बुजुर्गों के साथ अनेक समस्याएँ पैदा होने लगी हैं।
उन्होंने कहा कि समाज कार्य विभाग के छात्रों के लिए इस समय सबसे बड़ा कार्य यही है कि वे अपने आसपास लोगों को जागरूक करें, ताकि बुजुर्गों की समस्याओं के प्रति सभी लोग अपने दायित्वों को निभा सकें. प्राचार्य डॉ युलेन्द्र कुमार राजपूत ने कहा कि बुजुर्गों को साथ में रखना ही भारत का संस्कार है।
आधुनिकता और तरक्की के नाम पर बुजुर्गों की उपेक्षा किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं हो सकती. वहीँ महाविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेटर अमित अग्रवाल ने सभी आमंत्रित वक्ताओं के विचारों को सारगर्भित बताते हुए कहा कि इस सेमिनार में मिले सुझाव समाज कार्य विषय के छात्रों के लिए निश्चित ही उपयोगी सिद्ध होंगे. कार्यम्रम का संचालन समाज कार्य संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो. मो. रफीक ने किया. वहीँ आज के तकनीकी सत्र का संयोजन प्रो. रूचि शर्मा और प्रो. रुक्मिणी अग्रवाल ने किया. इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी संकायों के प्राध्यापकों की सक्रिय भागीदारी रही।