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बेटी के हाथों एक पिता ने पूरा किया अपना सपना, वेट लिफ्टिंग चैम्पियनशिप में जीते चार गोल्ड
29-Nov-2022 4:11 PM
बेटी के हाथों एक पिता ने पूरा किया अपना सपना, वेट लिफ्टिंग चैम्पियनशिप में जीते चार गोल्ड

शिवपुरी,  29 नवंबर । हर एक खिलाड़ी का सपना अपने देश के लिए एक बार गोल्ड मेडल जीतने का जरुर होता है। खिलाड़ी ऐसे सपने देखते जरुर हैं मगर कई बार वो उसे पूरा नहीं कर पाते हैं। उनके कहीं और व्यस्त हो जाने के साथ ही उनके सपने भी खत्म हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही मोहम्मद दारा खान के साथ भी हुआ।

वो हैंडबाल के खिलाड़ी थे मगर किन्हीं वजहों से उनके हाथ की उंगलियां खराब हो गई उसके बाद उनका हैंडबाल खेलना बंद हो गया, इसी दौरान सीआरपीएफ में उनकी नौकरी लग गई तो खेलना भी बंद हो गया मगर उन्होंने देश के लिए गोल्ड जीतने की अपनी इच्छा को मरने नहीं दिया। अपने उस सपने को उन्होंने अपनी बेटी के जरिए पूरा किया। बेटी ने गोल्ड हासिल करके अपना ही नहीं बल्कि अपने देश और अपने राज्य का भी नाम रोशन किया।

शिवपुरी के छोटे गांव मझेरा की बेटी मुस्कान खान ने न्यूजीलैंड में चल रही अंतरराष्ट्रीय वेट लिफ्टिंग चैम्पियनशिप में अपने सभी इवेंट में गोल्ड मैडल जीतते हुए ओवर आल चार गोल्ड मैडल जीता। चार गोल्ड मेडल जीतकर मुस्कान ने न सिर्फ भारत बल्कि शिवपुरी का नाम भी रोशन किया है।

उल्लेखनीय है कि ओपन गेम फेडरेशन द्वारा न्यूजीलैंड में 24 नवंबर से 4 दिसम्बर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता में मझेरा की मुस्कान खान का चयन हुआ था। वह भारतीय टीम के साथ न्यूजीलैंड रवाना हुई। मुस्कान ने 63 किग्रा सब जूनियर ग्रुप में खेलते हुए वेट लिफ्टिंग की। इसी क्रम में उसने स्काट में 105 किग्रा वजन उठाया तो बेंच प्रेस में 57.5 किलो वजन उठाया। इसके बाद मुस्कान की डेड लिफ्ट 120 किलो की रही।
मुस्कान ने अपने वर्ग में तीनों इवेंट में सर्वाधिक वजन उठा कर तीनों इवेंट में गोल्ड जीते। इसके अलावा उसे टोटल इवेंट में भी गोल्ड मिला। 63 किलोग्राम वर्ग में किसी भी इवेंट में कोई उससे अधिक वजन नहीं उठा पाया। मुस्कान के इस कारनामे ने विदेशी धरती पर भारत सहित शिवपुरी का नाम रोशन कर दिया है।

हैंडबाल में तीन बार खेली नेशनल

मुस्कान पावर लिफ्टिंग से पहले हैंडबाल खेलती थी। वहां भी मुस्कान लगातार चेम्पियंस क तरह खेली और मिनी वर्ग में खेलते हुए वह तीन बार नेशनल खेली। इस दौरान टीम में सर्वाधिक गोल उसी के हुआ करते थे। मुस्कान के पिता को अंत में लगा कि बेटी टीम गेम में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा खेलने में पिछड़ जाएगी तो उन्होंने करीब चार साल पहले बेटी को व्यक्तिगत खेल में उतारने का मन बनाया। बेटी के लिए पावर लिफ्टिंग का चयन किया और उसकी तैयारी शुरू करवा दी। चार साल के भीतर ही बेटी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मैडल जीत कर शिवपुरी और भारत का नाम रोशन कर दिया।
खुद का हाथ खराब हुआ तो बेटी के हाथों से उठवाया गोल्ड

मुस्कान के पिता मोहम्मद दारा खान की बचपन से ही खेलों में रूचि थी। वह हैंडबाल के खिलाड़ी थे और तीन बार हैंडबाल में स्टेट खेली। इसी के चलते उनका चयन खेल कोटे से सीआरपीएफ(CRPF) में एसआई (SI) पद पर हुआ। उन्होंने भारत के लिए गोल्ड मैडल (Gold Medal) लाने का सपना अपनी आंखों में सजा रखा था, लेकिन मोहम्मद दारा खान सीआरपीएफ (CRPF) ज्वाइन कर पाते उससे पहले ही एक हादसे में उनके हाथ की अंगुलियां खराब हो गईं।
उनका भारत के लिए गोल्ड जीतने का सपना हाथ खराब होने की वजह से टूट गया। मोहम्मद दारा खान के घर बेटी मुस्कान का जन्म हुआ और उसे भी पिता की तरह खेलों से बहुत प्यार रहा। बेटी ने पहले हैंडबाल खेलना शुरू किया और बाद में पिता ने उसे पावर लिफ्टिंग की तैयारी करवाई। कोरोना काल में जब सब कुछ बंद था तो अपने गांव में ही उन्होंने सारे उपकरण जोड़कर दिन-रात बेटी के साथ मेहनत की।

कोरोना काल खत्म होने के साथ ही बेटी को प्रतियोगिताओं में खिलाना शुरू किया और देखते ही देखते बेटी के हाथों से गोल्ड मेडल उठवा कर अपना सपना पूरा किया है। (jagran.com)

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