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जिस देश में राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत नहीं है, वहां उद्योग, व्यवसाय कभी नहीं फल-फूल सकते: राजनाथ सिंह
29-Nov-2022 9:48 PM
जिस देश में राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत नहीं है, वहां उद्योग, व्यवसाय कभी नहीं फल-फूल सकते: राजनाथ सिंह

नयी दिल्ली, 29 नवंबर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि जिस देश में राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत नहीं है, वहां उद्योग और व्यवसाय कभी नहीं फल-फूल सकते।

सशस्त्र सेना झंडा दिवस सीएसआर सम्मेलन में अपने संबोधन में सिंह ने यह भी कहा, "सैनिकों का कल्याण, जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, केवल सरकार का दायित्व नहीं होना चाहिए, बल्कि यह सभी का कर्तव्य होना चाहिए।"

उन्होंने सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण को प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी करार देते हुए सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में उदारता से योगदान देने की अपील की।

सिंह ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि जिस देश में राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत नहीं है, वहां उद्योग और व्यवसाय कभी नहीं फल-फूल सकते।

उन्होंने बड़े कॉर्पोरेट दानदाताओं के समर्थन की सराहना की जिसके कारण पिछले कुछ वर्षों में कोष में पर्याप्त वृद्धि हुई है। सिंह ने सैनिकों तथा राष्ट्र की भलाई के लिए और भी अधिक योगदान देने के लिए समुदाय का आह्वान किया।

यह कार्यक्रम रक्षा मंत्रालय के पूर्व सैनिक कल्याण विभाग द्वारा आयोजित किया गया।

सिंह ने सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त और सेवारत कर्मियों के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि उनकी वीरता एवं बलिदान ने देश की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा की है।

सिंह ने नगालैंड में कोहिमा युद्ध स्मारक पर अंकित एक सैनिक के संदेश का विशेष उल्लेख किया, जिसमें लिखा है: "जब आप घर जाएं, तो उन्हें हमारे बारे में बताएं और कहें, आपके कल के लिए, हमने अपना आज दे दिया।"

उन्होंने कहा, "स्वतंत्रता के बाद से, चाहे वह युद्ध जीतना हो या सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला करना हो, हमारे सैनिकों ने साहस और मुस्तैदी के साथ सभी चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब दिया है। इस प्रक्रिया में, उनमें से कई ने सर्वोच्च बलिदान दिया और कई शारीरिक रूप से अक्षम हो गए।"

रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में उनके हवाले से कहा गया, ‘‘उनके परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन पर है। इसलिए, हमारी अंतिम जिम्मेदारी है कि हम आगे आएं और अपने सैनिकों तथा उनके परिवारों का हर तरह से समर्थन करें। यह हमारे वीर सैनिकों की वजह से है, जो हमेशा सीमाओं पर सतर्क रहते हैं, हम शांति से सोते हैं और बिना किसी डर के अपना जीवन जीते हैं।’’

सिंह ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि बड़ी संख्या में सैन्यकर्मी 35-40 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो जाते हैं ताकि सशस्त्र बलों का ‘युवापन’ बना रहे। उन्होंने इसे लोगों द्वारा पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों की हरसंभव मदद करने का एक और कारण बताया।

देश के वीरों के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि इस दिशा में कई पहल की गई हैं।

इनमें 'भारत के वीर' पोर्टल भी शामिल है, जिसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के अधिकारियों और जवानों के कल्याण के लिए सिंह के गृह मंत्री रहते हुए शुरू किया गया था। हाल ही में, सिंह द्वारा सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष में योगदान के लिए 'माँ भारती के सपूत' वेबसाइट शुरू की गई थी।

सिंह ने निजी क्षेत्र से हर साल बहुत कम उम्र में सेवानिवृत्त होने वाले लगभग 60,000 सैनिकों को रोजगार के अवसर प्रदान करने का आग्रह करते हुए कहा कि ये अनुशासित पूर्व सैनिक सबसे जटिल तकनीक को समझने और उसका कुशलता से उपयोग करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिक कल्याण विभाग भूतपूर्व सैनिकों के लिए रोजगार सुनिश्चित करने का कार्य करता है और उद्योग इस दिशा में विशेष योगदान दे सकता है।

बयान में सिंह के हवाले से कहा गया, "सरकार पूर्व सैनिकों को एक दायित्व के रूप में नहीं मानती, बल्कि हम उन्हें मूल्यवान संपत्ति के रूप में देखते हैं, जो न केवल अनुशासित और समाज के लिए प्रेरणा हैं, बल्कि एक कार्यबल के रूप में भी समान रूप से प्रभावी हैं। उन्हें शामिल करके, निजी कंपनियां अपनी उत्पादकता में वृद्धि तथा इन पूर्व सैनिकों की एक सम्मानित जीवन जीने में मदद कर सकती हैं।"

रक्षा मंत्री ने सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष के लिए एक नयी वेबसाइट भी शुरू की। यह पोर्टल संवादात्मक और और उपयोगकर्ता अनुकूल है जिसे कोष में ऑनलाइन योगदान को बढ़ावा देने के लिए विकसित किया गया है।

उन्होंने सशस्त्र सेना झंडा दिवस के वास्ते इस वर्ष के प्रचार अभियान के लिए एक गान भी जारी किया।

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) विजय कुमार सिंह, और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, सीएसआर समुदाय के सदस्य तथा सशस्त्र बलों के कई सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मी सम्मेलन में मौजूद थे। (भाषा)

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