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अदालत ने 33 सप्ताह के गर्भ को गिराने के लिए महिला की जांच को लेकर बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया
02-Dec-2022 9:02 PM
अदालत ने 33 सप्ताह के गर्भ को गिराने के लिए महिला की जांच को लेकर बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया

नयी दिल्ली, 2  दिसंबर। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एलएनजेपी अस्पताल से 26 वर्षीय एक महिला की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा, जो अपने 33 सप्ताह के गर्भ को गिराना चाहती है, क्योंकि भ्रूण विसंगति से ग्रस्त है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने लोकनायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल से बोर्ड गठित करने को कहा, जो महिला की जांच करेगा और अदालत को गर्भपात की संभावना के बारे में सूचित करेगा। अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए पांच दिसंबर को सूचीबद्ध किया।

महिला ने कहा कि गर्भावस्था के 16वें सप्ताह तक अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान भ्रूण में कोई असामान्य स्थिति नहीं पाई गई। वहीं, 12 नवंबर को, गर्भावस्था के 30 सप्ताह एक दिन के बाद उसने एक और अल्ट्रासाउंड कराया, जिसमें पहली बार भ्रूण में असामान्य स्थिति देखी गई। महिला ने कहा है कि बाद में चिकित्सा जांच और एक अन्य डॉक्टर से नए सिरे से परामर्श ने भ्रूण में विसंगति की पुष्टि की।

गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल द्वारा गर्भ गिराने के अनुरोध को ठुकराने के बाद महिला ने उच्च न्यायालय का रुख किया। अस्पताल ने कहा था कि गर्भ गिराने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है, क्योंकि 24 सितंबर 2021 से लागू ‘गर्भ का चिकित्सकीय समापन कानून’ के तहत गर्भ 24 सप्ताह से अधिक का है।

हालांकि, अधिवक्ता अन्वेश मधुकर और प्राची निर्वाण के माध्यम से दायर याचिका में कानून के तहत प्रदान की गई 20/24 सप्ताह की सीमा याचिकाकर्ता के मामले पर लागू नहीं होती है, क्योंकि उसके भ्रूण में मस्तिष्क संबंधी असामान्यताएं हैं, जिसके परिणामस्वरूप महिला को गंभीर मानसिक विकार हो रहा है।

वकील ने कहा कि बंबई, कलकत्ता और मद्रास के उच्च न्यायालयों ने भी उन मामलों में गर्भ का चिकित्सकीय रूप से समापन का निर्देश दिया है, जहां गर्भावस्था की अवधि 33-34 सप्ताह थी।

इस साल जनवरी में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला को 30 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी थी, क्योंकि भ्रूण एक दुर्लभ क्रोमोसोमल विकार से ग्रस्त था और कहा था कि यदि वह बच्चे को जन्म देती है तो बच्चा ऐसे विकार से ग्रस्त होगा, जो सामान्य जिंदगी कभी नहीं जी पाएगा। (भाषा)

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