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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 3 दिसंबर। जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में रायगढ़ का एक मजदूर अपने परिवार सहित 20 माह से ठेकेदार के चंगुल में फंसा है। उससे बिना मजदूरी दिए काम लिया जा रहा है। वह वापस लौटना चाहता है लेकिन उसके पास किराये के लिए भी पैसे नहीं है।
नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बोंडेड लेबर के संयोजक निर्मल गौराना अग्नि ने बताया है कि उन्होंने कठुआ के जिलाधिकारी, रायगढ़ कलेक्टर, एसपी कठुआ व प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ एवं जम्मू कश्मीर सरकार को शिकायत लिखी है तथा सीधे फोन पर इस संबंध में बात भी की है।
20 माह पहले सारंगढ़ का अशोक दिनकर रायगढ़ निवासी चैन सिंह से मिला। वह उसको बहला फुसलाकर परिवार सहित अप्रैल, 2021 में कठुआ, जम्मू एवं कश्मीर ले गया। यहां पर अशोक ने चैन सिंह और उसकी पत्नी तथा उसकी नाबालिग बच्ची को निर्माण कार्य में लगा दिया। चैन सिंह अपनी तीन बच्चियों और पत्नी के साथ कार्य स्थल पर ही रह रहा था। अशोक दिनकर पूरे परिवार को कठुआ जिले के अलग अलग तहसील में ले जाकर चैन सिंह के परिवार से अपनी मर्जी के मुताबित काम लेने लगा किंतु काम के एवज में मेहनताना नही दिया। पूरा परिवार बेगार करता रहा।
पूरे 20 माह के बाद जब चैन सिंह ने मजदूरी मांगी और छत्तीसगढ़ जाने की जिद की तो अशोक दिनकर ने चैन सिंह और उसके परिवार को सेवदा गांव में चल रहे निर्माण कार्य से निकाल दिया और कह दिया कि जो करना है करले मेरा क्या बिगाड़ लेगा। तब से चैन सिंह कठुआ में न्याय की आस लगाए जन संगठनों से संपर्क साध रहा है। चैन सिंह ने नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर से बात की।अब उसे छत्तीसगढ़ वापस भेजने का प्रयास हो रहा है। निर्मल गोराना का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार प्रवासी बंधुआ मजदूरों के प्रति संवेदनशीलता नही दिखा रही हैं। केवल मजदूरों को दूसरे राज्यों जहां वे फंसे है से ले आना ही काफी नही है। उचित पुनर्वास के अभाव में मजदूर परिवारों की बंधुआगिरी एवं मानव तस्करी का चक्र खत्म हो नही हो रहा है।सरकार को बंधुआ मजदूरों की रिहाई और पुनर्वास के लिए टास्क फोर्स बनाना चाहिए।