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लिव-इन का रजिस्ट्रेशन, बच्चों की संख्या पर लगाम- कैसा हो सकता है यूनिफॉर्म सिविल कोड
04-Dec-2022 11:50 AM
लिव-इन का रजिस्ट्रेशन, बच्चों की संख्या पर लगाम- कैसा हो सकता है यूनिफॉर्म सिविल कोड

अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के पहले पन्ने पर छपी ख़बर के मुताबिक़ उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने के लिए एक कमिटी का गठन किया है. कमिटी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड में क्या-क्या चीज़ें शामिल हों इसे लेकर लोगों से सुझाव मांगे थे और उसे सैंकड़ों सुझाव मिले हैं.

अख़बार के अनुसार लैंगिक समानता, महिलाओं के लिए शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करना, एलजीबीटीक्यू जोड़ों के लिए क़ानूनी अधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन ये कुछ सुझाव है जो इस कमिटी को लोगों से मिले हैं. अख़बार का कहना है कि ये कमिटी आने वाले दिनों में अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी.

हालांकि इनमें से सबसे अहम कमिटी का वो सुझाव है जिसमें दंपत्ति कितने बच्चे पैदा करें इसकी संख्या में एकरूपता लाने की बात कही गई है. अख़बार लिखता है कि माना जा रहा है ये जनसंख्या नियंत्रण क़ानून की बैकडोर एंट्री का एक तरीक़ा है.

अख़बार ने सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के आधार पर लिखा है कि पांच सदस्यों वाली इस कमेटी की सात महीने इस पर चर्चा चली और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व वाली इस कमिटी को कई हितधारकों से एक सुझाव मिला है कि दंपत्ति के लिए बच्चों की संख्या में एकरूपता होनी चाहिए.

एक सूत्र ने अख़बार को बताया, "कमिटी के पास कई सारे सुझाव आए हैं क्योंकि लोगों में जनसंख्या विस्फोट को लेकर चिंता है. लोग पूछ रहे हैं कि कैसे हम मानवाधिकार, बच्चों के लिए अधिकार और बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे. कमिटी रिपोर्ट बनाने से पहले हर सुझाव को गंभीरता से ले रही है."

इस साल मई में गठित हुई इस कमिटी ने अब तक 1.5 लाख लोगों से सुझाव लिया है और आनेवाले तीन महीनों में इस पर एक रिपोर्ट सौंप सकती है. इस साल की शुरुआत में उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने सत्ता में लौटने के तुरंत बाद इस कमेटी का गठन किया था. उत्तराखंड चुनाव में बीजेपी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने का चुनावी वादा किया था.

दंपत्ति कितने बच्चे पैदा करें इसमें एकरूपता लाने का सुझाव संघ के व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति से मेल खाता है.

अक्तूबर में नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में अपने वार्षिक विजयादशमी भाषण के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने "व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति" की आवश्यकता की बात कही थी और कहा था कि "ये सभी पर समान रूप से" लागू होगी. इसके साथ ही कहा था कि "जनसंख्या असंतुलन" पर गंभीर नज़र रखना राष्ट्रहित में है. (bbc.com/hindi)

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