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(सुष्मिता गोस्वामी एवं नारायण बहादुर)
ओटिंग (नगालैंड), 4 दिसंबर। नगालैंड में मोन जिले के ओटिंग में सैन्य बलों द्वारा गलत पहचान के कारण 14 लोगों की कथित रूप से हत्या किए जाने की घटना के रविवार को एक साल पूरे होने पर ग्रामीणों ने कहा कि वे इसमें संलिप्त कर्मियों को माफ कर सकते हैं, लेकिन इसे भूल नहीं सकते हैं।
उन्होंने इस दुखद घटना की निशानियों को मिटाने के लिए घटनास्थल की घास तक जला दी है, लेकिन चार दिसंबर 2021 को हुई घटना की यादें अब भी इस छोटे से गांव के लोगों के ज़ेहन में हैं।
ओटिंग गांव के सामुदायिक नेता खेतवांग कोन्याक ने पीटीआई-भाषा से कहा, "हम कुछ मायनों में आगे बढ़ चुके हैं, लेकिन दर्द और पीड़ा अब भी है। नगालैंड में हम माफ करना जानते हैं, लेकिन हम इस त्रासदी को नहीं भूल सकते हैं।”
पूर्वोत्तर राज्य में मोन जिले के ओटिंग के लोगों ने कहा कि वे हत्याओं की पहली बरसी पर 14 लोगों की याद में एक शिला स्तंभ स्थापित करेंगे।
पिछले साल चार दिसंबर को ओटिंग गांव में काम से लौट रहे छह कोयला खनिकों की सैन्य कर्मियों की गोलीबारी में मौत हो गई थी, जबकि सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान सात अन्य को गोली मार दी गई थी। गोलियों से छलनी किये गये मजदूरों के शव सेना के एक ट्रक में पाये जाने के बाद यह झड़प हुई थी।
इस झड़प में एक सुरक्षाकर्मी की भी मौत हो गई थी। अगले दिन मोन शहर में भीड़ ने असम राइफल्स के शिविर पर हमला कर दिया था, जिसमें एक अन्य नागरिक की मौत हो गई।
खेतवांग कोन्याक ने कहा, “ हमने नरसंहार स्थल को साफ कर दिया है और पुरानी घास और अन्य पौधों को जला दिया है। हम वहां स्मारक के रूप में एक शिला स्तंभ स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। हम काले झंडे और बैनर लहराएंगे।”
पिछले साल दिसंबर की घटना में जख्मी हुए चिंगमेई कोन्याक ने कहा, " पर जन-जीवन सामान्य हो गया है, लेकिन हम सभी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।”
सेना की ‘सप्लाई कोर’ के पूर्व कर्मी ने दावा किया, “उन्होंने हमारे इलाज का खर्चा उठाया। हममें से कई लोग पहले की तरह अपने काम पर जाने लायक नहीं रह गए हैं और हम आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं।”
खेतवांग कोन्याक ने यह भी दावा किया कि राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को नौकरी और अनुग्रह राशि प्रदान की है, लेकिन घायलों को बेसहारा छोड़ दिया गया है।
उन्होंने कहा, "हम उनके साथ सहयोग करते हैं या नहीं, यह समुदाय का निर्णय होगा। हम फिर से सेना के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं, लेकिन हम नरसंहार को आसानी से नहीं भूल सकते हैं।”
नगालैंड स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) के महासचिव सिपुनी एन फिलो ने कहा कि ओटिंग घटना के बाद पीड़ितों को न्याय मिलने तक वे सुरक्षा बलों के साथ सहयोग नहीं करने के अपने फैसले पर अडिग हैं।
ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) के अध्यक्ष आर त्सापिकू संगतम ने पीटीआई-भाषा से कहा कि ईएनपीओ चार और पांच दिसंबर को राज्य के समूचे पूर्वी हिस्से में ‘काला दिवस’ मनाएगा।
नगालैंड सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। उसने ओटिंग में गोलीबारी की घटना में सेना के 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 कर्मियों के खिलाफ एक अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है।
सेना ने ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ (सीओआई) भी गठित की थी, जिसने अपनी जांच पूरी कर ली है।
पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने इस साल मई में कहा था कि एसआईटी और सीओआई के निष्कर्षों का विश्लेषण किया जा रहा है। (भाषा)