सामान्य ज्ञान
जर्मनी और अमरीका के खगोल वैज्ञानिकों ने ब्रह्मïांड के सबसे गर्म, श्वेत और क्षुद्र तारे की खोज की है। इस श्वेत बौने तारे का नाम केबीडी 0005, 5106 नाम दिया गया है।
नासा के सुदूर अल्ट्रावायलेट स्पेक्ट्रोस्कोपिक एक्सप्लोरर (फ्यूज) की सहायता से यह खोज हुई है। इसकी सतह का तापमान दो लाख डिग्री केल्विन से अधिक होने के कारण इसे ब्रह्मïांड का सबसे गर्म तारा माना गया है। इसका ईंधन समाप्ति की ओर है। इसलिए अत्यधिक ताप के कारण वह सफेद नजर आ रहा है।
इतने अधिक ताप के कारण केपीडी का फोटोस्पेयर , अल्ट्रावायलेट स्पेक्ट्रम में भी उत्सर्जन रेखाओं और दिखाता है। जो अब तक किसी तारे में नहीं देखी गई है। अब तक एक लाख केल्विन ताप वाले तारे को ही देखा गया था। इसका आकार बहुत छोटा होने के कारण अभी तक इसकी खोज नहीं हो पाई थी। इसका वायुमंडल हीलियम से बना है और सौर मानकों से दस दुना अधिक कैल्सियम की मौजूदगी के साथ , वायुमंडल में हीलियम का आधिक्य, एक ऐसी रासायनिक संरचना तैयार करती है , जिसकी कल्पना तारों की उत्पत्ति संबंधी मॉडलों में आज तक नहीं हुई।