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गुजरात में मोदी 'रथ' के सामने नहीं टिक सका कोई, 'आप' ने कांग्रेस के वोट में लगाई सेंध
09-Dec-2022 12:30 PM
गुजरात में मोदी 'रथ' के सामने नहीं टिक सका कोई, 'आप' ने कांग्रेस के वोट में लगाई सेंध

नई दिल्ली, 9 दिसंबर । दिल्ली से छपने वाले अख़बारों के पहले पन्ने पर आज गुजरात में बीजेपी और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस की जीत की ख़बर प्रमुखता से छपी है.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने पीएम मोदी की तस्वीर के साथ लिखा है कि गुजरात में मोदी'रथ' के सामने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी नहीं टिक सके.

अख़बार लिखता है कि गुजरात की जीत के मायने ये भी हैं कि पार्टी राज्यसभा में भी नया रिकॉर्ड बनाने जा रही है, और साल 2026 के मध्य तक यहां की सभी 11 राज्यसभा सीटें इसके खाते में होंगी.

अभी प्रदेश से राज्यसभा में बीजेपी के 8 सांसद हैं जबकि कांग्रेस के तीन सांसद हैं. अप्रैल 2024 में दो सीटों पर वो अपने उम्मीदवार भेज सकेगी, वहीं जून 2026 में आख़िरी बची तीसरी सीट पर भी उसी के नेता राज्यसभा में होंगे.

अख़बार लिखता है कि गुजरात की जीत कई और संदेश देती है. पहला, ये जीत एक विजेता के रूप में मोदी की पहचान को और मज़बूत करती है और एक तरह से ये तय करती है कि 2024 के आम चुनावों में बीजेपी एक बार फिर मोदी के नेतृत्व में मैदान में उतरेगी.

दूसरा ये कि कांग्रेस के लिए हार ने और बड़ी चुनोती खड़ी कर दी है. इस हार ने पार्टी के नेतृत्व की नाकामी और सांगठनिक कमज़ोरी को सामने ला दिया है. हिमाचल की जीत से पार्टी की छवि को कुछ अधिक फ़ायदा पहुंचेगा ऐसा नहीं लगता.

तीसरा जिस तरह के आम आदमी पार्टी के मुफ़्त सुविधाएं देने के एलान को गुजरात की जनता से नकार दिया है, उससे विकास चुनावों में मुद्दा बनता दिख रहा है.

आम आदमी पार्टी ने बनाई अपनी जगह

द इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि गुजरात में लगातार सातवीं बार बीजेपी सत्ता में आई है, जो अपने आप में ऐतिहासिक है.

अख़बार लिखता है कि 1985 में माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में कांग्रेस ने यहां 149 सीटें जीती थीं और इससे पहले बीजेपी का अब तक सबसे बेहतर प्रदर्शन साल 2002 में 127 सीटें जीतने का रहा था.

अख़बार लिखता है कि प्रदेश में बीजेपी को 50 फ़ीसदी से अधिक वोट मिले और पार्टी अब तक जीत का सबसे बड़ा आंकड़ा छू पाई, लेकिन वहीं यहां एक नई पार्टी, यानी आम आदमी पार्टी के लिए भी जगह बन गई है.

वहीं हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत के बारे में अख़बार लिखता है कि यहां कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत यानी 68 में से 40 सीटें मिलीं और आम आदमी पार्टी अपना खाता तक खोल नहीं सकी.

लेकिन दूसरे नंबर पर रही बीजेपी का मत प्रतिशत 43 फ़ीसदी रहा जबकि कांग्रेस का मत प्रतिशत इससे थोड़ा अधिक 43.9 फ़ीसदी रहा. यहां हार स्वीकार करने के बाद बीजेपी नेताओं ने इस बात को दोहराया कि उनके और कांग्रेस के बीच जीत का फ़ासला केवल एक फ़ीसदी ही रहा है.

कांग्रेस को अब तक का सबसे बड़ा झटका

वहीं द हिंदू ने अपने पहले पन्ने पर गुजरात और हिमाचल प्रदेश में जीत की ख़बर और जीत का जश्न मनाते बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की दो तस्वीरों को जगह दी है. अख़बार लिखता है कि गुजरात में बीजेपी ने स्वीप किया और कांग्रेस ने हिमाचल में जीत हासिल की.

अख़बार लिखता है कि गुजरात में बीजेपी का मत प्रतिशत बढ़ कर 52.5 फीसदी हो गया है. गुजरात में रिकॉर्ड तोड़ जीत ने विपक्ष के साथ-साथ पार्टी के सदस्यों को भी चौंका दिया है और त्रिकोणीय मुक़ाबले में पार्टी ने शहरी और ग्रामीण इलाक़ों में सीटें जीती हैं.

वहीं पांच सीटें जीत कर आम आदमी पार्टी ने न केवल यहां की राजनीति में अपने पैर जमा दिए हैं बल्कि13 फ़ीसदी वोट लेकर वो अब राष्ट्रीय पार्टी बन गई है.

अख़बार कहता है 17 सीटों में सिमटी कांग्रेस 33 में से 15 ज़िलों में कुछ नहीं कर सकी. सूरत, वडोदरा, राजकोट, जामनगर, भावनगर और गांधीनगर जैसे शहरों में पार्टी एक भी सीट जीत पाने में कामयाब नहीं हो सकी.

द इकोनॉमिक टाइम्स ने दूसरी ख़बरों के बीच चुनावों की ख़बरों को पहले पन्ने पर जगह दी है. अख़बार लिखता है कि एक दिन पहले दिल्ली के एमसीडी चुनावों में साफ़ होते होते बची कांग्रेस को गुजरात में अब तक अपना सबसे बड़ा झटका लगा है.

हालांकि हिमाचल प्रदेश में ऑटो मोड के कारण पार्टी जीत हासिल करने में कामयाब रही. अख़बार लिखता है कि बीते 37 सालों से हिमाचल का रिकॉर्ड रहा है कि एक बार सत्ता में रहने के बाद वहां की जनता उस पार्टी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देती है.

एमसीडी चुनावों में जहां आम आदमी पार्टी को 250 वॉर्डों में से 134 में जीत मिली थी, वहीं बीजेपी को 104 में और कांग्रेस को केवल सौ वॉर्डों में जीत हासिल हुई थी.

एक अन्य ख़बर में अख़बार लिखता है कि गुजरात में 2017 में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 0.6 फ़ीसदी था जिसे उसने इस बार 13 फ़ीसदी तक बढ़ा लिया है. गुजरात में कम से कम 30 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं जिनमें पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे.

अख़बार लिखता है कि माना जा रहा था कि दिल्ली मॉडल की तर्ज पर वादे करते हुए मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस दोनों को नुक़सान पहुंचाएगी, लेकिन उसने बीजेपी की नहीं बल्कि कांग्रेस की बड़ी क्षति की है.

2017 के चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर 41.44 फ़ीसदी था और बीजेपी का 49.05 फ़ीसदी. 2022 के चुनावों के बाद कांग्रेस का वोट शेयर 14.14 फ़ीसदी गिरकर 27.3 पर आ गया. अख़बार लिखता है कि ऐसा लगता है कि ये पूरा वोट शेयर आम आदमी पार्टी के पास चला गया है जो 2017 में 0.6 फ़ीसदी वोट शेयर के साथ यहां थी और अब 13 फ़ीसदी पर है.

अगले आम चुनाव के बाद हो सकती है जनगणना

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी अपने पहले पन्ने पर गुजरात और हिमाचल चुनावों को जगह दी है. अख़बार से साथ ही जनगणना को लेकर भी एक ख़बर छापी है.

अख़़बार लिखता है कि 2024 के अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव से पहले शायद जनगणना नहीं कराई जा सकेगी.

एक सरकारी अधिकारी के हवाले से अख़बार ने लिखा है, "जनगणना कराने के लिए अब तक तैयारियां शुरू नहीं हो सकी हैं. अप्रैल 2020 में फ़ील्डवर्क शुरू हुआ था. अप्रैल 2023 तक जनगणना कराने के लिए तैयारियों का अब समय नहीं बचा है. अगर अगले साल जनगणना नहीं हुई तो 2024 के आम चुनाव से पहले इसे नहीं कराया जा सकेगा क्योंकि इसका और चुनाव का वक़्त टकराएगा."

अख़बार लिखता है कि सरकार ने जनगणना का गैजेट नोटिफ़िकेशन मार्च 2019 में ही जारी कर दिया था, लेकिन महामारी के कारण इसकी तैयारियों पर असर पड़ा और फ़ील्डवर्क का वक्त पीछे करना पड़ा.

(bbc.com/hindi)

 

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