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भारत में सडक़ दुर्घटनाएं हर घंटे 18 लोगों की ले रही जान, 44 को कर रही घायल
07-Jan-2023 5:09 PM
भारत में सडक़ दुर्घटनाएं हर घंटे 18 लोगों की ले रही जान, 44 को कर रही घायल

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-ललित मौर्य

क्या आप जानते हैं कि भारत में सडक़ दुर्घटनों में हर घंटे 18 लोगों की जान जा रही है। वहीं इन हादसों में हर घंटे औसतन 44 लोग घायल हो जाते हैं।

यह जानकारी सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट "रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया 2021" में सामने आई है।

रिपोर्ट में जो आंकड़े साझा किए गए हैं उनके मुताबिक 2021 में 4,12,432 हादसे हुए थे। इन हादसों में करीब 1,53,972 बदनसीबों की मौत हो गई थी, जबकि 3,84,448 लोग किसी न किसी रूप में घायल हुए थे।

गौरतलब है कि यह रिपोर्ट राज्?यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभागों द्वारा एकत्र आंकड़ों और उनसे प्राप्त सूचनाओं पर आधारित है।

यदि 2019 से तुलना की जाए तो इस वर्ष देश में हुए सडक़ हादसों और उनसे होने वाली मौतों और घायलों की संख्?या में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गई है। हालांकि यह सडक़ नियमों की वजह से नहीं बल्कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप और विशेष रूप से मार्च-अप्रैल, 2020 के दौरान हुए देशव्यापी लॉकडाउन और धीरे-धीरे अनलॉकिंग और नियंत्रण उपायों के चलते संभव हुआ है।

देखा जाए तो इन हादसों से जुड़े प्रमुख संकेतकों के मामले में 2019 की तुलना में 2021 प्रदर्शन बेहतर हुआ है। गौरतलब है कि 2021 में हुई सडक़ दुर्घटनाओं में 8.1 फीसदी और घायलों की संख्?या में 14.8 फीसदी की कमी आई है। हालांकि, 2019 की समान अवधि की तुलना में 2021 में सडक़ दुर्घटनाओं से होने वाली मृत्यु दर में 1.9 फीसदी की वृद्धि हुई है।

हालांकि यदि 2020 से तुलना की जाए तो 2021 में सडक़ हादसों में औसतन 12.6 फीसदी का इजाफा हुआ। वहीं इन हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या में 16.9 फीसदी और घायलों के आंकड़े में 10.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

गौरतलब है कि 2020 में कुल 3,66,138 सडक़ हादसे हुए थे, जिनमें 1,31,714 लोगों की मौत हो गई थी वहीं 3,48,279 लोग घायल हुए थे। देखा जाए तो 2020 में हर 100 हादसों में 36 लोगों की मौत हुई थी।

सडक़ नियमों की अनदेखी लोगों पर पड़ रही भारी

सडक़ सम्बन्धी नियम कितने जरूरी  हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश में सीट बेल्ट नहीं लगाने से 2021 में 16,397 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इनमें से 8,438 चालक जबकि 7,959 यात्री थे। इसी तरह 2021 के दौरान कुल 46,593 व्यक्ति हेलमेट न पहनने के कारण सडक़ दुर्घटनाओं का शिकार हो गए थे।

इनमें 32,877 टू-व्हीलर चालक जबकि 13,716 सह-यात्री थे। इसी तरह रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में हेलमेट न पहनने से 93,763 लोगो घायल हो गए थे, जबकि सीट बेल्ट न लगाने से 39,231 लोगों को चोटें आईं थी।

इसी तरह जानलेवा सडक़ दुर्घटनाएं 2021 में 17.7 फीसदी की वृद्धि के साथ 2020 में 1,20,806 से बढक़र 2021 में 1,42,163 पर पहुंच गई थी। देखा जाए तो यह जानलेवा हादसे, कुल सडक़ दुर्घटनाओं का 34.5 फीसदी हिस्सा थी।

इसी तरह जानलेवा सडक़ दुर्घटनाएं 2021 में 17.7 फीसदी की वृद्धि के साथ 2020 में 1,20,806 से बढक़र 2021 में 1,42,163 पर पहुंच गई थी। देखा जाए तो यह जानलेवा हादसे, कुल सडक़ दुर्घटनाओं का 34.5 फीसदी हिस्सा थी। इतना ही नहीं रिपोर्ट से पता चला है कि सडक़ दुर्घटनाओं के मामले में 18-45 वर्ष की आयु के लोग सबसे ज्यादा दुर्भाग्यशाली थे। 2021 में इन हादसों में हुई कुल मौतों में इस आयु वर्ग की करीब 67 फीसदी हिस्सेदारी रही।

यदि वैश्विक स्तर पर भी देखें तो सडक़ दुर्घटनाओं में होने वाली 90 फीसदी मौतें निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में होती हैं। वहीं भारत विश्व की सडक़ हादसों में होने वाली 11 फीसदी मौतों के साथ शीर्ष पर है। 2021 में ट्रैफिक नियम के उल्लंघन को देखें तो ओवर स्पीडिंग की वजह से 69.6 फीसदी लोगों की मौत हुई थी। वहीं गलत दिशा में ड्राइविंग से 5.2 फीसदी मौतें दर्ज की गई थी।

इसी तरह 46.9 फीसदी दुर्घटनाएं खुले क्षेत्रों में हुई थी, जहां आबादी नहीं थी। वहीं 54.2 फीसदी मौतें और 46.9 फीसदी चोटें खुले क्षेत्र में लोगों  को लगी थी, जो इस बात को दर्शाता है कि रफ्तार कहीं ज्यादा घातक सिद्ध हुई थी।

वहीं यदि वाहनों के लिहाज से देखें तो  2021 के सडक़ हादसों में हुई कुल मौतों में दोपहिया सवारों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा करीब 45.1 फीसदी रही। इसके बाद इन हादसों में 18.9 फीसदी मौतें पैदल यात्रियों की हुई थी। जो दर्शाता है आज भी भारत में पैदल यात्री और दोपहिया चालक सडक़ों पर सुरक्षित नहीं हैं।

रिपोर्ट से पता चला है कि 2021 में देश में नेशनल हाइवे पर कुल 1,28,825 सडक़ हादसे हुए थे। जिनमें 56,007 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि इन हादसों में 1,17,765 लोग घायल हुए थे। (downtoearth.org.in/)

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