विचार / लेख

- विष्णु नागर
राहुल गांधी क्या कभी देश के प्रधानमंत्री बन सकेंगे? मुझे शक है। इसकी वजहें हैं।एक तो वे अंबानी-अडाणी पर लगातार हमलावर हैं और ये देश के दो सबसे बड़े थैलीशाह हैं।ये कभी ऐसे आदमी को प्रधानमंत्री बनते हुए देखना नहीं चाहेंगे,जो आज उनकी सख्त आलोचना करता हो और जो अपनी आलोचनाओं में गंभीर भी दिखता हो। जो पैदल चल कर गरीब जनता का दुख- दर्द किताबों से नहीं, अपने प्रत्यक्ष अनुभव से जान रहा हो। संभव है सत्ता आने पर कुछ ऐसा करने की कोशिश भी करे,जो इनके बुनियादी हितों के खिलाफ जाए!और कुछ करने की फिर भी कोशिश करे तो उनकी पार्टी ही उनका साथ न दे!
दूसरा अगर आज जैसी गंभीरता राहुल गांधी दिखा रहे हैं, उसके प्रति अगर वह सच्चे रह पाते हैं तो वह अकेले ऐसे राजनीतिक व्यक्ति होंगे, जिसे गरीबों का दुख-दर्द वाकई सालता हुआ लगता है। जो तीन गरीब बच्चियों को फटे कपड़ों में ठंड से कांपता देखकर इतना पिघल जाता है कि खुद भी तय करता है कि तब तक मैं ऊनी कपड़े नहीं पहनूंगा, जब तक कांपने नहीं लग जाता, जब तक ठंड बर्दाश्त से बाहर नहीं हो जाती! जिस दिन इनके शरीर पर स्वेटर होगा, मेरे शरीर पर भी होगा!
और जो अपने साथ चल रहा एक यात्री जब गर्व से कहता है कि हम तीन हजार किलोमीटर चल चुके हैं। तो राहुल गांधी उससे कहते हैं कि सुनो, तुम-हम दिन में तीन बार खाते हैं। गरीब मजदूर इससे भी ज्यादा चलता है और आधी रोटी खाकर चलता है। वास्तविक समस्या यह है कि लोगों की तपस्या का इस देश में मोल नहीं है। और भी बुरी बात यह है कि इन करोड़ों लोगों की तपस्या का फल कुछ लोग हड़प जाते हैं।
जब इस देश को गरीबों का नकली हमदर्द, अमीरों का अमीरों से अधिक असली हमदर्द नेता मिला हुआ है,जो नफरत, हिंसा और झूठ का खेल खेलने में बेहद माहिर है, वाक्चातुर है, तो अमीरउमरा मिलकर राहुल गांधी को क्यों प्रधानमंत्री बनाना चाहेंगे? अपने नोटों का खेल फिर से क्यों नहीं दिखाएंगे। क्यों नफरत का चक्र तेजी से नहीं घुमवाएंगे?
वैसे भारत का आदमी हमेशा उम्मीद में जीता है और हमेशा ठगा जाता है, यह भी एक कटु सत्य है।