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अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का कहना है कि ट्रक जितना बड़ा एक क्षुद्रग्रह धरती के बेहद पास से बिना कोई नुकसान किए गुजर गया. फिल्मों की तरह परमाणु अस्त्रों से इस क्षुद्रग्रह को धरती से दूर करने की जरूरत नहीं पड़ी.
2023 बीयू नाम के इस क्षुद्रग्रह को पहली बार क्राइमिया में शौकिया अंतरिक्ष को देखने वाले गेन्नडी बोरिसोव ने शनिवार 21 जनवरी को देखा था. उसके बाद उन्होंने अपने जैसे दूसरे अंतरिक्ष प्रेमियों को इसके बारे में बताया.
इस क्षुद्रग्रह के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं थी. एक तरह से यह अचानक अंतरिक्ष के अंधकार में से निकल कर आया. चूंकि यह सीधा धरती की तरफ बढ़ रहा था और काफी करीब आने की आशंका भी थी, जानकारों इसे लेकर चिंतित थे.
धरती के बेहद करीब
दुनिया भर के वैज्ञानिक तुरंत इस बात का पता लगाने में जुट गए कि यह क्षुद्रग्रह आखिर किस तरफ बढ़ रहा है और क्या धरती पर हमें तुरंत कोई निकासी योजना बनाने की जरूरत तो नहीं है. लेकिन नासा की इम्पैक्ट मूल्यांकन प्रणाली स्काउट का इस्तेमाल करके विशेषज्ञों ने जल्द ही पता लगा लिया कि यह धरती से टकराएगा नहीं.
अंत में हुआ वही. 2023 बीयू दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी छोर के काफी करीब से निकल गया. जब वह धरती के सबसे करीब था तब उसके और धरती के बीच सिर्फ 3,600 किलोमीटर की दूरी थी.
यह उस दूरी के सिर्फ एक चौथाई के बराबर है जितनी दूरी पर हमारे टेलीफोन और गाड़ियों के नैविगेशन प्रणालियों को चलाने वाले जियोस्टेशनरी सैटलाइट रहते हैं.
पास आने का असर
स्काउट को बनाने में मदद करने वाले नासा के डेविड फार्नोकिया ने बताया, "स्काउट ने जल्द ही यह बता दिया था कि 2023 बीयू की धरती से टक्करनहीं होगी लेकिन यह भी कहा था कि वह असाधारण रूप से धरती के काफी करीब से गुजरेगा."
उन्होंने यह भी कहा, "बल्कि यह धरती के सबसे करीब से गुजरने वाली खगोलीय वस्तुओं में से रहा." वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अनुमान अगर थोड़े गलत भी साबित होते तो भी धरती को कोई नुकसान होने की संभावना बहुत कम थी.
आकार में सिर्फ 11 से 28 फुट चौड़ा यह क्षुद्रग्रह कोई भी नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत छोटा है और धरती के वायुमंडल से गुजरते हुए यह लगभग पूरी तरह जल कर खत्म ही हो जाता. अगर कुछ उल्कापिंड धरती तक पहुंच भी जाते तो वो काफी छोटे होते, ना की शहरों को बर्बाद कर देने वाले और सुनामी लाने वाले होते जैसा कुछ फिल्मों में दिखाया गया है.
नासा के विशेषज्ञों का कहना था कि धरती के इतनी करीब आने का उस क्षुद्रग्रह पर ज्यादा असर होगा. धरती का गुरुत्वाकर्षण उस क्षुद्रग्रह की कक्षा को प्रभावित करेगा और सूर्या का चक्कर लगाने की उसकी अवधि को 359 दिनों से बढ़ा कर 425 दिन कर देगा.
सीके/एए (एएफपी)