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बजट में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर
02-Feb-2023 1:12 PM
बजट में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण ने आम बजट पेश करते हुए कहा कि इस बार का बजट समृद्ध और समावेशी भारत की परिकल्‍पना को साकार करता है.मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह अमृतकाल का पहला बजट है.

  डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट- 

केंद्र सरकार ने अपने आखिरी पूर्ण बजट में महिलाओं के लिए नई बचत योजना का ऐलान किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत बजट में महिला सम्मान बचत पत्र जारी करने का ऐलान किया है. इसकी मियाद दो साल के लिए होगी और इनके तहत किसी महिला या लड़की के नाम से दो साल के लिए, दो लाख रुपये जमा करवाए जा सकेंगे. इस पर सरकार द्वारा 7.50 फीसदी ब्याज दिया जाएगा.

वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा, "आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के साथ ही, वन टाइम नई लघु बचत योजना महिला सम्मान बचत पत्र मार्च 2025 तक उपलब्ध कराया जाएगा. इसके तहत 2 लाख रुपये तक की जमा पर फिक्स्ड ब्याज दर 7.50 फीसदी रहेगा." जैसे ही सीतारमण ने यह ऐलान किया प्रधानमंत्री मोदी समेत सभी सदस्य मेज थपथपाने लगे.

हालांकि आर्थिक जानकार इसे बचत से जोड़कर तो देख रहे हैं लेकिन साथ ही कह रहे हैं यह उम्मीद से कम है.

महिलाओंं के लिए बचत योजना का ऐलान
महिला सम्मान बचत पत्र योजना केवल एक बार के लिए होगी. इसमें आंशिक निकासी का विकल्प भी होगा. बजट में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की बात कही गई है. वित्त मंत्री ने बताया कि दीन दयाल अंत्योदय योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को 81 लाख स्वयं सहायता समूह से जोड़ा गया है. उन्होंने कहा स्वयं सहायता समूह को आर्थिक सशक्तिकरण के अगले चरण तक पहुंचाने के लिए बड़े उत्पादक उद्यम बनाए जाएंगे.

बजट में वित्त मंत्री ने कई नर्सिंग कॉलेज खोले जाने की घोषणाएं की. मौजूदा 157 मेडिकल कॉलेजों के साथ 157 नए नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जाएंगे.

यशोदा हेल्थकेयर की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. उपासना अरोड़ा के मुताबिक सरकार ने नर्सिंग कॉलेज बढ़ाने का अच्छा कदम उठाया है. उन्होंने कहा, "150 से अधिक नर्सिंग कॉलेज और बनाने से इसका बहुत लाभ होगा और इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा. हमारे पास कुशल स्टाफ होगा."

जनता को बजट से कुछ नहीं मिला-विपक्ष
हालांकि विपक्षी दल बजट में जनता को कुछ नहीं दिए जाने का आरोप लगा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, "भाजपा अपने बजट का दशक पूरा कर रही है पर जब जनता को पहले कुछ न दिया तो अब क्या देगी. भाजपाई बजट महंगाई व बेरोजगारी को और बढ़ाता है. किसान, मजदूर, युवा, महिला, नौकरीपेशा, व्यापारी वर्ग में इससे आशा नहीं निराशा बढ़ती है क्योंकि ये चंद बड़े लोगों को ही लाभ पहुंचाने के लिए बनता है."

वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बजट पर तंज करते हुए ट्वीट किया, "पिछले साल के बजट में कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनरेगा और अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए किए गए आवंटन की सराहना की गई थी. आज हकीकत सबके सामने है. आवंटित राशि की तुलना में व्यय काफी कम है. यह हेडलाइन मैनेजमेंट के लिए पीएम मोदी की OPUD स्ट्रेटजी है- ओवर प्रॉमिस, अंडर डिलीवर."

वहीं कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "आम बजट में कुछ अच्छी चीजें हैं, लेकिन मनरेगा, गरीब ग्रामीण श्रम, रोजगार और महंगाई का कोई जिक्र नहीं किया गया है. कुछ बुनियादी सवालों के जवाब बाकी रह गए." (dw.com)
 

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