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घोटाले, फर्जी पोर्न और रोमांस .... एआई की दुनिया रोमांचक लेकिन बेहद खतरनाक भी
06-Feb-2023 8:17 PM
घोटाले, फर्जी पोर्न और रोमांस .... एआई की दुनिया रोमांचक लेकिन बेहद खतरनाक भी

ब्रिसबेन (ऑस्ट्रेलिया), 6 फरवरी। जनरेटिव कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर आधारित बाजार 2030 तक लगभग 22 ट्रिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का हो जाएगा। एआई इंसानों के जीवन में आमूलचूल बदलाव लाने जा रही है। इस समय एआई आधारित जो प्रणालियां हैं उनमें चैट जीपीटी दुनिया भर में चर्चा के केंद्र में है। चैटजीपीटी आपके लिए निबंध और कोड लिख सकती है, संगीत और कलाकृति निर्मित कर सकती है, और सामने बैठे किसी व्यक्ति की तरह वार्तालाप कर सकती है। लेकिन अगर इस एआई का अपराध जगत द्वारा इस्तेमाल किया गया तो क्या होगा?

पिछले सप्ताह, स्ट्रीमिंग कम्युनिटी एक घटना से दहल गई। लोकप्रिय ट्विच स्ट्रीमर एट्रियोक ने माफीनामे वाला एक वीडियो पोस्ट किया, उसकी आंखों में आंसू थे। उसे अन्य महिला स्ट्रीमर के चेहरों पर दूसरे चेहरे लगाकर पोर्न सामग्री देखते हुए पकड़ लिया गया था।

‘डीप फेक’ टेक्नोलॉजी में किसी सिलेब्रिटी के चेहरे के फोटो को कुछ समय के लिए किसी पोर्न स्टार के चेहरे पर लगा दिया जाता है। लेकिन तकनीक जितनी आधुनिक होती जा रही है, उतना ही ऐसे फर्जीवाड़े का पता लगाना मुश्किल होता जा रहा है।

लेकिन यह तो विशाल समस्या का केवल एक छोटा सा नमूना भर है। गलत हाथों में पड़ने पर एआई भयानक नुकसान पहुंचा सकती है। यदि कायदे कानूनों के जरिए इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके चलते बहुत कुछ बिखर जाएगा।

विवाद से लेकर अपराध तक

पिछले महीने, एआई ऐप लेंसा की बहुत आलोचना हुई। उसके सिस्टम ने उपयोगकर्ताओं के चेहरों की तस्वीरें लेकर पूरी तरह निर्वस्त्र और अति उत्तेजित तस्वीरें तैयार कर दीं। इतना ही नहीं, इसने महिलाओं की त्वचा की रंगत बदल दी और उन्हें यूरोपीय नैन नक्श वाला बना दिया।

हो हल्ला तो मचना ही था। लेकिन इस हंगामे में एक बात की अनदेखी कर दी गई कि घोटालों में एआई कितनी खतरनाक भूमिका अदा कर सकती है। घटना की अतिवादी तस्वीर यह है कि ऐसी रिपोर्ट हैं कि एआई के ये टूल फर्जी फिंगरप्रिंट और फेसियल स्कैन भी तैयार कर सकते हैं (ऐसी विधि जिससे हम अपने फोन का लॉक खोलते हैं।)

अपराधी भी खेल में बढ़त हासिल करने के लिए जनरेटिव एआई के इस्तेमाल के नए तरीके ढूंढ़ रहे हैं ताकि वे ज्यादा सफाई के साथ अपराधों को अंजाम दे सकें।

घोटालों में जनरेटिव एआई के इस्तेमाल के प्रति आकर्षण इसकी बड़ी मात्रा में डेटा में पैटर्न खोजने की क्षमता से आता है।

साइबर सिक्योरिटी ने ‘बैड बोट्स’ में वृद्धि देखी है : ये ऐसे दुर्भावनापूर्ण आटोमेटिड प्रोग्राम्स हैं जो अपराध को अंजाम देने के लिए मानवीय व्यवहार की नकल करते हैं। जनरेटिव एआई से इन्हें और धार मिलेगी और इन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाएगा।

आपको कभी ‘टैक्स आफिस’ से कोई घोटाला संदेश मिला है जिसमें दावा किया गया हो कि आप आकर अपनी बड़ी धनराशि ले जाएं? या कभी कोई ऐसा फोन काल आया हो कि आपकी गिरफ्तारी का वारंट है।

ऐसे घोटालों में, जनरेटिव एआई का इस्तेमाल संदेश या ईमेल की क्वालिटी सुधारने में किया जा सकता है ताकि वे अधिक विश्वसनीय लगें।

उदाहरण के लिए अब जनरेटिव एआई की मदद से रोमांस घोटाले सामने आ रहे हैं जहां अपराधी रोमांटिक संबंध की आड़ में अपने शिकारों से धन ऐंठते हैं।

इसके अलावा, इन प्रणालियों का उपयोग कंप्यूटर कोड को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है, जिसके बारे में कुछ साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इससे एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर के लिए मैलवेयर और वायरस बनाना आसान और उनका पता लगाने में कठिन होगा।

तकनीक आ चुकी है और हम तैयार नहीं हैं

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की सरकारों ने एआई से संबंधित नियम प्रकाशित किए हैं, लेकिन वे बाध्यकारी नियम नहीं हैं। जहां तक एआई के प्रभाव का संबंध है, गोपनीयता, पारदर्शिता और भेदभाव से स्वतंत्रता से संबंधित दोनों देशों के कानून उतने मजबूत नहीं हैं। यहां हम बाकी दुनिया से पिछड़ जाते हैं।

अमेरिका में 2021 से एक राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनिशिएटिव कानून है। और 2019 के बाद से कैलिफ़ोर्निया में यह गैर-कानूनी है कि बिना यह बताए कि वह मानव नहीं है, बॉट वाणिज्य या चुनावी उद्देश्यों के लिए उपयोगकर्ताओं के साथ बातचीत करे।

हालांकि चैटजीपीटी जैसे टूल्स से प्राप्त एआई आउटपुट का पता लगाने के लिए टूल्स विकसित किए जा रहे हैं। अगर ये प्रभावी साबित हुए तो एआई आधारित साइबर अपराधों से निपटने में काफी मददगार हो सकते हैं। (द कन्वरसेशन)

(द कन्वरसेशन)

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