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भारत के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सीनियर समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश का एक बार फिर समर्थन किया है.
उन्होंने कहा किसी वकील के जज बनने की पेशेवर दक्षता और उसकी यौन अभिरुचियों का कोई नाता नहीं है.
सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने के लिए कॉलेजियम ने दूसरी बार सिफारिश की थी.
कॉलेजियम की इस सिफारिश के बाद इस मामले पर विवाद पैदा हो गया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ शनिवार को चंद्रचूड़ ने 'इंडिया कॉन्क्लेव' में कहा कि कॉलेजियम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने के लिए वकीलों के नामों पर विचार करता है.
ऐसे में इस बात को लेकर सजगता बरती जाती है कि कॉलेजियम उनकी जिंदगी के हर पहलू को समाज के सामने उजागर नहीं कर सकता.
कॉलेजियम ने लिखा था कि LGBTQI (लेस्बियन, गे, बाईसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर एंड इंटरसेक्स) लोगों के हक़ों की बात करने के मामले में एक वकील के तौर पर सौरभ कृपाल ने जो कुछ किया है वो "मील का पत्थर" है.
एक समलैंगिक के रूप में सौरभ कृपाल ने अपनी पहचान नहीं छिपाई है.
क़ानून के जानकारों ने फिर से सौरभ कृपाल के नाम की सिफ़ारिश करने के फ़ैसले का स्वागत किया है.
कॉलेजियम देश के चीफ़ जस्टिस जस्टिस डॉक्टर धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक समिति है.
दिल्ली हाई कोर्ट के जज के पद के लिए जस्टिस चंद्रचूड़ ने सौरभ कृपाल के नाम के प्रस्ताव पर एक बार फिर हामी भरी है. (bbc.com/hindi)