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राहत के आसार नहीं
मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसे कारोबारियों, और अफसरों को राहत नहीं मिल पा रही है। इस केस में जेल में बंद सुनील अग्रवाल की जमानत अर्जी भी मंगलवार को हाईकोर्ट से खारिज हो गई। सुनील अग्रवाल स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकील आए थे। सुनील से परे जेल में बंद निलंबित आईएएस समीर विश्नोई, और सौम्या चौरसिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई होना बाकी है। दूसरी तरफ, जिन कारोबारियों-अफसरों की प्रॉपर्टी अटैच हुई है। उनके केस पर दिल्ली ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई। अफसरों की तरफ से ट्रिब्यूनल में कई बड़े वकील पेश हुए। मगर फिलहाल कोई राहत की कोई खबर नहीं आई है।
मरकाम खुश...
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम इन दिनों खुश हैं। खुशी की एक बड़ी वजह यह भी है कि पिछले दिनों दिल्ली में राहुल गांधी के निवास पर पूछताछ के लिए दिल्ली पुलिस की टीम पहुंची थी, उस समय मरकाम आधा दर्जन सांसदों के साथ राहुल के आवास पर ही थे। बाद में वो संगठन से जुड़ी कई बातें हाईकमान तक पहुंचाने में सफल रहे। उन्हें हटाने की चर्चाओं के बीच अपनी बात रखने का मौका मिला, तो खुश होना लाजमी है।
सुनते हैं कि मरकाम, सीएम के साथ तालमेल बेहतर करना चाहते हैं। वो इसके लिए प्रयासरत भी हैं। हाईकमान ने उन्हें 90 सचिवों का नाम तय कर भेजने के लिए कहा है। मरकाम सीएम से नाम लेकर जल्द ही सूची हाईकमान को भेज सकते हैं। हल्ला यह भी है कि सीएम जिन नामों से असहमत हैं, उन्हें संगठन से हटाने के लिए भी तैयार हैं। चर्चा है कि विधानसभा सत्र निपटने के बाद नियुक्ति की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। देखना है आगे क्या होता है।
रेडी टू ईट के सैंपल अब क्यों फेल?
आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों, शिशुओं, गर्भवती और प्रसूता माताओं के लिए अब बीज निगम की ओर से तय किए गए फर्म की तरफ से रेडी टू ईट की सप्लाई की जाती है। जब सरकार ने यह फैसला लिया तो प्रभावित महिला स्व सहायता समूहों ने सरकार के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि इससे 20 हजार महिलाओं का रोजगार छिन जाएगा। उन्होंने मशीनों के लिए ऋण भी ले रखा है। शासन के तर्क वजनदार थे। हाईकोर्ट में महिला स्व सहायता समूहों को हार हाथ लगी। शासन का यह तर्क मान लिया गया कि गुणवत्ता और एकरूपता के लिए बीज निगम को काम सौंपना सही है। इस पॉलिसी का भाजपा ने विरोध किया था। इसका राजनीतिक पक्ष यह था कि इन समूहों का भाजपा शासनकाल के दौरान गठन हुआ था। इससे जुड़ी महिलाएं भाजपा नेताओं की सभा के लिए भीड़ जुटाने का काम करती रही हैं। बहरहाल, अप्रैल 2022 से बीज निगम की ओर से तय की गई एजेंसी रेडी टू ईट का निर्माण और वितरण आंगनबाड़ी केंद्रों में कर रही है। अभी विधानसभा में रेडी टू ईट की गुणवत्ता पर सवाल उठाया गया। सरकार की ओर से जवाब आया है कि जनवरी 2023 तक लिए गए सैंपल में से 118 गुणवत्ताविहीन थे। मतलब यह है कि गुणवत्ता की जिस चिंता को लेकर व्यवस्था बदली गई, वह जस की तस है। यह एक ऐसा मसला है जिस पर ज्यादा ध्यान लोगों का नहीं जाता है। पर यह करोड़ों रुपए खर्च कर कुपोषण से राज्य को मुक्त कराने के अभियान पर सवाल खड़ा करता है। देश का आंकड़ा कहता है कि यहां पैदा होने वाले प्रत्येक एक हजार में 41 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। छत्तीसगढ़ का देश में कुपोषित बच्चों और माताओं के मामले में स्थान तीसरा है।
दादा को याद रखने का तरीका
लॉ स्टूडेंट खुशी के दादा हमेशा साइकिल पर चलते थे। दिसंबर 2022 में शाम के वक्त घने कोहरे के बीच एक कार ने उनको टक्कर मार दी। दादा बिछुड़ गए। अब उनकी स्मृतियों को जिंदा रखने के लिए खुशी हर शाम सडक़ पर निकल जाती है और साइकिल पर आने-जाने वालों के फ्रंट और बैक साइड पर इंडिकेटर लगाती हैं। लखनऊ में वो खुद का एक लॉ फर्म चलाती हैं। इससे होने वाली आमदनी का एक हिस्सा साइकिल पर चलने वालों के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने और जागरूक करने का अभियान चलाती हैं। साइकिल पर चलने वालों की प्राय: उपेक्षा की जाती है। सडक़ निर्माण के समय इनके लिए कोई सुरक्षित रास्ता बनाने के बारे में कभी प्लानिंग नहीं की जाती। जबकि दूसरे कई देशों में साइकिल पर चलने वालों को पर्याप्त स्पेस दिया जाता है उनके लिए रास्ते प्राथमिकता से तय किए जाते हैं। खुशी ने एक संदेश दिया है कि साइकिल पर चलने वाले लोगों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए और खुद चलाने वाले भी अपनी हिफाजत का ध्यान रखें।