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बिलकिस गैंगरेप के दोषी मंच पर आसीन, आयोजक बोले- हमें नहीं पता
30-Mar-2023 1:24 PM
बिलकिस गैंगरेप के दोषी मंच पर आसीन, आयोजक बोले- हमें नहीं पता

-रॉक्सी गागडेकर छारा

नई दिल्ली, 30 मार्च । ''सामूहिक बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर आरोपों के दोषी लोग अगर सत्ताधारी पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मंच साझा करते हैं तो ये देखकर डर लगता है.''

गुजरात के 2002 दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई बिलकिस बानो अपनी निराशा और डर का इज़हार करती हैं. पिछले सप्ताह दाहोद के सांसद जसवंतसिंह भाभोर की एक फ़ेसबुक पोस्ट में लगी तस्वीरें देखकर बिलकिस को धक्का लगा.

जसवंतसिंह भाभोर ने राज्य के जल संसाधन विभाग की ओर से 25 मार्च, 2023 को दाहोद ज़िले की लिमखेड़ा तहसील के सिंगवाड़ गांव में आयोजित एक कार्यक्रम के बारे में यह पोस्ट किया था.

इस पोस्ट में लगी तस्वीरों में बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार कांड के एक दोषी शैलेश भट्ट, दाहोद के सांसद जसवंतसिंह भाभोर और लिमखेड़ा के विधायक शैलेश भाभोर के साथ मंच की सबसे अगली क़तार में बैठे दिख रहे थे.

सांसद और विधायक दोनों बीजेपी के नेता हैं और रिश्ते में भाई हैं.

बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के 14 लोगों की हत्या करने के अपराध में शैलेश भट्ट सहित 11 लोग दोषी क़रार दिए गए थे. गुजरात सरकार ने 14 साल जेल में बिताने के बाद इन लोगों को पिछले साल माफ़ी दे दी, जिसके बाद ये सभी जेल से रिहा हो गए थे.

ये सभी दोषी अब आजाद हैं. लेकिन ताज़ा तस्वीरें देखकर बिलकिस बानो और उनका पूरा परिवार दहशत में जी रहा है.

कई स्थानीय लोगों ने बताया कि रिहा होने के बाद से इन लोगों को अक्सर बीजेपी के विभिन्न कार्यक्रमों और रैलियों में देखा जाता है.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ

इस घटना के बाद बीबीसी ने बिलकिस बानो के पति याकूब पटेल से बातचीत की. वे फ़िलहाल दाहोद में एक संयुक्त परिवार में रहते हैं. छोटे-मोटे काम करके जीवनयापन करते हैं.

उन्होंने बीबीसी को बताया, ''हम सभी मेंटल ट्रॉमा में हैं. ये तस्वीरें सभी के लिए ये जानने का सबूत हैं कि यह सरकार इन दोषियों के साथ है.''

बिलकिस बानो रमज़ान के महीने में अपने परिजनों के साथ रोज़ा रख रही हैं. इन तस्वीरों को देखने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई है.

उनके पति याकूब पटेल ने बताया, ''इन तस्वीरों को देखने के बाद से बिलकिस की सेहत ठीक नहीं है. ये हम ही जानते हैं कि हम कैसे दिन-रात डर में बिताते हैं. हम सब डरे हुए हैं कि हमारे साथ कभी भी, कुछ भी हो सकता है.

दोषियों की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से उस नीति के बारे में बताने को कहा है, जिसके तहत बिलकिस बानो कांड के दोषियों को पिछले साल अगस्त में राज्य सरकार ने रिहा कर दिया था.

याकूब ने कहा, ''मुझे ख़ुशी है कि सुप्रीम कोर्ट हमारी याचिका सुनने के लिए तैयार हो गया है. हमें न्यायपालिका से बहुत उम्मीदें हैं.''

क्या ये दोषी बीजेपी में शामिल हो गए हैं?

रंधिकपुर के स्थानीय लोगों की मानें तो बिलकिस बानो मामले के सभी 11 अभियुक्त कई सालों से बीजेपी और आरएसएस के साथ हैं. हालांकि किसी भी अधिकारी ने हाल में उनके पार्टी से जुड़ने के बारे में पुष्टि नहीं की है.

दाहोद बीजेपी अध्यक्ष शंकर अमलियार ने कहा, ''भट्ट आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं, न ही किसी अन्य दोषी ने पार्टी में शामिल होने को लेकर अपनी रुचि दिखाई है.''

उन्होंने कहा कि पार्टी ने इस कार्यक्रम में शैलेश भट्ट को आमंत्रित नहीं किया था, लेकिन हो सकता है वे एक आम आदमी के तौर पर इस कार्यक्रम में शामिल हुए हों, जो हमारे नियंत्रण में नहीं है.''

दाहोद ज़िले में बीजेपी के एक अन्य शीर्ष नेता नरेंद्र सोनी ने कहा कि यह लोगों के लिए आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम था जिसमें भट्ट सहित कई अन्य लोग शामिल हुए.

यह पूछे जाने पर कि भट्ट को मंच पर अगली क़तार में कुर्सी कैसे मिली, उन्होंने कहा, ''इसकी मुझे जानकारी नहीं है क्योंकि मैं उस कार्यक्रम में मौजूद नहीं था.''

बीबीसी ने बीजेपी सांसद जसवंतसिंह भाभोर और लिमखेड़ा विधायक शैलेश भाभोर से भी बात करने की कई कोशिश की, लेकिन दोनों ने कई बार प्रयास करने के बावजूद बात नहीं की.

इसी घटना को लेकर अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस को शैलेश भाबोर ने कुछ दिन पहले बताया था कि एक विधायक होने के नाते उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि इस कार्यक्रम में कौन-कौन लोग शामिल हुए थे.

वैसे यह पहली बार नहीं है, जब दोषियों को बीजेपी नेताओं के साथ देखा गया है.

बिलकिस बानो के पति याकूब पटेल ने बताया, ''यह पहली बार नहीं है, जब शैलेश भट्ट बीजेपी नेताओं के साथ नजर आ रहे हों.''

जसवंतसिंह भाभोर के फ़ेसबुक अकाउंट का स्क्रीन शॉट देते हुए याकूब ने कहा कि भाभोर और भट्ट को 2020 में भी एक कार्यक्रम में देखा गया था. उस समय शैलेश भट्ट पैरोल पर जेल से बाहर थे.

याकूब ने बताया, ''ऐसे कई उदाहरण हैं, जब ये सभी 11 लोग बीजेपी के कार्यक्रमों में आज भी देखे जाते हैं.''

उन्होंने 2002 के उस दुर्भाग्यपूर्ण साल को याद किया जब उनके परिवार के 14 सदस्य मार दिए गए जिनमें उनकी ढाई साल की बेटी भी शामिल थी.

याकूब पटेल ने कहा, ''ये 11 अभियुक्त शुरू से ही बीजेपी का हिस्सा थे.''

उन्होंने बताया कि शैलेश भट्ट इस इलाके में बीजेपी के प्रमुख नेताओं में रहे हैं. वे लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं.

भट्ट को आमंत्रित किसने किया?

बीबीसी ने भट्ट को आमंत्रित करने वालों के बारे में पता करने के लिए बीजेपी नेताओं के साथ-साथ इस कार्यक्रम के आयोजक, राज्य के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से बातचीत की.

बीबीसी ने ये पता करना चाहा कि शैलेश भट्ट सरकार के इस कार्यक्रम में कैसे पहुंचे और उन्हें बुलाया किसने. लेकिन न तो पार्टी ने और न ही सरकार ने इस बात की ज़िम्मेदारी ली.

बीजेपी और सरकार दोनों ने भट्ट को किसी तरह के निमंत्रण देने की बात से इनकार किया.

दाहोद के जल संसाधन विभाग के डिप्टी इंजीनियर पीएम परमार ने बीबीसी को बताया, ''यह सच है कि यह कार्यक्रम हमने आयोजित किया था, लेकिन हमें इस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में शामिल होने वालों के बारे में जानकारी नहीं थी और हमें इस बात की भी जानकारी नहीं थी कि इसमें मेहमानों के बैठने की क्या व्यवस्था है.''

यह कार्यक्रम दाहोद ज़िले के सिंगवाड़ गांव में आयोजित किया गया था. बीबीसी ने सिंगवाड़ गांव की सरपंच लखी वाहोरिया से भी बात करने की कोशिश की. उनकी जगह उनके बेटे जीवनलाल वाहोरिया ने बीबीसी से बात की और इस बात से इनकार किया कि उन्होंने कोई निमंत्रण नहीं दिया था.

यह इवेंट राज्य के जल संसाधन विभाग ने पानी की पाइपलाइन बिछाने की शुरुआत होने पर आयोजित किया था.

राजनीतिक विज्ञानी घनश्याम शाह ने कहा कि पार्टी के लिए ये मैसेज सबसे अहम है. वे बस इतना कहना चाहते हैं कि ''हम रक्षकों का सम्मान कर रहे हैं.'' ऐसे छोटे लेकिन प्रमुख आयोजनों के माध्यम से बीजेपी स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर अपने मतदाताओं को ये बताने की कोशिश कर रही है कि वो हिंदुत्व की विचारधारा के साथ खड़ी है.

बिलकिस बानो मामले में दोषी ठहराए गए लोगों में से ज़्यादातर ऊंची जाति के हैं और इसे राज्य के जातिगत समीकरण से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

हालांकि राजनीतिक विश्लेषक विष्णु पंड्या ने बीबीसी से कहा, ''जब अदालत इन लोगों को पहले ही सज़ा दे चुकी है और ये 14 साल बाद जेल से बाहर आ चुके हैं. ऐसे में इन लोगों को भी आम आदमी की तरह जीने का लोकतांत्रिक अधिकार है.'' (bbc.com/hindi)

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