विचार / लेख

विनीत खरे
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने एक खास बातचीत में बीबीसी से कहा कि ‘ये जिम्मेदारी भारत की है कि वो ऐसा माहौल पैदा करे जो बातचीत के लिए सहायक हो।’
बिलावल भुट्टो से बीबीसी ने शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) की बैठक से ठीक पहले बातचीत की, इस बातचीत में उन्होंने कहा कि ‘कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।’
बिलावल के भारत आने का फैसला कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था क्योंकि इससे पहले की बैठकों में पाकिस्तानी मंत्री वर्चुअली हिस्सा लेते रहे थे।
यह किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की 12 साल बाद हो रही भारत यात्रा थी, उनके एक-एक कदम, एक-एक वाक्य, यहाँ तक कि हर हाव-भाव पर मीडिया की नजरें टिकी रहीं।
पहले ही मीडिया लगातार यह रिपोर्ट कर रहा था कि किस तरह भारतीय विदेश मंत्री ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री से हाथ नहीं मिलाया, एससीओ की बैठक खत्म होने के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री को आतंकवाद का ‘पैरोकार और प्रवक्ता’ बताया।
‘न मदद माँग रहे हैं, न मदद की पेशकश है’
इस वक्त पाकिस्तान भारी राजनीतिक अस्थिरता और भयावह आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ऐसी हालत में क्या पड़ोसी देश भारत, पाकिस्तान की कोई मदद कर सकता है?
यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि यह चर्चा चल रही है कि भारत ने पिछले कुछ समय में संकट में फँसे अफगानिस्तान और भूकंप की आपदा के दौरान तुर्की की मदद की है क्या वैसे ही पाकिस्तान की भी मदद की जा सकती है?
यह सवाल जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री के सामने रखा गया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए इतना ही कहा, ‘हम माँग नहीं रहे हैं और वो पेशकश भी नहीं कर रहे हैं।’
भारत का कहना रहा है कि ‘पाकिस्तान जब तक आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करेगा तब तक उससे बातचीत नहीं हो सकती,’ दूसरी ओर पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने बीबीसी से कहा, ‘जब तक भारत पाँच अगस्त 2019 के अपने फैसले को रिव्यू नहीं करता तब तक बातचीत कारगर नहीं हो सकती।’
पाँच अगस्त 2019 को भारत ने कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करके उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया था, उसके बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ कूटनीतिक रिश्तों का दर्जा घटा दिया था।
गोवा में बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा, ‘मौजूदा हालात में ये भारत पर जिम्मेदारी है कि वो एक ऐसा माहौल पैदा करे जो बातचीत के लिए सहायक हो इसलिए पाकिस्तान के नजरिए से 5 अगस्त 2019 में भारत की ओर से जो कार्रवाई की गई, वो काफी संगीन थी, और जब तक उन्हें रिव्यू नहीं किया जाता दोतरफा बातचीत का कोई मतलब निकलना मुश्किल होगा।’
बिलावल भुट्टो से पूछा गया कि जब वे भारत आए ही हैं तो क्या दोतरफा बातचीत भी करेंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वे एससीओ की बैठक के लिए ही आए हैं और उन्होंने ‘अपने मेजबान से किसी दोतरफा बातचीत की गुजारिश नहीं की है।’
भारत आने को लेकर पाकिस्तान में हो रही आलोचना के बारे में पूछे जाने पर बिलावल भुट्टो ने कहा, ‘कश्मीर के बारे में हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।’
शुक्रवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ‘धारा 370 अब इतिहास की बात है।’
आतंकवाद के सवाल पर
एससीओ बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत को आतंकवाद से पीडि़त बताया। उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद से पीडि़त, आतंकवाद के मुजरिमों से आतंकवाद के बारे में बात नहीं करते।’
बीबीसी से बातचीत में बिलावल भुट्टो जऱदारी ने कहा, ‘पाकिस्तान आतंकवाद से पीडि़त रहा है, एससीओ के किसी भी सदस्य देश के उतने लोगों की जानें आतंकवादी हमलों में नहीं गई है जितनी पाकिस्तान की गई हैं।’
उन्होंने अपनी माँ बेनजीर भुट्टो की हत्या का जिक्र किए बगैर कहा, ‘मैं खुद आतंकवाद से पीडि़त रहा हूँ, मैं यह दर्द निजी तौर पर समझता हूँ।’
उन्होंने कहा, ‘अगर हम वाकई चाहते हैं कि आतंकवाद का हल निकाला जाए तो उसमें से हमें बयानबाजिय़ों और वाजिब चिंताओं को अलग-अलग करना पड़ेगा। भारत की आतंकवाद को लेकर जो वाजिब चिंताएँ हैं, हम भी चाहेंगे कि उनका हल निकले। और पाकिस्तान की भी अपनी चिंताएँ हैं।’
वर्चुअल क्यों नहीं, गोवा में क्यों?
पाकिस्तान में जहाँ कई हलकों में बिलावल भुट्टो की इस भारत यात्रा का स्वागत किया गया, इसकी आलोचना भी हुई।
एक सोच थी कि जब एससीओ बैठक में पाकिस्तानी मंत्री शेरी रहमान वर्चुअली शामिल हुईं, या फिर एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान वर्चुअली शामिल हुआ तो फिर बिलावल भुट्टो जरदारी को भारत आने की क्या ज़रूरत थी, और वो चाहते तो गोवा की बैठक में वे भी वर्चुअल शामिल हो सकते थे।
पाकिस्तान में बिलावल पर सवाल उठाने वाले लोगों का मानना है कि उन्होंने भारत जाकर पाकिस्तान के पारंपरिक स्टैंड को कमजोर किया है।
बीबीसी से बातचीत में बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा उनका इस बैठक में आना एक पैगाम था कि पाकिस्तान कितनी गंभीरता से संगठन में अपने रोल को देखता है।
उन्होंने कहा, ‘जहाँ तक दूसरों की वर्चुअल शिरकत और मेरी इन-परसन शिरकत की बात है, जो बाकी इवेंट्स हैं वो तकनीकी तौर पर एससीओ के हिस्सा हैं मगर इतने आधिकारिक नहीं हैं जितने ये काउंसिल ऑफ फॉरेन मिनिस्टर और हेड्स ऑफ स्टेट का सम्मेलन।’
‘तो उसे देखते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री का पाकिस्तान के लिए प्रतिनिधित्व करना, एक अहम फोरम में पाकिस्तान की सोच को सामने रखना, हमारे ख्याल में जरूरी था।’
एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री के गोवा आने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ‘वो यहाँ आए क्योंकि वो एससीओ सदस्य हैं। आप इससे ज्यादा इसमें कुछ और न देखें। इसका मतलब भी इससे ज्यादा नहीं था।’ (bbc.com)