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12वीं में 99 फीसदी नंबर पर डीयू में मनचाहा कॉलेज मिलने की गारंटी नहीं
18-May-2023 4:24 PM
12वीं में 99 फीसदी नंबर पर डीयू में मनचाहा कॉलेज मिलने की गारंटी नहीं

 श्रेया ने डीपीएस आरके पुरम से 12वीं की पढ़ाई की है और 99 फीसदी अंक हासिल किए हैं. 

 कीर्ति दुबे

17 साल की श्रेया का 12वीं का नतीजा चार दिन पहले आया। सीबीएसई बोर्ड से 99 फीसदी अंक लाने वाली श्रेया डीयू के सेंट स्टीफंस या श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अर्थशास्त्र पढऩा चाहती हैं।

दो साल पहले इतने अंक पाने वाले छात्र को मनचाहा कॉलेज मिल जाता, लेकिन अब तो 99त्न अंक बस चंद लम्हों की खुशी मनाने के ही काम आते हैं।

श्रेया से बीबीसी की मुलाकात दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर की क्लास में हुई। यहां वो अपनी कॉमन यूनिवर्सिटी इंट्रेस टेस्ट यानी ष्टश्वञ्ज की क्लास का इंतजार कर रही थीं।

ष्टश्वञ्ज यानी दिल्ली यूनिवर्सिटी समेत देश के लगभग सभी केंद्रीय और कई निजी विश्वविद्यालयों में दाखिले की प्रवेश परीक्षा।

दो साल पहले तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के नामचीन कॉलेजों में दाखिला पाने के लिए 12वीं में 97-98 फीसदी अंक लाने पड़ते थे। 90-95 फीसदी अंक लाकर भी छात्र डीयू के अपने मनचाहे कॉलेजों की वेटिंग लिस्ट में ही पड़े रहते थे।

लेकिन 2022 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी त्रष्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला पाने की प्रक्रिया बदल दी गई।

ये तय किया गया कि अब ष्टश्वञ्ज के तहत ही दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला मिलेगा। यानी 12वीं में आपके कितने नंबर आए हैं इससे तय नहीं होगा कि आपका कॉलेज कौन सा होगा। ये अब इससे तय होगा कि छात्र ने ष्टश्वञ्ज की प्रवेश परीक्षा में कितने अंक हासिल किए।

श्रेया बताती हैं, ‘जिस दिन मेरा 12वीं का रिज़ल्ट आया और मुझे 99 फीसदी अंक मिले तो मेरे घर वाले खुश थे, मैं भी खुश थी, लेकिन कुछ घंटे बाद ही मैं पढऩे बैठ गई क्योंकि मुझे पता था कि इन अंकों से मेरा कॉलेज डिसाइड नहीं होगा।’

‘मुझे तो मेरे 12वीं के नंबर पर सेंट स्टीफंस या एसआरसीसी में आराम से दाखिला मिल जाता, लेकिन सीयूईटी के आने के बाद मेरे लिए 99 फीसदी अंक लाने के कोई खास मायने नहीं है।’

श्रेया ने एक महीने पहले दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में ष्टश्वञ्ज के क्रैश कोर्स में दाख़िला लिया है। ये ज़रूर है कि 12वीं के अच्छे नतीजों ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया है।

कुछ छात्रों के लिए बदली हुई प्रक्रिया ने 12वीं पास होने और कॉलेज में दाखिला लेने के बीच प्रतिस्पर्धा की एक नई लेयर जोड़ दी है। लेकिन ऐसे भी छात्र हैं जिन्हें लगता है कि इस बदलाव से उन्हें करियर को बेहतर दिशा देने का मौका मिलेगा।

प्रथम गुप्ता ने 12वीं में 85 फीसदी अंक हासिल किए हैं।

वो बताते हैं कि उनके नंबर उतने अच्छे नहीं आए जितनी उन्हें या उनके घर वालों को उम्मीद थी। लेकिन वो चिंतित नहीं हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि उनके पास ‘मेहनत करके बेहतर कॉलेज पाने का रास्ता खुला हुआ है।’

17 साल के प्रथम कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगता कि जिस तरह की प्रतिक्रिया मुझे मेरे घरवालों से मिली, वैसी ही मिलती अगर इन अंकों से मेरा कॉलेज तय होता। लेकिन सबको पता था कि मेरे रास्ते अभी बंद नहीं हुए हैं और मैं अपनी मर्जी का कॉलेज पा सकता हूं। इससे मुझे मनमाफिक नंबर न आने का पछतावा कम हो रहा था।’

CUET की कोचिंग का फलता-फूलता बिजनेस

दिल्ली के कनॉट प्लेस से लेकर जिया सराय, कटवरिया सराय, मुनिरका की गलियों में ऐसे कोचिंग संस्थानों की भरमार है, जो ष्टश्वञ्ज के फुल टाइम कोर्स से लेकर दो महीनों के क्रैश कोर्स चला रहे हैं।

क्रैश कोर्स की फ़ीस 25 हजार से लेकर 30 हजार रुपये के बीच में है। वहीं एक साल और दो साल के भी कोर्स हैं जिनकी फीस एक लाख रुपए तक है।

प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली जानी-मानी कोचिंग करियर लॉन्चर के दिल्ली-एनसीआर के बिजनेस हेड दीपक मदान बताते हैं, ‘बीते साल के मुकाबले करियर लॉन्चर में छात्रों के रजिस्ट्रेशन की संख्या दोगुनी हुई है और ये संख्या लाखों में है।’

‘ये देश का दूसरी सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा है। पहले स्थान पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की परीक्षा है। अगर महज दो साल में ही ये देश की दूसरी सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा बन गई है तो सोचिए आने वाले वक्त में क्या होगा।’

प्रथम कहते है कि उन्होंने ष्टश्वञ्ज की तैयारी की कोचिंग के लिए 37 हजार रुपये भरे हैं। ऐसे में उनके ऊपर आर्थिक दबाव भी है कि उन्हें इस परीक्षा को अच्छे रैंक से पास करें।

दिल्ली स्थित एप्टप्रेप इंस्टीट्यूट के सीनियर मेंटॉर रितेश जैन मंहगी फीस के सवाल पर कहते हैं, ‘एक ही तरह का कोर्स पढक़र सीबीएसई के एक छात्र को कम नंबर मिलते हैं लेकिन वही कोर्स पढक़र केरल बोर्ड के छात्र को कहीं ज्यादा नंबर मिलते हैं। तो ऐसे में दक्षिण के छात्रों को सीट मिल जाया करती थी। अब ये नहीं होगा। माता-पिता ष्टश्वञ्ज की कोचिंग में पैसे लगाकर कम से कम ये तो तय कर सकते हैं कि उनके बच्चे कम फीस में बेहतर कॉलेज में पढ़ें।’

‘अगर ऐसा नहीं करेंगे तो फिर उन्हें मंहगे कॉलेजों में दाखिला लेना होगा। ये किसी अभिभावक के लिए ज़्यादा मंहगा होगा। इससे बेहतर है कि वो अपने बच्चों को ष्टश्वञ्ज की कोचिंग दें। ’

कैसे आया CUET और क्या है इसका मॉड्यूल

साल 2009 में एक कॉमन एक्ट के तहत देश में कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई। ऐसे में 2010 में सात नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश देने के लिए एक कॉमन प्रवेश परीक्षा ष्टष्टश्वञ्ज (सेंट्रल यूनिवर्सिटीज कॉमन इंट्रेस टेस्ट) शुरू की गई।

इस प्रवेश परीक्षा को हर साल अलग-अलग विश्वविद्यालय आयोजित करते थे। साल 2021 में इस प्रवेश परीक्षा को राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (हृञ्ज्र) ने कंडक्ट किया था। बाद में हृञ्ज्र को लगा कि ये एक सही तरीक़ा है और इसे देश के बाक़ी विश्वविद्यालयों के लिए भी लागू किया जा सकता है।

इसके बाद 2022 में इस प्रक्रिया में कई बड़े बदलाव करते हुए ष्टश्वञ्ज (कॉमन यूनिवर्सिटी इंट्रेस टेस्ट) के नाम से लॉन्च किया गया। इस प्रवेश परीक्षा के ज़रिए देश के अधिकांश सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ के साथ-साथ कई निजी विश्वविद्यालयों को भी जोड़ दिया गया।

इस बार ष्टश्वञ्ज में 54 सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के साथ 250 से अधिक निजी विश्वविद्यालय या कॉलेज जुड़े हैं।

इस बार ये परीक्षा 21 मई से 31 मई के बीच हो रही है। इसके लिए परीक्षा के तीन हिस्से होते हैं। परीक्षा ऑनलाइन होती है। इसे सीबीटी (कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट) कहा जाता है।

पहले हिस्से में भाषा की परीक्षा होगी। इनमें हिंदी, अंग्रेजी जैसी 13 भाषाएं होंगी। पहले हिस्से का एक और खंड है। जिसमें 20 भाषाएं शामिल हैं। छात्रों को उस भाषा की परीक्षा देनी होगी जिसमें वो आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं।

दूसरे हिस्से में ‘डोमेन स्पेसिफिक’ विषय होंगे, यानी वे विषय, जिनकी किसी विश्वविद्यालय के चुने हुए कोर्स में प्रवेश पाने के लिए परीक्षा देने की आवश्यकता होगी।

इसमें 27 विषयों का विकल्प दिया गया है। यानी अगर कोई इतिहास में या अर्थशास्त्र के कोर्स में दाखिला चाहता है तो ये उसका ‘डोमेन’  होगा।

छात्रों से तीसरे हिस्से में सामान्य ज्ञान, गणित और रीजनिंग के सवाल पूछे जाएंगे। इन तीनों हिस्सों में से अधिकतम 10 चुने हुए विषयों की परीक्षा दी जा सकती है। (bbc.com/hind)

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