विचार / लेख
- कीर्ति दुबे
हर साल यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे आते हैं और इसके साथ ही सामने आते है संघर्ष, लगन और प्रतिभा के नए किस्से।
नतीजे सामने आते ही सैकड़ों लोगों की जि़ंदगी एक पल में बदल जाती है। हर साल इस परीक्षा को टॉप करने वाले लोग और उनकी कहानियां सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए प्रेरणा बन जाती हैं।
सिविल सेवा साल 2022 की टॉपर हैं इशिता किशोर। तो हम आपको बता रहे हैं इशिता के बारे में कुछ दिलचस्प बातें।
27 साल की इशिता किशोर का ये सिविल सेवा परीक्षा का तीसरा प्रयास था। इससे पहले दोनों ही प्रयासों में वो प्रिलिम्स परीक्षा भी क्वालिफ़ाई नहीं कर सकी थीं और तीसरी बार में उन्होंने टॉप किया।
इशिता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स किया है। लेकिन सिविल सेवा परीक्षा में उनका विषय राजनीति शास्त्र और अंतरराष्ट्रीय संबंध था। ये विषय उन्होंने क्यों चुना इस पर वो बीबीसी से कहती हैं, ‘राजनीति शास्त्र ग्रैजुएशन में मेरा एक विषय था तो मुझे इस विषय के बारे में थोड़ा आइडिया तो पहले से था। मुझे लगा कि राजनीति शास्त्र एक ऐसा विषय है जिसमें मैं ख़ुद को बेहतर तरीके से एक्सप्रेस कर सकती हूं और अंतरराष्ट्रीय संबंध समकालीन विषय है, मुझे लगा कि ये विषय मेरे लिए अर्थशास्त्र से बेहतर होगा। मैंने बहुत सोच समझकर अपने मज़बूत पक्ष का इस्तेमाल करने का फ़ैसला लिया।’
इशिता ने ग्रैजुएशन के बाद दो साल तक अर्न्स्ट एंड यंग कंपनी में बतौर रिस्क एनालिस्ट काम किया। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फ़ैसला किया। ये फ़ैसला लेने के पीछे की वजह बताते हुए इशिता बीबीसी से कहती हैं, ‘मुझे हमेशा से पता था कि मुझे नौकरी करनी है, लेकिन किस टाइप की नौकरी करनी है मुझे ये तय करना था। मेरे पास बहुत सारे विकल्प थे- एमबीए करूं, मास्टर्स करूं या सिविल सेवा में जाऊं। फिर मैंने सिविल सेवा के बारे में सोचा क्योंकि यहां आपको देश के लिए कुछ करने का मौका मिलता है। मैं एयरफ़ोर्स बैकग्राउंड वाले परिवार से आती हूं तो मेरे भीतर हमेशा ही ये भाव रहा है कि मुझे देश के लिए कुछ करना है और उसके लिए सिविल सेवा ही सही प्लेटफ़ॉर्म है। ये फ़ैसला मैंने अचानक नहीं लिया बल्कि सोच समझ कर तय किया।’
एक सवाल जो हर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले से पूछा जाता है वो ये कि वो कितने घंटे पढ़ाई करते हैं। इशिता बताती हैं कि वह सप्ताह भर में 42 से 45 घंटे तक पढ़ाई करती थीं। जिसका मतलब है कि वो आठ से नौ घंटे हर रोज़ पढ़ाई करती थीं।
आमतौर पर धारणा होती है कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले लोग सोशल मीडिया से दूरी बना कर रखते हैं। लेकिन इशिता इसकी ज़रूरत पर बात करती हैं। इशिता सोशल मीडिया अकाउंट चलाती हैं और तैयारी के दौरान भी चलाती रहीं। वह कहती हैं, ‘मैं इसका इस्तेमाल अपने दोस्तों के साथ संपर्क में रहने के लिए करती हूं। मैं इस सफऱ में अलग-थलग नहीं पडऩा चाहती थी और आज मेरे सारे दोस्त मेरेे साथ हैं और मेरे लिए ख़ुश हैं। जि़ंदगी में बैलेंस होना बहुत ज़रूरी है।’
इशिता स्पोर्ट्स की शौक़ीन हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर फ़ुटबॉल खेला है। उन्होंने फ़ुटबॉल टूर्नामेंट सुब्रतो कप साल 2012 में खेला था और अपनी टीम की कप्तान थीं। वह बताती हैं, ‘मैंने कई सारे स्पोर्ट्स खेले हैं और आज भी खेलती हूं।’
इशिता ने अपनी मां और नानी से बिहार की मशहूर मधुबनी पेंटिंग सीखी है और वह मधुबनी पेंटिंग बनाती हैं।
सिविल सेवा के इंटरव्यू में मुश्किल और जटिल सवाल पूछे जाते हैं। परीक्षा में टॉपर की रैंकिंग मेन्स परीक्षा के अंक और इंटरव्यू के अंक के आधार पर तय की जाती ैं। इशिता बताती हैं कि उनसे इंटरव्यू में चीन के साथ संबंधों को लेकर सवाल पूछे गए थे। उनसे पूछा गया कि- अरुणाचल प्रदेश में हो रहे विवाद से कैसे निपटा जाए, उनकी राय में बेहतर निष्कर्ष क्या हो सकते हैं। लेकिन इशिता बताती हैं कि ‘एक सवाल जो मुझे बहुत रोचक लगा और वो ये कि मैं खेल की समझ का ऐडमिनिस्ट्रेशन में कैसे इस्तेमाल कर सकती हूं? ये बिलकुल नया नज़रिया देने वाला सवाल था।’
जिन छात्रों ने सालों की मेहनत करके सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की है, उनके लिए मंगलवार का दिन ख़ुशियां लेकर आया। लेकिन कई छात्र जो इंटरव्यू तक पहुंच कर अपना सपना नहीं जी सके उनके लिए इशिता का संदेश है- ‘मैं आपकी जगह पर रह चुकी हूं, दो बार मेरा भी प्रिलिम्स नहीं निकला था, बहुत निराशा हुई। लेकिन अपनी कमियों को समझ कर ही अगली बार कोशिश करें। अगर ये लगता है कि कुछ नया करना चाहिए तो वो भी ट्राई करें’।