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विशेष संवाददाता
रायपुर, 27 मई (‘छत्तीसगढ़’)। दिल्ली हाईकोर्ट में अभी दिल्ली पुलिस की जमकर फजीहत हुई है जब रायपुर के एक मामले में अदालत ने पुलिस को फटकार लगाई कि पहले तो उसने एक पत्रकार के खिलाफ भारी जोर-शोर से जुर्म दर्ज किया, और मामला चलाया, और अब वह उस मामले को खत्म कर देना चाह रही है! हाईकोर्ट ने कहा कि ऑल्टन्यूज के मोहम्मद जुबैर के खिलाफ उसका मुकदमा ऐसे ही खत्म नहीं किया जा सकता, जुबैर के खिलाफ जिसने नफरत के ट्वीट किए हैं, उनके खिलाफ जुर्म दर्ज किए बिना, और मुकदमा चलाए बिना दिल्ली पुलिस बच नहीं सकती।
अब यह मामला 2020 का है जब छत्तीसगढ़ के रायपुर के एक जगदीश सिंह नाम के आदमी ने ट्विटर पर जुबैर के खिलाफ नफरत की बातें लिखीं। इसके जवाब में जुबैर ने जगदीश सिंह की ट्विटर प्रोफाइल फोटो याद दिलाते हुए लिखा कि क्या उसकी नातिन/पोती यह जानती है कि वह (जगदीश सिंह) सोशल मीडिया पर लोगों को गालियां देने का पार्टटाईम काम करता है? जुबैर ने उसे सुझाया कि वह कम से कम अपनी प्रोफाइल फोटो बदल ले जिसमें एक बच्ची दिख रही है। जुबैर ने इस बच्ची की फोटो को धुंधला भी कर दिया था।
इस पोस्ट को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने जुबैर के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी कि उसने अपनी इस ट्वीट से इस बच्ची को प्रताडि़त किया है, और धमकाया है, और दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने इस पर पॉक्सो के तहत जुर्म दर्ज किया था, और इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक उस वक्त दिल्ली पुलिस के अलावा रायपुर पुलिस ने भी आईटी एक्ट और पॉक्सो एक्ट के तहत जुबैर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक शिकायत के आधार पर की गई थी।
प्रियंक कानूनगो
अब दिल्ली हाईकोर्ट के जज अनुप जयराम भम्भानी ने दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लिया है क्योंकि इस पूरे मामले में जांच के बाद अदालत में दिल्ली पुलिस मोहम्मद जुबैर के खिलाफ कुछ भी पेश नहीं कर सकी, और अदालत ने जब यह सवाल उठाया तो पुलिस ने कहा कि जुबैर का कोई अपराध नहीं मिला है, और इस मामले को खत्म किया जाए। इस पर जज ने कड़ी आपत्ति की, और कहा कि जिसने जुबैर के खिलाफ नफरत की बातें लिखीं उसका क्या होगा? जज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के साफ-साफ निर्देश हैं कि नफरत की बात करने वालों के खिलाफ कोई शिकायत न आने पर भी पुलिस खुद केस दर्ज करे, और मुकदमा चलाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि ऐसा न करने वाले पुलिस अफसरों को अदालत की अवमानना करने वाला माना जाएगा। हाईकोर्ट जज ने कहा कि दिल्ली पुलिस सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश पर अमल करने से नहीं बच सकती। इस पर पुलिस के वकील ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि वह जुबैर के खिलाफ नफरती बातें लिखने वाले पर जुर्म दर्ज कर रही है।