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बेंगलुरु, 27 मई। कर्नाटक में शनिवार को कांग्रेस सरकार ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए इसमें एक महिला लक्ष्मी हेब्बलकर और वरिष्ठ विधायक एच के पाटिल सहित 24 मंत्रियों को शामिल किया। इसके साथ ही, राज्य में पार्टी के सत्ता में आने के एक सप्ताह बाद मंत्रिमंडल के सभी 34 मंत्री पद भर दिए गए।
राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 24 मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इनमें से नौ-बी नागेंद्र, मधु बंगारप्पा, लक्ष्मी हेब्बलकर, मंकल वैद्य, डॉ. एम सी सुधाकर, के एन राजन्ना, एन एस बोसराजू, सुरेश बी एस और के वेंकटेश पहली बार मंत्री बनाए गए हैं।
शनिवार को शपथ लेने वाले 24 मंत्रियों में 23 विधायकों के अलावा एन एस बोसराजू शामिल हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करके कांग्रेस आलाकमान ने सभी को चौंका दिया है। बोसराजू अभी विधान परिषद या विधानसभा के सदस्य नहीं हैं।
कांग्रेस के एक नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘विधानसभा और विधान परिषद के पूर्व सदस्य बोसराजू अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सचिव हैं। रायचूर के रहने वाले बोसराजू एक प्रतिबद्ध कांग्रेस कार्यकर्ता हैं। उनके नाम को कांग्रेस आलाकमान ने शुक्रवार को मंजूरी दी थी।’’
टिकट के दावेदार रहे कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘यद्यपि तीन महिला विधायक-रूपकला शशिधर, कनीज फातिमा और लक्ष्मी हेब्बलकर चुनी गई हैं, लेकिन पार्टी ने केवल हेब्बलकर को कैबिनेट में जगह देने का निर्णय किया।’’
कर्नाटक के एक पदाधिकारी ने कहा कि ऐसा कभी-कभार हुआ है, जब कर्नाटक मंत्रिमंडल के सभी स्वीकृत पदों को भरा गया हो।
कर्नाटक सरकार में अधिकतम 34 मंत्री हो सकते हैं। मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार सहित 10 मंत्रियों को 20 मई को शपथ दिलाई गई थी।
शपथ ग्रहण समारोह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राजभवन में हुआ।
एच के पाटिल, कृष्णा बायरेगौड़ा, एन चेलुवरायस्वामी, के वेंकटेश, एच सी महादेवप्पा, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खंडरे और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने भी शपथ ली।
इनके अलावा, के एन राजन्ना, शरणबसप्पा दर्शनपुर, शिवानंद पाटिल, रामप्पा बलप्पा तिम्मापुर, एस एस मल्लिकार्जुन, शिवराज संगप्पा तंगदागी, शरणप्रकाश रुद्रप्पा पाटिल, मंकल वैद्य, लक्ष्मी हेब्बलकर, रहीम खान, डी सुधाकर, संतोष लाड, एन एस बोसराजू, सुरेश बी एस, मधु बंगारप्पा, एम सी सुधाकर और बी नागेंद्र शपथ लेने वाले विधायकों में शामिल हैं।
पूर्व में, सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे एवं चार बार विधायक चुने गए एम कृष्णप्पा को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है।
कृष्णप्पा समेत जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है, उनके समर्थकों ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान नारेबाजी की। इस दौरान उनके हाथों में, अपने नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दिए जाने की मांग करने वाले पोस्टर थे।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, लक्ष्मी हेब्बलकर, मधु बंगारप्पा, डी सुधाकर, चेलुवरायस्वामी, मंकल वैद्य और एम सी सुधाकर को शिवकुमार का करीबी माना जाता है।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्री रहे के एच मुनियप्पा ने इस बार अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें कर्नाटक सरकार में मंत्री के रूप में भी शामिल किया गया है।
शुक्रवार रात जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने वरिष्ठ और कनिष्ठ विधायकों को उचित सम्मान देने के साथ-साथ जाति और क्षेत्रीय समीकरणों का ध्यान रखकर मंत्रिमंडल में संतुलन कायम किया है।
बयान में यह भी कहा गया था कि मंत्रिमंडल में लिंगायत समुदाय के आठ विधायक होंगे। इसमें समुदाय के विभिन्न उप-संप्रदायों को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
बयान में कहा गया था कि मंत्रिमंडल में शिवकुमार सहित वोक्कालिगा समुदाय से पांच मंत्री होंगे और अनुसूचित जाति के नौ मंत्री होंगे।
मंत्री के एच मुनियप्पा ने कहा कि मंत्रियों के विभागों की घोषणा शनिवार शाम तक की जाएगी।
सिद्दरमैया और शिवकुमार पिछले तीन दिन से राष्ट्रीय राजधानी में थे और उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार पर पार्टी नेतृत्व के साथ कई दौर की चर्चा की।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव के सी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला सहित शीर्ष केंद्रीय नेताओं के साथ सिद्दरमैया और शिवकुमार की घंटों चली बातचीत के बाद 24 मंत्रियों के नाम तय किए गए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंत्रियों की सूची पर अंतिम मुहर लगाई।
इससे पहले, विधानसभा चुनावों के बाद सिद्धरमैया और शिवकुमार ने राज्य में कांग्रेस सरकार का गठन होने के बाद पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से पहली बार मुलाकात की थी।
सूत्रों ने बताया कि संभावित मंत्रियों के नामों को लेकर सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच मतभेद उभरे थे, लेकिन चर्चा के दौरान इन्हें सुलझा लिया गया।
कांग्रेस 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा की 135 सीटें जीतकर सत्ता में आई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 66 और जनता दल (सेक्युलर) को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। (भाषा)