विचार / लेख

गगन जोशी
औरत अपनी माहवारी की शर्म छुपाती है। काली थैली में सेनेटरी पैड लाती है। अपने अंडर गारमेंट्स उसी दुकान से खऱीदती है जहां महिला सेल्समैन हो। घर में कपड़े सुखाती है तो ध्यान रखती है की अधो वस्त्र खुले आम ना सूखे।
औरत बच्चों को दूध पिलाती है तो शर्म करती है कोई कोना ढूँढती है।
पान खाती है लेकिन पान की दुकान पर चढ़ते हुए शर्म करती है। किसी शराब की दुकान पर कोई लडक़ी या महिला गई हुई हो तो उसका वीडियो बनकर वाइरल हो जाता है।
औरत अपने साथ हुई छेड़छाड़ को बताने से हिचकिचाती है। वो लड़ाई होने से ज़्यादा बदनाम होने से डरती है।
ये सब औरत हमारे घर में ही होती है।
फिर भी ऐसे घर में औरत से पैदा हुए कुछ बेहद गिरे हुए लोग ये समझ नहीं पा रहे की महिला पहलवानों के साथ हुए यौन दुर्व्यवहार की शिकायत पर कार्यवाही होनी चाहिए, उन्हें महिला पहलवानों के बारे में अंट शंट अनर्गल टिप्पणी कर के किसी भारी आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति का मुफ़्त का वकील नहीं बनना चाहिए।
इसलिए क्यूँकि ऐसा बोलना असामाजिक ओछी हरकत है जो संस्कारों की अर्थी निकालती है।
कई बेहोश लोग ये भी नहीं जानते कि
- 6 महीने से ज़्यादा जद्दोजहद करने पर भी केस दर्ज नहीं हुआ
- सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से स्नढ्ढक्र दर्ज हुई है
- आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई
- पॉक्सो एक्ट में भी स्नढ्ढक्र करनी पड़ी और क़ानून कहता है इस मामले में तुरंत गिरफ़्तारी होती है फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई
- मामले में 7 महिलाओं ने शिकायत दर्ज की है।
- इनमें सभी जाती से लोग है।
- एक कैबिनेट मंत्री अजय टैनी के पुत्र ने कई लोगों की जीप से कुचल कर मार डाला। तब भी मुफ़्त की वकालत जारी थी, आज भी वही हालात है।
- कुटिलता से मामले को फ़ेडरेशन की रणनीति, हरियाणा बनाम क्क, और क्षत्रिय बनाम जाट की क्षेत्रीयवादी और जातिवादी चालाकी में लपेटा जा रहा है।तो भी अक्ल का इस्तेमाल नहीं करते।
एक आम सोशल मीडिया यूजऱ से यही आशा की जाती है की, किसी मुद्दे पर बोलते हुए वो थोड़ा लॉजिकल और बहुत सारा मानवीय व्यवहार रखे। वरना कोई ज़रूरी नहीं कि आप बोलें ही बोलें।
आपको बृजभूषण शरण सिंह नहीं जानता, मोदी नहीं जानता पर मैं तो जानता हूँ। मेरी पोस्ट पर दांत निकालते, बेतुके अमानवीय और असामाजिक कमेंट करते हुए ख़ुद की इज्जत के बारे में थोड़ी तो परवाह करनी चाहिए।
मेरी पोस्ट से बाहर भी इस मुद्दे के पक्ष विपक्ष में लोग लिखते हैं। लेकिन ज् इस मुद्दे पर चुप रहने वाले जाहिल लोग साहिल के सरेआम लडक़ी के मार देने पर अचानक बोलने लगे। बृजभूषण के मामले पर चुप रहे.. मतलब इतना ओछापन लाये कहाँ से हो ?
घर में बहन बेटी है तो शर्म करना सीखो।
छुपती छुपाती बेटी जब पूरे देश के सामने रो कर कहे कि मेरे साथ ग़लत हुआ है ज्तो .. उसके साथ दूर बैठे ‘ट्रोल दुराचार’ मत करो।