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1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के खिलाड़ियों ने पहलवानों से अपने मेडल गंगा में नहीं फेंकने की अपील की है. उनका कहना है कि वे पहलवानों के साथ हाथापाई के विजुअल देखकर परेशान हैं.
उन्होंने कहा, ''हमें सबसे अधिक चिंता इस बात की भी है कि वे अपनी मेहनत की कमाई को गंगा नदी में बहाने की सोच रहे हैं. उन मेडल को वर्षों के प्रयास, बलिदान, संकल्प और धैर्य से हासिल किया गया है. वे न केवल उनके लिए बल्कि देश के लिए गौरव और सुखद का क्षण हैं.''
उन्होंने पहलवानों से अपील की है कि वे जल्दबाजी में निर्णय न लें.
खिलाड़ियों की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया, ''हम उनसे आग्रह करते हैं कि वे इस मामले में जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें. वे आशा करते हैं कि उनकी शिकायतों को सुना जाएगा और जल्दी से इसका हल निकाला जाएगा. ''
28 मई को दिल्ली पुलिस ने महिला महापंचायत के लिए नई संसद की तरफ़ बढ़ने की कोशिश कर रहे पहलवानों को हिरासत में लिया था. इस दौरान पुलिस द्वारा पहलवानों के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई की कई विपक्षी नेताओं ने भी आलोचना की थी और कहा था कि पहलवानों के साथ इस तरह का सलूक नहीं किया जाना चाहिए.
कई विजुअल में दिल्ली पुलिस पहलवानों को घसीटते हुए ले जाती दिखी थी.
पूर्व भारतीय क्रिकेटर मदन लाल ने एएनआई को बताया, ''यह दुखद है कि उन्होंने अपने मेडल गंगा में बहाने का निर्णय लिया. हम इसके पक्ष में नहीं हैं क्योंकि मेडल जीतना आसान काम नहीं है. हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान करें.''
फिलहाल पहलवानों ने अपने मेडलों को गंगा नदी में बहाने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया था.
साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और कई खिलाड़ी अपने मेडलों को गंगा में बहाने के लिए हरिद्वार में हर की पौड़ी पहुंचे थे. काफी देर तक खिलाड़ी हर की पौड़ी पर बैठे रहे. इस दौरान खिलाड़ियों की आंखों में आंसू दिखाई दिए थे.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता नरेश टिकैत के समझाने के बाद कार्यक्रम को स्थगित करने का फैसला लिया गया.
पहलवानों ने अपने मेडल नरेश टिकैत को सौंप दिए हैं. भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार गेंदबाज़ रहे अनिल कुंबले ने भी ओलंपिक विजेता पहलवानों के साथ दिल्ली पुलिस के व्यवहार को लेकर दुख जताया था. (bbc.com/hindi)