ताजा खबर

राजपथ-जनपथ : मुहिम कामयाब
03-Jun-2023 4:09 PM
राजपथ-जनपथ : मुहिम कामयाब

मुहिम कामयाब 

उदंती सीतानदी अभ्यारण्य इलाके में सालभर के भीतर तीसरी बार बेजा कब्जा हटाने के लिए शुक्रवार जोरदार अभियान चला। यह इलाका ओडिशा से सटा हुआ है, और वहां के कई लोग अवैध कटाई से लिप्त रहे हैं, उन्हें बेेदखल किया गया। दिलचस्प बात यह है कि वन अफसरों ने बेजा कब्जा हटाने के लिए गरियाबंद पुलिस से सहयोग मांगा था। कहा जा रहा है कि पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा देने से मना कर दिया। बावजूद इसके आईएफएस अफसर वरूण जैन ने खुद इसकी अगुवाई की, और अतिक्रमणकारियों के तगड़े विरोध के बाद भी 6 सौ हेक्टेयर जमीन खाली कराने में सफल रहे।

बताते हैं कि ये पूरा इलाका नक्सल प्रभावित है। कुछ साल पहले यहां नक्सल हमले में एक डीएसपी समेत दर्जनभर पुलिस जवान शहीद हुए थे। ऐसे में वन कर्मियों के लिए अभियान जोखिम भरा भी था। अतिक्रमणकारियों ने वरूण जैन की गाडिय़ों में तोडफ़ोड़ की। कई वनकर्मियों को चोटें भी आईं। इस सबके बाद भी अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने में वनकर्मी कामयाब भी रहे। जानकार बताते हैं कि सालों बाद इस तरह अतिक्रमण के खिलाफ वनअमले ने कार्रवाई की है। इससे पहले तक थोड़े विरोध पर ही अमला लौट आता था। कई बार तो जनप्रतिनिधि भी आड़े आ जाते थे। चर्चा यह भी है कि इस बार की कार्रवाई से पहले विभाग के उच्चाधिकारियों को भी विश्वास में नहीं लिया गया था। अभियान सफल हो गया।      

कवच तो काम ही नहीं आया

यह तस्वीर 4 मार्च 2022 की है। आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत एक प्रणाली विकसित की गई जिसमें एक ट्रेन के इंजन पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और सामने से आ रही दूसरी ट्रेन पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सवार हैं। दोनों ट्रेनों को टकरा जाना था लेकिन 380 मीटर पहले कवच प्रणाली के तहत दोनों ट्रेन आपस में टकराने से बच गईं। रेल मिनिस्टर ने ग्राफिक्स के जरिए एक वीडियो शेयर किया और बताया कि इंजीनियरिंग का छात्र होने के नाते इस प्रणाली को भारत में विकसित करने से उन्हें बड़ी खुशी हो रही है। इस परियोजना पर बताते हैं कि करीब 3 हजार करोड रुपए खर्च किए गए। उड़ीसा के बालासोर में हुई दर्दनाक और पिछले 30 सालों के भीतर सबसे बड़े रेल हादसे को लेकर आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि कवच प्रणाली कारगर है भी या नहीं।

पसीना आग के हवाले  

हाथियों को लेकर वनांचलों में रहने वाले ग्रामीणों के बीच कितनी दहशत है इसका अंदाजा कटघोरा वन मंडल के केंदा रेंज के पचरा गांव में हुई घटना से लगाया जा सकता है। ग्रामीणों ने अपने खड़ी फसल पर आग लगा दी। इसके दो मकसद थे। एक तो आग की लपटों की वजह से हाथी नजदीक नहीं आएंगे दूसरा उनके घर भी सुरक्षित रहेंगे। यह बहुत समझने वाली बात है कि चार महीने मिट्टी में सन कर, खून पसीने के साथ उगाई हुई फसल को हाथियों के डर से ग्रामीण आग लगा रहे हैं। हाथियों से बचाव के लिए इसी अभयारण्य में कॉरिडोर बनाने की बात हुई थी मगर अब तक सब सिर्फ कागज में है।

पानी के लिए जद्दोजहद

यह चिरमिरी की महापौर कंचन जायसवाल का वार्ड है। सार्वजनिक पानी टंकी से पानी की सप्लाई चार दिन में एक बार होती है। जरूरतमंद लोगों को 400 मीटर नीचे उतर कर पानी लेना पड़ता है। कुछ मजदूरों के लिए यह व्यवसाय भी हो गया है, क्योंकि बड़े घरों के लोग उनसे अपने लिए पानी खरीदते हैं। यह एक उदाहरण है केंद्र सरकार की राज्य सरकार की मदद से चल रही हर घर में नल लगाने की योजना पर किस तरह से काम किया जा रहा है।

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news