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ट्रेन हादसे के बाद राहुल गांधी को ‘‘गैर-जिम्मेदाराना’’ विमर्श में शामिल होते देखना निराशाजनक : पुरी
05-Jun-2023 9:35 PM
ट्रेन हादसे के बाद राहुल गांधी को ‘‘गैर-जिम्मेदाराना’’ विमर्श में शामिल होते देखना निराशाजनक : पुरी

जम्मू, 5 जून। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे समय जब पूरा देश ओडिशा में भीषण रेल हादसे के बाद शोक में एकजुट है, कांग्रेस नेता को 'देशद्रोही' कार्यक्रमों में भाग लेते हुए एवं "गैरजिम्मेदाराना" विमर्श में शामिल होते हुए देखना निराशाजनक है

पुरी ने कहा कि सरकार लगातार प्रयासरत रही और दुर्घटना के 51 घंटे के भीतर रेल सेवाओं को बहाल कर दिया गया एवं घायलों की सहायता के लिए भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तुरंत दुर्घटना स्थल का दौरा किया और तीन केंद्रीय मंत्री भी वहां मौजूद रहे।

उन्होंने कहा, "हमारा देश एक भी मौत पर शोक मनाता है... मुझे अफसोस है कि जब हम अथक प्रयास कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग तथ्यों पर विचार किए बिना गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं।"

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भविष्य की ओर देखने में अक्षम हैं।

उन्होंने देश के सबसे बड़ा रेल हादसों में एक ओडिशा ट्रेन हादसे का उल्लेख करते हुए सरकार पर कटाक्ष किया और कहा कि अगर आप भाजपा से पूछेंगे कि ट्रेन हादसा क्यों हुआ तो वे कहेंगे कि कांग्रेस पार्टी ने 50 साल पहले ऐसा किया था, इसलिए हुआ।

पुरी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, "जब पूरा देश दुख में एक साथ खड़ा है और एक-दूसरे का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, ऐसे में यह देखना निराशाजनक है कि वह देश-विरोधी कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं और गैर-जिम्मेदार विमर्श में शामिल हैं।"

पुरी ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते कहा, "हमें ऐसे विपक्ष की जरूरत है जो जिम्मेदारी से काम करे और उन मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करे जो पूरे देश को प्रभावित करते हों।’’

भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर गांधी की टिप्पणी के संदर्भ में पुरी ने कहा कि हमारे इतिहास में कुछ दुखद एवं डरावनी घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन्हें असम के नेली हत्याकांड की याद दिलाता हूं ... जिसमें 2,000 लोगों की मौत हो गई... और 1984 में, हमने भयावह घटनाओं में अपने 3,000 सिख भाइयों को खो दिया था। वर्तमान के बारे में दावा करने से पहले ऐसी घटनाओं को याद रखना महत्वपूर्ण है।’’ (भाषा)

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