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वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल तक कैसे पहुंची रोहित शर्मा की टीम
06-Jun-2023 9:42 AM
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल तक कैसे पहुंची रोहित शर्मा की टीम

-मनोज चतुर्वेदी

  • सात जून, बुधवार को लंदन के ओवल ग्राउंड पर होगा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फ़ाइनल मुक़ाबला
  • मैच में ड्यूक बॉल का इस्तेमाल, मैच टाई हुआ या ड्रॉ रहा तो दोनों टीमें साझा करेंगी चैंपियनशिप ट्रॉफ़ी
  • इस चैंपियनशिप में एक रिज़र्व डे भी रखा गया है जिसका इस्तेमाल तभी होगा जब मौसम की वजह से हर रोज़ मैच में बाधा आती है
  • लंदन में मैच के महीने तीन दिन मौसम साफ़ रहने का अनुमान है लेकिन चौथे दिन दोपहर के आस-पास छिटपुट बारिश की संभावना है. पांचवे दिन मौसम साफ़ रहने का अनुमान है.
  • जून के महीने में ओवल ग्राउंड पर ये पहला टेस्ट मैच है.

रोहित शर्मा की अगुआई वाली टीम इंडिया को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल तक पहुंचने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.

एक वक़्त तो उसका फ़ाइनल तक पहुंचना बहुत मुश्किल लग रहा था.

एक समय भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ़्रीका और श्रीलंका से पिछड़कर चौथे स्थान पर थी.

उस समय तक ऑस्ट्रेलियाई टीम 75 प्रतिशत अंकों के साथ फ़ाइनल में अपनी जगह लगभग पक्की कर चुकी थी . वह भारत से आख़िरी सिरीज के सभी टेस्ट हारती तो भी फ़ाइनल में पहुंच जाती.

जबकि भारत को फ़ाइनल में स्थान बनाने के लिए सभी छह टेस्ट जीतने ज़रूरी थे.

एक भी हार अगर-मगर की स्थिति में डाल सकती थी.

भारत ने बांग्लादेश से 2-0 से सिरीज़ जीतने के बाद ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ पहले दो टेस्ट जीतकर अपनी उम्मीदों को मज़बूत कर लिया था.

भारत इंदौर में ऑस्ट्रेलिया से हार गया, इससे टीम के सामने संकट की स्थिति बन गई.

लेकिन न्यूजीलैंड ने श्रीलंका को टेस्ट सिरीज़ में 2-0 से हरा दिया. ये स्थिति भारतीय टीम के लिए फ़ायदेमंद साबित हुई और आख़िरी टेस्ट खेलने से पहले ही वो फ़ाइनल में पहुंच गई.

भारत के लिए आमतौर पर इंदौर के होल्कर स्टेडियम की विकेट को अच्छा माना जाता रहा है. पर ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ तीसरे टेस्ट में विकेट के व्यवहार ने सभी को हैरत में डाल दिया.

दिलचस्प बात यह रही कि ऑस्ट्रेलिया ने इस टेस्ट को तेज़ गेंदबाज़ों के बजाय स्पिन गेंदबाज़ी के दम पर जीता और उनकी जीत के हीरो रहे नैथन लियोन.

नैथन लियोन ने अपनी शानदार फ़िरकी के दम पर भारत को दोनों पारियों में 200 रन का आंकड़ा तक नहीं छूने दिया. नैथन ने इस टेस्ट में 99 रन देकर 11 विकेट निकाले.

भारत इस टेस्ट को तो हारा ही साथ हीआईसीसी ने इंदौर के विकेट को ख़राब रेटिंग भी दे दी.

पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने आईसीसी के इस फैसले पर आपत्ति जताई और बाद में इस रेटिंग में सुधार कर दिया गया. पर घर में विपक्षी टीम के स्पिन गेंदबाज़ों के हाथों हुई इस हार को भारत सालों-साल याद रखेगा.

इस टेस्ट की एक बात और ख़ास रही कि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस निजी कारणों से घर लौट गए थे और टीम की कप्तानी स्टीव स्मिथ ने की थी.

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ दिल्ली में खेले गए दूसरे टेस्ट में भी गेंदबाज़ों का दबदबा रहा. चेतेश्वर पुजारा अपने सौवें टेस्ट की दूसरी पारी में विजयी चौका लगाकर भारत को टेस्ट जिताकर इसे यादगार बनाने में कामयाब रहे.

हालंकि पहली पारी में खाता खोलने में असमर्थ रहने वाले पुजारा ने दूसरी पारी में मुश्किल स्थितियों में विकेट पर डटे रहकर नाबाद 31 रन बनाए. पर हालात के हिसाब से यह रन हमेशा याद रखे जाएंगे.

सही मायनों में भारत की इस टेस्ट जीत ने फ़ाइनल में पहुंचाने में अहम योगदान दिया है.

इस टेस्ट को रविंद्र जडेजा के योगदान के लिए भी याद रखा जाएगा, उन्होंने पहली पारी में तीन और दूसरी में सात विकेट लेकर कुल 10 विकेट लेने का गौरव हासिल किया.

रविंद्र जडेजा को दूसरे छोर से साथी स्पिनर रविचंद्रन अश्विन का भी भरपूर सहयोग मिला. दोनों की जोड़ी ने भारत को जीत दिला दी.

भारत ने विराट कोहली की कप्तानी में ही वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के इस संस्करण में अपने अभियान की शुरुआत की. लेकिन बाद में छोटे प्रारूप की कप्तानी से हटाए जाने के बाद उन्होंने टेस्ट कप्तानी भी छोड़ दी थी. इसके बाद वह काफ़ी समय तक रंगत में खेलते नहीं दिखे.

वह इस सीरीज के अहमदाबाद में खेले गए आख़िरी टेस्ट में 186 रन बनाकर फ़ॉर्म में लौटे.

विराट कोहली ने इस साल मार्च में यह शतक लगाया, जो कि करीब साढ़े तीन साल बाद उनके बल्ले से निकला.

उन्होंने इससे पहले नवम्बर 2019 में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ ईडन गार्डन पर खेले गए टेस्ट में शतक जमाया था.

भारतीय अभियान की शुरुआत रही अच्छी

भारत ने इस चैंपियनशिप के लिए अपने अभियान की शुरुआत चार से आठ अगस्त 2021 तक इंग्लैंड के खिलाफ ट्रेंट ब्रिज पर टेस्ट खेलकर की थी.

यह टेस्ट ड्रा ज़रूर रहा था पर भारतीय टीम इंग्लैंड पर दबाव बनाने में सफल रही थी.

भारत ने यदि यह टेस्ट जीत लिया होता तो उसके अभियान की शुरुआत 2-2 से बराबरी के बजाय सिरीज जीत के साथ होती.

इस ड्रॉ टेस्ट को भारतीय तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए याद रखा जाएगा. उन्होंने इस टेस्ट में 110 रन देकर नौ विकेट लिए.

वैसे भी वो इस सिरीज़ में भारत के सफलतम गेंदबाज़ रहे. उन्होंने चार टेस्ट की सिरीज़ में 23 विकेट लिए. इस सिरीज़ के कुछ समय बाद बुमराह के चोटिल होने के कारण भारतीय अभियान को खासा झटका लगा.

इस सिरीज़ में रोहित शर्मा के बल्ले ने भी चमक बिखेरी और उन्होंने एक शतक समेत 364 रन बनाए.

भारत के दक्षिण अफ़्रीका दौरे से पहले ही विराट ने टेस्ट कप्तानी छोड़ दी थी और रोहित शर्मा को सभी फ़ॉर्मेट का कप्तान बना दिया गया था.

लेकिन उनके चोटिल होने पर केएल राहुल को यह ज़िम्मेदारी सौंपी गई. इस सिरीज़ में नए कोच राहुल द्रविड़ की भी परीक्षा होनी थी.

केएल राहुल ने अपने शतक के दम पर भारत को सेंचुरियन में खेला गया पहला टेस्ट जिता दिया. लेकिन भारत को बाक़ी दो टेस्ट हारने से सिरीज़ से हाथ धोना पड़ा.

दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ इस सिरीज़ में हार ने भारत के अभियान को तगड़ा झटका दे दिया.

पर भारतीय टीम न्यूजीलैंड से 1-0 से, श्रीलंका से 2-0 से और बांग्लादेश से 2-0 से सिरीज़ जीतकर अपने अभियान को पटरी पर लाने में सफल हो गई.

भारत ने इस चैंपियनशिप में 18 टेस्ट खेलकर 10 जीते, 5 हारे और 3 मैच ड्रॉ रहे. भारत ने 58.8 प्रतिशत अंक बनाए और वो ऑस्ट्रेलिया से पीछे रहकर दूसरे स्थान पर रहा.

अगर श्रीलंका, न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ उसके घर में 2-0 से सिरीज जीत लेती तो भारत फ़ाइनल की रेस से बाहर हो जाता.

पर न्यूजीलैंड ने दोनों टेस्ट जीतकर सिरीज़ ही नहीं जीती बल्कि भारत की फ़ाइनल की राह आसान कर दी.

टीम को फ़ाइनल तक पहुंचाने में दिग्गज़ बल्लेबाज़ों की चौकड़ी यानी पुजारा, विराट, रोहित शर्मा और केएल राहुल ने अहम भूमिका निभाई है.

पुजारा ने सबसे ज़्यादा 887 रन बनाए हैं. वहीं विराट ने 869, रोहित ने 700 और केएल राहुल ने 636 रन बनाए हैं.

पर गेंदबाज़ी में अश्विन का योगदान सबसे अहम रहा है. उन्होंने सबसे ज़्यादा 61 विकेट निकाले हैं. (bbc.com/hindi)

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