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केरल की महिला अधिकार कार्यकर्ता रेहाना फ़ातिमा को राहत देते हुए केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि हर संदर्भ में महिला के शरीर के नग्न ऊपरी हिस्से को सेक्स के नज़रिए से देखना अनुचित और भेदभावपूर्ण है.
रेहाना फ़ातिमा ने अपने बच्चों को अपने अर्धनग्न शरीर की पेंटिंग बनाने के लिए कहा था जिसके बाद उन पर पोक्सो एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था.
सोमवार को केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि रेहाना फ़ातिमा के कृत्य को सेक्स या सेक्स के लिए प्रेरित करना नहीं माना जाएगा.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने कहा है कि महिलाओं के पास अपने शरीर को लेकर निर्णय लेने का अधिकार बराबरी और निजता के मूल अधिकार का आधार है.
अदालत ने ये भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 ने जो अभिव्यक्ति की जो आज़ादी दी है ये उसके तहत भी आता है.
रेहाना फ़ातिमा ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें उनके नाबालिग बच्चे उनके अर्धनग्न शरीर की पेंटिंग बनाते हुए दिख रहे थे. इस वीडियो के बाद उन पर पोक्सो और आईटी एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था.
अदालत ने इस मामले में 33 वर्षीय फ़ातिमा को बरी करते हुए कहा है कि इस मासूम कलात्मक अभिव्यक्ति को बाल पोर्नोग्राफ़ी नहीं कहा जा सकता है. (bbc.com/hindi)