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उत्तराखंड के इस ज़िले में मुसलमानों को दुकान बंद करने की धमकी क्यों?
08-Jun-2023 7:43 PM
उत्तराखंड के इस ज़िले में मुसलमानों को दुकान बंद करने की धमकी क्यों?

ASIF ALI

-आसिफ़ अली

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में एक मुस्लिम युवक के एक नाबालिग़ हिंदू लड़की के साथ पाए जाने को लेकर विवाद थम नहीं रहा है.

इस लड़की के साथ एक हिंदू युवक भी पकड़ा गया था.

इस मामले में ज़िले के पुरोला तहसील में मुस्लिम समुदाय के व्यापारियों की दुकानों के बाहर, ‘दुकानें ख़ाली करने संबंधी’ पोस्टर लगा दिए गए थे जिसके बाद उनमें दहशत है.

उनकी दुकानें बंद है. यहाँ रहने वाले कई मुस्लिम परिवारों ने इसके बाद इलाक़ा छोड़ दिया है.

हालाँकि ज़िला पुलिस प्रशासन का दावा है कि इलाक़े में शांति और अमन चैन है.

लेकिन रात में पुलिस की गश्त जारी है.

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पुरोला कस्बे में एक मुस्लिम युवक उबेद और एक अन्य युवक जितेंद्र सैनी को स्थानीय लोगों ने 26 मई को नौवीं कक्षा की एक नाबालिग स्थानीय हिंदू लड़की के साथ पकड़ा था और फिर पुलिस के हवाले कर दिया था.

इसके बाद बाद दोनों युवकों के ख़िलाफ़ पॉक्सो एक्ट में मुक़दमा दर्ज कर उबेद और जितेंद्र को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया.

इस घटना के बाद से पुरोला में मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध विभिन्न संगठनों ने मोर्चा खोला.

हिंदू संगठनों का दावा है कि युवक लड़की को बहका रहे थे.

उत्तरकाशी ज़िले के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने बताया, “26 मई को थाना पुरोला में एक नाबालिग़ लड़की के अपहरण को लेकर मामला दर्ज किया गया. इस मामले में दो अभियुक्त थे. उनको गिरफ़्तार कर लिया गया. जिसके बाद कोर्ट ने उनको 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.”

मुसलमानों की दुकानों पर 15 जून, 2023 से पहले ख़ाली करने और इलाक़ा छोड़ कर जाने संबंधी पोस्टर भी दिखाई दिए.

पुरोला में मुस्लिम समुदाय के कारोबारियों की गारमेंट्स, फ़र्नीचर, फल, सब्ज़ी, और मोटर मैकेनिक की कई दुकानें हैं.

पुलिस का बयान
लेकिन मौजूदा स्थिति में मुस्लिम समुदाय के ज़्यादातर लोग डर के माहौल में इलाक़ा छोड़ चुके हैं.

इस घटना के विरोध में उत्तरकाशी ज़िले के पुरोला और बड़कोट में जुलूस के दौरान मुस्लिम व्यापारियों के प्रतिष्ठानों के बोर्ड और बैनर भी फाड़े गए.

बड़कोट में दुकानों पर क्रॉस के चिन्ह लगाए गए, जबकि पुरोला में पोस्टर चिपकाए गए.

'देवभूमि रक्षा अभियान' की तरफ़ से लगाए गए इन पोस्टरों पर लिखा है, “लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 15 जून 2023 को होने वाली महापंचायत से पूर्व अपनी दुकानें ख़ाली कर दें. यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता तो वह वक़्त पर निर्भर करेगा.”

अर्पण यदुवंशी ने यह स्वीकार किया है, “इस मामले के बाद ज़िले में काफ़ी प्रदर्शन व घटनाएँ हुई हैं. कुछ शरारती तत्वों ने दुकानों पर पोस्टर लगाए थे, जिसका संज्ञान लेते हुए पुलिस ने कुछ अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया है, जिसकी पुलिस जाँच कर रही है कि ये किसने किया है.”

“देवभूमि रक्षा अभियान” संगठन के किसी पदाधिकारी से काफ़ी कोशिशों के बाद भी कोई संपर्क नहीं हो सका.

पुलिस भी इन लोगों की तलाश कर रही है, लिहाजा कोई भी सार्वजनिक तौर पर सामने आने से बच रहा है.

अपनी पहचान गुप्त रखे जाने की शर्त पर एक मुस्लिम दुकानदार ने बीबीसी हिंदी को बताया, “जिस दिन यह वाक़या हुआ उस वक़्त मैं पुरोला बाज़ार स्थित अपनी दुकान पर था. जैसे ही मुझे पता चला कि मुस्लिम युवक और युवती से जुड़ा मामला पुलिस चौकी में आया है, तो मैं वहाँ गया.”

“उस समय पुलिस चौकी में क़रीब 200-250 लोग मौजूद थे. पुलिस चौकी में मुस्लिम समुदाय के लोग डर के कारण नहीं पहुँचे थे.”

उन्होंने बताया, “दर्ज मामले में लड़की को नाबालिग़ बताया गया है, मगर उसकी पहले से ही शादी हुई है, अगर लड़की पहले से ही शादीशुदा है तो नाबालिग़ कैसे हुई?”

इस दुकानदार का दावा है कि इस मामले में मुस्लिम युवक उबेद ख़ान के साथ अन्य दो युवक जितेंद्र सैनी और सोनू भी थे.

उनका कहना है कि उबेद ख़ान और जितेंद्र सैनी का नाम मामले में लिखाया गया है, लेकिन स्थानीय निवासी सोनू का नाम रिपोर्ट में नहीं है.

दुकानदार ने बीबीसी को बताया, “जब उबेद ख़ान की वजह से मुस्लिम समुदाय के लोगों को परेशान किया जा रहा है, तो जितेंद्र सैनी और सोनू से जुड़े समुदाय के लोगों को क्यों नहीं परेशान किया जा रहा है?”

इस दुकानदार के दावे के मुताबिक़ पुरोला में अब कुछ ही मुस्लिम परिवार रुके हुए हैं, लेकिन वे बहुत डरे हुए हैं और पुरोला के लोगों ने दुकान मालिक और मकान मालिक के साथ मीटिंग करके मुस्लिम लोगों से किराए का घर, दुकान ख़ाली कराने का फ़ैसला किया है.

एक अन्य मुस्लिम दुकानदार ने अपना नाम ना बताए जाने की शर्त पर बताया, "पुरोला में मौजूद मेरी दुकान के बोर्ड को भी फाड़ा गया. मेरी सामने वाली दुकान पर वापस जाने के पोस्टर लगाये गए, जिन पर लिखा था कि 15 तारीख़ से पहले दुकाने ख़ाली करके चले जाओ नहीं तो अंजाम अच्छा नहीं होगा.”

“जिसके बाद से हम और डर गए. अब हम ग़रीब आदमी हैं अब हम कहाँ जाएँ. उन लोगों का कहना है कि पुरोला में बाज़ार तो खुल रहा है, लेकिन वहाँ के लोग मुसलमानों की दुकानें नहीं खोलने दे रहे हैं.”

उन्होंने ये भी बताया, “अभी प्रशासन का भी ऐसा कोई जवाब नहीं आया कि अभी दुकाने खोलें या नहीं. प्रशासन ने भी हमसे कोई संपर्क नहीं किया है कि अभी आप लोग कहाँ हैं. हम लोग यह चाहते हैं कि पुरोला का माहौल पहले जैसा हो जाए और हम अपने घरों को लौट जाएँ."

पुरोला व्यापार मंडल ने क्षेत्रीय जनता में आक्रोश और सुरक्षा कारणों का हवाला देकर ख़ुद की ज़िम्मेदारी पर ही दुकानें खोलने की बात कह कर पल्ला झाड़ दिया.

पुरोला व्यापार मंडल अध्यक्ष बृजमोहन चौहान ने बताया, “अभी मुस्लिम लोगों में भय का माहौल है, जिसके कारण वो अभी दुकानें नहीं खोल पा रहे हैं. व्यापार मंडल ने उनकी दुकाने बंद नहीं कराई. उन्होंने भय के कारण ख़ुद अपनी दुकानें बंद की हैं और अपने घर चले गए हैं.”

बृजमोहन चौहान ने कहा, “मेरी तरफ़ से तो उन्हें दुकानें खोलने की इजाज़त है लेकिन जनता के आक्रोश को देखते हुए मैं इन लोगों को प्रोटेक्ट नहीं कर सकता. सुरक्षा तो इन मुस्लिम व्यापारियों को प्रशासन ही दे सकता है.”

हालाँकि उन्होंने यह ज़रूर कहा है कि पहले मुस्लिम व्यापारी अपना और अपने परिवार के सदस्यों का सत्यापन कराएँ, जिसके कुछ समय बाद वो दुकानें खोल सकते हैं.

मुसलमानों के विरोध प्रदर्शन में सक्रिय और भाजपा के पूर्व ज़िला अध्यक्ष अमीचंद शाह ने घटना के बारे में कहा, “ये किसी संगठन या पार्टी का आंदोलन नहीं, बल्कि जनता का आंदोलन है.”

अमीचंद दावा करते हैं, “जनता नहीं चाहती कि अब ये लोग यहाँ रहें, इन लोगों का एक आदमी यहाँ आता है उसके बाद अपने साथ ये 10 लोग ले आते हैं. इन लोगों का यहाँ कोई सत्यापन भी नहीं हुआ है, मालूम नहीं कौन कहाँ का है? ये लोग यहाँ राम और घनश्याम बनकर घूमते हैं.”

वहीं इलाक़े के मुस्लिम व्यापारियों ने अपनी दुकानों और सुरक्षा व शांति व्यवस्था को लेकर एसडीएम पुरोला को ज्ञापन दिया.

इन व्यापारियों का कहना है कि कुछ संदिग्ध अपराधी किस्म के लोगों के कारण सभी मुस्लिम व्यापारियों को दोषी ठहराना ठीक नहीं है.

इन मुस्लिम व्यापारियों ने कहा कि वे सालों साल से पुरोला में व्यवसाय कर रहे हैं.

पुरोला एसडीएम देवनंद शर्मा ने बताया, “मुस्लिम समुदाय के दो कारोबारियों ने मुझे ज्ञापन सौंपा है. जिसमें अपनी दुकानों को लेकर बात कही गई है.”

एसडीएम देवनंद शर्मा ने बताया, “हमने इस मामले में पुलिस से बात की है और पुलिस कार्रवाई कर रही है. वहीं हम इन कारोबारियों को भी सत्यापन कराने के लिए बोल रहे हैं. कई लोगों ने सत्यापन भी कराया है.”

विभिन्न हिंदू संगठन के लोगों ने मंगलवार छह जून को भी उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ और डुंडा में बाज़ार बंद रखा.

प्रदर्शनकारियों ने इलाक़े में बाहरी लोगों की जाँच पड़ताल की मांग रखी है.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उत्तरकाशी ज़िले के पुरोला शहर की स्थिति पर बीते सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ के ख़िलाफ़ काम कर रही है.

उन्होंने कहा, “शांति और सद्भाव को बाधित करने का प्रयास करने वाले किसी भी व्यक्ति से सख़्ती से निपटा जाएगा.”

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पुष्कर सिंह धामी का बयान
उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने दावा किया है कि इलाक़े में अमन चैन क़ायम है और क़ानून व्यवस्था पूरी तरह से लागू है.

उन्होंने बताया, "सुरक्षा की दृष्टि से मैं यह बताना चाहता हूँ कि हमने वहाँ पीएससी के साथ और अधिक फ़ोर्स को तैनात कर दी है. चेकिंग अभियान के साथ रात्रि गश्त भी हो रही है. किसी को भी भय का माहौल नहीं बनाने दिया जाएगा.”

लेकिन जब इलाक़े में अमन शांति है तो फिर मुस्लिम दुकानदार अपनी दुकानें क्यों नहीं खोल रहे हैं?

इस बारे में पूछे जाने पर अर्पण यदुवंशी ने बताया, “स्थानीय प्रशासन की मुस्लिम दुकानदारों के साथ पाँच बैठकें हो चुकी हैं. हमने उनसे कहा है कि आप लोग दुकान खोल लीजिए."

"उन्हें भरोसा देने के लिए हम लोगों ने कहा कि हर दुकान के सामने दो-दो पुलिस जवानों की तैनाती भी होगी. पीस कमेटी की मीटिंग हो चुकी है, अब दुकानदारों पर निर्भर है कि वो अपनी दुकान कब खोलते हैं.” (bbc.com/hindi)

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