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बॉम्बे और न्यूयॉर्क के ‘ह्यूमंस’ में तकरार बढ़ी
26-Sep-2023 12:10 PM
बॉम्बे और न्यूयॉर्क के ‘ह्यूमंस’ में तकरार बढ़ी

लोकप्रिय सोशल मीडिया ब्लॉग ‘ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क' के संस्थापकों ने उस ब्लॉग का भारतीय प्रारूप चलाने वालों की आलोचना की है.

  डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट

भारत में ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' नाम से यह ब्लॉग चलाया जाता है और उसके लाखों फॉलोअर्स हैं. ‘ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क' के संस्थापक ब्रैंडन स्टैन्टन ने भारत में चलाये जा रहे ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' पर गैरवाजिब तरीकों से उनकी कहानियों से कमाई करने का आरोप लगाते हुए आलोचना की है. स्टैन्टन ने 2010 में ‘ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क' शुरू किया था. इस ब्लॉग पर वह आम लोगों के जीवन की कहानियां और तस्वीरें साझा करते हैं.

शुरुआत के बहुत जल्द बाद ही यह ब्लॉग काफी सफल हो गया था. तीन साल बाद भारत की करिश्मा मेहता ने ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' शुरू किया. उसके इंस्टाग्राम पर 27 लाख फॉलोअर्स हैं. इसी महीने मेहता ने एक अन्य सोशल मीडिया अकाउंट ‘पीपल ऑफ इंडिया' पर कॉपीराइट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया. उनका कहना है कि ‘पीपल ऑफ इंडिया' के इंस्टाग्राम अकाउंट पर ‘बहुत सारी तस्वीरें और वीडियो लगाये गये हैं' जो उनके पेज से कॉपी किये गये हैं.

इस केस ने सोशल मीडिया पर काफी हलचल मचा दी थी और यह हलचल स्टैन्टन तक भी पहुंची. स्टैन्टन ने बीते शनिवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "अब तक मैं अपने काम का इस्तेमाल किये जाने को लेकर चुप रहा क्योंकि मुझे लगता है कि ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे महत्वपूर्ण कहानियां साझा करता है. हालांकि उन्होंने इस तरह से कमाई की है जैसा मैं ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क पर करने में असहज हूं. लेकिन जिस चीज के लिए मैंने आप लोगों को माफ किया, उसी चीज के लिए आप दूसरों पर मुकदमा नहीं कर सकते.”

कमाई का जरिया
मेहता पर तंज करते हुए स्टैन्टन ने कहा कि वह ‘ह्यूमंस ऑफ एम्सटर्डम' प्रोजेक्ट के प्रशंसक हैं क्योंकि "वे लोगों की कहानियों को अपने धंधे का चेहरा नहीं बनाते.” जवाब में ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' ने कहा है कि उनका ‘पीपल ऑफ इंडिया' पर मुकदमा सामग्री की चोरी को लेकर है.

एक्स पर एक बयान में ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' ने कहा, "शायद आप इस मामले में जल्दबाजी कर रहे हैं. आपको इस केस के बारे में पूरी जानकारी और सूचनाएं जुटानी चाहिए. ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे कहानियों की ताकत का पूरा समर्थन करता है लेकिन ऐसा ईमानदारी और नैतिकता से किया जाना चाहिए.”

उसके बाद ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे ने ट्वीट में यह भी लिखा कि वे स्टैन्टन द्वारा शुरू की गयी मुहिम के कायल हैं. उन्होंने लिखा, "हम ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क और ब्रैंडन के आभारी हैं कि उन्होंने कहानियों का यह आंदोलन शुरू किया. हमारा मुकदमा इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी और हमारी सामग्री को लेकर है, कहानियां कहने को लेकर नहीं. कोर्ट जाने से पहले हमने इस मामले को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने की कोशिश की थी लेकिन हम अपनी टीम की मेहनत की सुरक्षा करना चाहते हैं.”

क्या है ‘पीपल ऑफ इंडिया'?
उधर दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘पीपल ऑफ इंडिया' अकाउंट चलाने वालों को नोटिस जारी कर दिया है. अपने अकाउंट पर ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' ने वो सामग्री साझा की है जो उसके मुताबिक ‘पीपल ऑफ इंडिया' ने चुराई है. उन्होंने कई तस्वीरें साझा की हैं जो ज्यों की त्यों ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' पर प्रकाशित हो चुकी हैं.

‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' का आरोप है कि ‘पीपल ऑफ इंडिया' ने उनके बिजनस मॉडल को ही नहीं बल्कि कहानियों को भी ज्यों का ज्यों का त्यों चुरा लिया है. उनका आरोप है कि ‘पीपल ऑफ इंडिया' ने उन्हीं लोगों के इंटरव्यू किये जिनके इंटरव्यू ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' ने किये थे और उन्हें अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया.

‘पीपल ऑफ इंडिया' के इंस्टाग्राम पर 15 लाख फॉलोअर्स हैं. उनका एक्स अकाउंट इसी महीने शुरू हुआ है. इस प्लैटफॉर्म की फाउंडर के रूप में दृष्टि सक्सेना का नाम दर्ज है. यह प्लैटफॉर्म 2020-21 में शुरू किया गया था.

फरवरी 2021 में एक इंटरव्यू में सक्सेना ने कहा था, "अक्सर हर सफल व्यक्ति के पीछे एक प्रेरणा होती है जो उसके अंदर आगे बढ़ने का विश्वास जगाती है. लिखने की मेरी यात्रा भी इसी तरह शुरू हुई. एक बार एक चाय की दुकान पर मैं एक महिला से मिली थी. उसने अपने जीवन के अनुभव मुझे सुनाये. वह दिन था जब मैंने नियमित लिखना शुरू किया. तब से मैं जमीन के लोगों के अनुभव लिख रही हूं.” (dw.com)


 

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