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नयी दिल्ली, 27 सितंबर। कवि एवं गीतकार जावेद अख्तर का कहना है कि मौजूदा समय के गीत उतने प्रभावशाली नहीं होते जितने ये पहले होते थे, क्योंकि अब गीत फिल्म की कहानी और उसकी भावनाओं पर आधारित नहीं होते हैं।
अख्तर ने 'सिलसिला' (1981) के लिए 'ये कहां आ गए हम', '1942: ए लव स्टोरी' (1994) के लिए 'एक लड़की को देखा' और 'जोधा अकबर' (2008) के लिए 'जश्न-ए-बहारा' जैसे कुछ यादगार गीत लिखे हैं।
अख्तर (78) ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि लेखक अच्छे गीत नहीं लिख सकते, बात यह है कि उन्हें अच्छे गीत लिखने का अवसर नहीं मिल रहा है। ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से मौजूदा समय के गाने भुला दिए जाते हैं। इसके दो कारण हैं। पहला गानों की ताल और बीट बहुत अधिक हो गयी है। दूसरा ज्यादातर गानों का फिल्म की कहानी से कोई संबंध नहीं होता है। ’’
उन्होंने कहा कि चूंकि गाने अब कहानी का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए उनमें दुख, खुशी और दिल टूटने की व्यक्तिगत भावनाओं का अभाव होता है।
अख्तर ने कहा, ‘‘आजकल गाने सामान्य स्थिति में बजाए जाते हैं, ये पृष्ठभूमि में बजते है। पहले, गाने एक विशेष मानवीय भावना को दर्शाते थे और कहानी का हिस्सा होते थे। फिल्म का किरदार गाने के साथ अपने होंठों को हिलाता था इसलिए यह उसका हिस्सा बन जाता था। एक गाना फिल्म के एक दृश्य की तरह हुआ करता था।’’ (भाषा)