ताजा खबर

राजपथ-जनपथ : एक-दूजे के लिए
10-Sep-2024 3:14 PM
राजपथ-जनपथ :  एक-दूजे के लिए

एक-दूजे के लिए  

अंतागढ़ नगर पंचायत के अध्यक्ष राधेलाल नाग सोमवार को अपनी गाड़ी समेत डूबते-डूबते बचे। नाग अपने ड्राइवर के साथ बोलेरो गाड़ी से पखांजूर की तरफ आ रहे थे, तब माहला नदी पार करते समय फंस गए, और फिर दो सौ फीट आगे बहकर एक पेड़ के सहारे बच पाए थे।  इसी बीच बाढ़ का पानी तेज हो रहा था, जान जोखिम में थी तब सीएम विष्णुदेव साय के निर्देश पर तत्काल रेस्क्यू टीम वहां पहुंची, और ग्रामीणों की मदद से सकुशल निकल पाए। 

राधेलाल नाग कांकेर लोकसभा सीट से भाजपा टिकट के मजबूत दावेदार थे, लेकिन अंतिम क्षणों में पार्टी ने उनकी जगह भोजराज नाग को प्रत्याशी बना दिया। भोजराज नाग कड़े मुकाबले में चुनाव जीतने में कामयाब रहे। राधेलाल टिकट नहीं मिलने पर थोड़े नाराज चल रहे थे। बाद में उन्होंने भोजराज नाग के लिए काम भी किया। अब जब राधेलाल मझधार में फंसे थे, तो भोजराज नाग और पूर्व मंत्री विक्रम उसेंडी समेत तमाम नेता वहां पहुंचकर उन्हें निकलवाने में अहम भूमिका निभाई। जान बची तो राधेलाल भावुक हो गए, और सीएम से लेकर भोजराज नाग और विक्रम उसेंडी के प्रति आभार जताया।

मोर्चे पर एक बैच के अफसर

नक्सलियों के खिलाफ चल रही निर्णायक लड़ाई में आईपीएस अफसरों का एक बैच से होना भी इस लड़ाई को अंजाम की ओर ले जा रहा है। यह एक संयोग है  कि छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक नक्सलग्रस्त जिलों में से एक बस्तर से लेकर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के माओवाद प्रभावित जिलों में एक बैच के अफसर लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं। 2014 बैच के अफसर अपने-अपने जिले को माओवाद मुक्त कराने की मुहिम को तेजी के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। बस्तर एसपी शलभ सिन्हा, गढ़चिरौली एसपी नीलोत्पल, बालाघाट एसपी नागेन्द्र सिंह और डिडौंरी एसपी वाहिनी सिंह एक ही बैच के आईपीएस हैं । माहभर पूर्व गोंदिया में पदस्थ रहे एसपी निखिल पिंगले भी इसी बैच के हैं। 

बताते हैं कि इन सभी अफसरों की आपस में खूब जमती है। बालाघाट और गढ़चिरौली एसपी नक्सल लड़ाई के अगुवा बनकर अपने राज्य को नक्सल समस्या से मुक्त कराने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। वैसे बस्तर एसपी शलभ सिन्हा भी नक्सलियों को घेरने की रणनीति बनाने में माहिर माने जाते हैं। कांकेर एसपी रहे उन्होंने दक्षिण कांकेर के दर्शन नामक खूंखार नक्सली को अपनी सटीक रणनीति से ढ़ेर कर दिया था। बालाघाट एसपी नागेन्द्र के पास हॉकफोर्स का प्रभार भी है। डिंडौरी को नया ठिकाना बनाने की फिराक में बैठे नक्सलियों को एसपी वाहिनी सिंह से कड़ी चुनौती मिल रही है। श्रीमती सिंह बालाघाट एसपी नागेन्द्र की धर्मपत्नी है। एक ही बैच के अफसरों की आपस में अच्छे तालमेल होने से नक्सलियों के लिए बस्तर से लेकर बालाघाट रेंज तक संगठन तैयार करना आसान नहीं रह गया।

जय महाकाल

निगम मंडलों में नियुक्ति को लेकर सरकार और संगठन पिन ड्राप साइलेंस के मोड में है। दोनों ही इस समय 50 लाख के सदस्यता अभियान में व्यस्त है। जिसे अक्टूबर पूरा करना है। वैसे पार्टी खुद तय कर चुकी है कि दक्षिण उपचुनाव और निकाय चुनाव तक कुछ नहीं। इसके बावजूद पार्टी  के अति महत्वाकांक्षी नेता गाहे बगाहे खबरें उड़ा रहे हैं। और उसमें अपने अपने नाम बड़े फंड वाले निगम मंडल के खुद तय कर रहे हैं । इनमें अधिकांश वे ही है जो 15 वर्षों के दौरान भी पदाधिकारी रहे हैं।

 संगठन नेतृत्व ऐसे लोगों को चिन्हित भी कर रही है। तो कार्यकर्ता कह रहे हैं कि बांट दो फिर उन्हीं लोगों को। एक ऐसे ही कार्यकर्ता ने व्हाट्सएप में लिखा -हर रोज अखबारों में नाम पढऩे के बाद ज्वालामुखी भभक रही है। लावा आक्रोश का रूप ले रहा है। यदि प्रकाशित और  वायरल नामों में से एक की भी नियुक्ति होती है तो परिणाम भुगतने शीर्ष नेतृत्व को तैयार रहना होगा.. जय महाकाल

स्मार्ट सिटी में कतार सिस्टम

रायपुर और बिलासपुर में स्मार्ट परियोजनाओं पर कई काम एक जैसे हुए हैं, जैसे इंटिग्रेटेड ट्रैफिक कंट्रोल कमांड सिस्टम। ये दोनों कंट्रोल रूम शहरों का कितना ट्रैफिक कंट्रोल कर पाते हैं यह अलग मुद्दा है लेकिन ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की निगरानी कैमरे जरूर सख्ती से रख रहे हैं। कैमरे ने पकड़ा और कंट्रोल रूम से जुर्माने की रसीद कटकर सीधे वाहन स्वामी के दर्ज मोबाइल नंबर पर पहुंच जाता है। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय ने कुछ वर्ष पहले ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना निर्धारित किया था। जैसे रेड सिग्नल पार करने पर एक हजार से 5 हजार रुपये, गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करने 10 हजार रुपये तक का जुर्माना है। आपातकालीन वाहनों जैसे एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड आदि को रास्ता नहीं देने पर भी अब जुर्माना बढ़ाकर 10 हजार रुपया कर दिया गया है। ऑनलाइन चालान मोबाइल फोन पर आता है और सूचित किया जाता है कि ट्रैफिक के दफ्तर में आकर पैसे जमा कर दिए जाएं। अब हो यह रहा है कि रायपुर, बिलासपुर दोनों ही जगहों पर जुर्माना पटाने वालों की लंबी लाइन लगी रहती है। हद तो यह है कि चेक या वॉलेट से भी पेनाल्टी स्वीकार नहीं की जाती। रकम नगद ली जा रही है। जब इंटिग्रेटेड सिस्टम लागू किया गया तो यह भी बताया गया था कि जुर्माने की राशि ऑनलाइन भी जमा की जाएगी। इसके लिए एक एनआईसी ने एक पोर्टल भी डेवलप कर रखा है। पर भेजे जाने वाले चालान में इसकी जानकारी नहीं दी जाती।  नोटिस में यह लिखा होता है कि चालान नहीं जमा करने पर प्रकरण एक सप्ताह बाद कोर्ट में भेज दिया जाएगा। मगर, अधिकांश मामले अभी नहीं भेजे जा रहे हैं। ऐसा हुआ तो कोर्ट में मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी, क्योंकि हर दिन दर्जनों ई चालान जनरेट हो रहे हैं। जो लोग जुर्माना नहीं पटा रहे हैं उनकी भी संख्या हजारों में है। ट्रैफिक महकमे ने सीसीटीवी कैमरे के जरिये ट्रैफिक का उल्लंघन पकडऩे और ऑनलाइन चालान भेजने की व्यवस्था तो कर ली, मगर चालान भरने के लिए अब भी कतार लगवाई जा रही है।

वंदेभारत में मालगाड़ी का इंजन

पिछले दिनों दिल्ली से वाराणसी जाने वाली वंदेभारत एक्सप्रेस ब्रेकडाउन होने के कारण कई घंटे तक इटावा में खड़ी रही। इसके बाद मालगाड़ी का इंजन लगाकर उसे लूप लाइन में लाया गया, तब ट्रैक खाली हुआ और पीछे से आ रही शताब्दी, नीलांचल एक्सप्रेस आदि ट्रेनों को आगे रवाना किया जा सका। कानपुर से एक स्पेशल ट्रेन भेजी गई जिसमें वंदेभारत के यात्री प्रयागराज और वाराणसी भेजे गए। वंदेभारत का किराया इसलिये ज्यादा है क्योंकि इसका सफर आराम दायक है, बहुत कम स्टॉपेज हैं और रफ्तार सबसे ज्यादा है। समय बद्धता तो इतनी कि वंदेभारत के लिए कई बार मालगाड़ी भी रोक दी जाती है। मगर इस दिन वंदेभारत के यात्रियों को इटावा के बाद का सफर पैसेंजर और लोकल ट्रेनों में जैसे-तैसे पूरी करनी पड़ी। रेलवे का नियम ऐसे मामलों में सबके लिए एक बराबर है। तकनीकी समस्या के कारण ट्रेन को देर होती है तो यात्री के पैसे नहीं लौटाये जाते। चाहे वह पैसेंजर ट्रेन हो गया महंगी वंदेभारत। 

([email protected])

अन्य पोस्ट

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news