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बदलापुर मामले के आरोपी के शव को दफनाने के लिए पुलिस को निर्जन स्थान की पहचान करने का निर्देश
27-Sep-2024 7:54 PM
बदलापुर मामले के आरोपी के शव को दफनाने के लिए पुलिस को निर्जन स्थान की पहचान करने का निर्देश

मुंबई, 27 सितंबर। बम्बई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पुलिस को बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे के शव को दफनाने के लिए निर्जन स्थान की पहचान करने का निर्देश दिया। आरोपी इस सप्ताह की शुरुआत में कथित तौर पर पुलिस की जवाबी गोलीबारी में मारा गया था।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति एम. एम. सथाये की पीठ ने कहा कि एक बार स्थान की पहचान हो जाने पर पुलिस शिंदे के परिवार के सदस्यों को इसकी सूचना देगी, ताकि शव को दफनाया जा सके।

उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि शिंदे के समुदाय में शवों को दफनाने की कोई प्रथा नहीं है तथा इसे उनके माता-पिता की इच्छा बताया।

शिंदे के पिता ने अपने बेटे के शव को दफनाने के लिए जगह की व्यवस्था किये जाने का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को उच्च न्यायालय का रुख किया।

पिता ने दावा किया कि वह शिंदे के शव को दफनाने की जगह नहीं तलाश पाये।

सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने अदालत को बताया कि बदलापुर और पड़ोसी इलाकों के सभी कब्रिस्तानों ने शिंदे के शव को दफनाने से इनकार कर दिया है और इसका विरोध किया है।

वेनेगांवकर ने अदालत को बताया कि पुलिस शव को दफनाने के लिए निर्जन स्थान की पहचान करने के लिए कदम उठाएगी।

उन्होंने कहा कि पुलिस यह भी सुनिश्चित करेगी कि कोई अप्रिय घटना न घटे।

वेनेगांवकर ने कहा, ‘‘परिवार को इस बारे में सूचित किया जाएगा। लेकिन उन्हें इसे कोई कार्यक्रम बनाने की जरूरत नहीं है। परिवार के सदस्यों को पुलिसर्मियों के साथ (दफनाने की जगह पर) ले जाया जाएगा।’’

पीठ ने इस बयान को स्वीकार कर लिया और मामले की सुनवाई 30 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।

वेनेगांवकर ने दावा किया कि पुलिस ने पूछताछ की, तो पता चला कि शिंदे के समुदाय में दफनाने की कोई प्रथा नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी जांच में पाया गया है कि दफनाने की ऐसी कोई परंपरा नहीं है। परिवार के वकील का कहना है कि वे केवल इसलिए दफना रहे हैं, ताकि भविष्य में शव को निकालने का विकल्प बना रहे। उनके समुदाय के सभी वरिष्ठ सदस्यों ने खुद कहा है कि ऐसी कोई प्रथा नहीं है।’’

पीठ ने हालांकि कहा कि समुदाय यह तय नहीं करेगा कि माता-पिता क्या चाहते हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘किसी को भी फैसला लेने का अधिकार नहीं है। यह माता-पिता को तय करना है।’’

पिता के वकील अमित कटरनवारे ने अदालत को बताया कि बृहस्पतिवार को परिवार ने एक स्थान की पहचान कर ली थी और अंबरनाथ नगर परिषद से अनुमति भी मांगी थी।

कटरनवारे ने कहा कि हालांकि, अंबरनाथ नगर परिषद के सीईओ ने अनुमति नहीं दी। उन्होंने आरोप लगाया कि परिवार को धमकियां मिल रही हैं।

अदालत ने कहा कि वे पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जो इस पर गौर करेगी।

वेनेगांवकर ने कहा कि पुलिस परिवार और उनके आवास पर नजर रख रही है तथा यह सुनिश्चित करेगी कि कानून-व्यवस्था की कोई समस्या उत्पन्न न हो या कोई अप्रिय घटना न घटे।

पिछले महीने ठाणे जिले के बदलापुर शहर के एक स्कूल में दो लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में 24 वर्षीय शिंदे को गिरफ्तार किया गया था।

इस सप्ताह की शुरुआत में, उसकी दूसरी पत्नी की शिकायत पर उसके खिलाफ दर्ज एक मामले के सिलसिले में उसे तलोजा जेल से बदलापुर ले जाया जा रहा था, तभी कथित तौर पर गोलीबारी हुई, जिसमें उसकी मौत हो गई।

यह घटना सोमवार शाम ठाणे में मुंब्रा बाईपास के पास हुई, जब शिंदे ने कथित तौर पर एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन ली। पुलिस की कथित जवाबी गोलीबारी में वह मारा गया।

परिवार ने बृहस्पतिवार को दावा किया था कि शिंदे ने दाह संस्कार के बजाय दफनाए जाने की इच्छा जताई थी। शिंदे का शव ठाणे के कलवा इलाके में एक नगर निकाय के अस्पताल के शवगृह में रखा गया है। (भाषा)

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