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विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म '12वीं फेल' उच्चतम न्यायालय में दिखाई गई
27-Sep-2024 8:13 PM
विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म '12वीं फेल' उच्चतम न्यायालय में दिखाई गई

नयी दिल्ली, 27 सितंबर। फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म '12वीं फेल' उच्चतम न्यायालय में दिखाई गई। इस दौरान भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और अन्य न्यायाधीश मौजूद थे।

बुधवार को फिल्म की स्क्रीनिंग हुई जिसमें प्रधान न्यायाधीश, न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के 600 से अधिक अधिकारी और उनके परिवार के सदस्य शामिल हुए।

इसके बाद न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और विधु विनोद चोपड़ा के साथ-साथ फिल्म के मुख्य कलाकार विक्रांत मैसी और मेधा शंकर के बीच बातचीत हुई।

फिल्म की टीम के अलावा, आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार शर्मा और उनकी पत्नी, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) की अधिकारी श्रद्धा जोशी भी इस बातचीत का हिस्सा थीं। यह फिल्म मनोज कुमार शर्मा के जीवन पर आधारित है)

चंद्रचूड़ ने कहा, "मुझे विश्वास है कि हमारे सहयोगियों के परिवार का हर सदस्य अपने बेटों, बेटियों, दोस्तों और मार्गदर्शकों को प्रोत्साहित करने के लिए वास्तव में प्रेरित होगा ताकि वे देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। ऐसी फिल्में हमें अपने आस-पास के लोगों के लिए हर दिन कुछ बेहतर करने को प्रेरित करती हैं।"

यह फिल्म (12वीं फेल) अक्टूबर 2023 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई और इसकी कहानी के साथ-साथ अभिनेताओं के अभिनय की भी प्रशंसा की गई।

प्रधान न्यायाधीश ने वास्तविक जीवन की कहानी को पर्दे पर उतारने के, विधु विनोद चोपड़ा के तरीके की प्रशंसा की।

चंद्रचूड़ ने कहा, "विक्रांत और मेधा दोनों ने शानदार काम किया है। उन्होंने अपने किरदारों के जीवन और परिवेश को पूरी तरह से आत्मसात किया है और फिल्म करते समय इसे अपने अस्तित्व का हिस्सा बना लिया है। मैं यह महसूस कर सकता था। फिल्म में ऐसे क्षण भी आए जब मुझे लगा कि मुझे रूमाल की जरूरत है क्योंकि मेरी आंखें नम थीं।’’

उन्होंने कहा, "यह फिल्म उम्मीद का एक मजबूत संदेश देती है। उच्चतम न्यायालय के सभी कर्मचारियों और मेरे सहकर्मियों की ओर से मैं '12वीं फेल' की टीम को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने हमारे साथ शाम बिताने के लिए समय निकाला।"

चोपड़ा ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश को फिल्म दिखाने का मौका पाकर वह सम्मानित महसूस कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, "यह मेरे जीवन की सबसे सुखद शामों में से एक थी, क्योंकि मैं एक ऐसे व्यक्ति (न्यायमूर्ति चंद्रचूड़) के बगल में बैठकर फिल्म देख रहा था, जो फिल्म में मैंने जो कुछ भी कहने की कोशिश की थी, उसे समझ रहे थे।" (भाषा)

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