विशेष रिपोर्ट
500 मिलें लग चुकीं, नई पर रोक लगाने मिलर्स का आग्रह
‘छत्तीसगढ़’ की विशेष रिपोर्ट
रायपुर, 27 सितंबर (छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। प्रदेश में पिछले पांच बरस में करीब पांच सौ नई राइस मिलें खुलीं हैं। हाल यह है कि कई मिलर्स को 60 दिन मिलिंग के लायक धान नहीं मिल पा रहा है। इस पर राइस मिल एसोसिएशन ने सरकार से नई राइस मिल को अनुमति नहीं देने का आग्रह किया है। साथ ही राइस मिल खोलने के लिए सब्सिडी खत्म करने का आग्रह किया है।
प्रदेश में राइस मिलों की संख्या 27 सौ से अधिक हो चुकी है। इसमें से तो पांच सौ राइस मिल पिछले पांच साल में खुलीं हैं। भूपेश सरकार ने राइस मिल उद्योगों को प्रोत्साहित किया था। पिछड़े क्षेत्रों में मिल लगाने पर करीब 60 लाख तक सब्सिडी दे रही है।
सरकार की नई नीति के बाद अब और मिल लगाने के लिए आवेदन आ रहे हैं। इस राइस मिल एसोसिएशन ने चिंता जताई है, और उद्योग सचिव से मिलकर सब्सिडी खत्म करने का आग्रह किया है।
राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि राइस मिलर्स अब परेशान हो रहे हैं। नई मिलें बड़ी संख्या में लग चुकी हैं। इसकी वजह से कई मिलर्स को 60 दिन मिल चलाने लायक धान नहीं मिल पा रहा है। इन सबको देखते हुए सरकार से आग्रह किया गया है कि मिल लगाने के सरकारी सब्सिडी खत्म किया जाए, अथवा नई मिल लगाने की अनुमति नहीं दी जाए।
दूसरी तरफ, उद्योग विभाग के एक अफसर ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि अभी सी और डी कैटेगरी वाले इलाकों में मिल लगाने पर 60 लाख तक सब्सिडी दी जाती है। हालांकि अभी नई मिल लगाने पर रोक, या फिर सब्सिडी खत्म करने कोई प्रस्ताव नहीं है। फिर भी मिलर्स की मांग पर विचार किया जा सकता है।
प्रदेश में इस बार 1 करोड़ 45 लाख मीट्रिक टन धान खरीद हुई थी। उस अनुपात में अभी 2 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव होना बाकी है। जबकि मिलर्स ने धान के उठाव के एवज में अभी 24 लाख टन चावल जमा नहीं कराए हैं। इसके लिए उन्हें नोटिस जारी किया जा रहा है।
रोक हटी, 35 लाख टन चावल-ब्रोकन निर्यात होता है...
केन्द्र सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक को हटा दिया है। साथ ही उसना चावल के निर्यात पर ड्यूटी 20 से घटाकर 10 फीसदी कर दी है। छत्तीसगढ़ से हर साल करीब 35 लाख टन चावल-ब्रोकन का निर्यात होता है।
सरकार के इस फैसले से राईस मिलरों ने खुशी जताई है। पिछले तीन साल से अरवा चावल के निर्यात पर बैन लगी हुई थी। अब बैन को हटाने से निर्यात पहले की तरह सामान्य हो पाएगा।