ताजा खबर
हाईकोर्ट ने अफसरों की लापरवाही निंदा की
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 10 अक्टूबर। हाईकोर्ट ने आबकारी एक्ट के तहत गिरफ्तार किए गए बंदी श्रवण सूर्यवंशी की मौत के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य के कर्मचारियों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और शासन को मृतक के परिजनों को एक लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है।
सीपत पुलिस ने 18 जनवरी 2024 को ग्राम मोहरा निवासी श्रवण सूर्यवंशी (उर्फ सरवन तामरे, उम्र 35) को कच्ची महुआ शराब रखने के आरोप में हिरासत में लिया था। उसके पास से 6 लीटर महुआ शराब जब्त की गई थी। मेडिकल परीक्षण के बाद, उसे उसी दिन केंद्रीय जेल बिलासपुर भेजा गया। 21 जनवरी को उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे जेल से सिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 22 जनवरी की सुबह उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मर्ग कायम कर शव का पोस्टमार्टम कराया, जिसमें सिर की चोट और सदमे से मृत्यु होने की पुष्टि हुई।
मृतक की पत्नी लहार बाई और नाबालिग बच्चों ने अधिवक्ता राजीव दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में मुआवजे की मांग की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की खंडपीठ ने मामले की न्यायिक जांच के बाद पाया कि श्रवण की मौत सिर की चोट की जटिलता के कारण हुई थी, जो हिरासत में उसे लगी थी। न्यायालय ने इसे राज्य के कर्मचारियों की लापरवाही मानते हुए मृतक के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश दिया।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि राज्य के कर्मचारियों की लापरवाही से बंदी की असामयिक मौत हुई, जिसके कारण मृतक की विधवा और बच्चियां संपत्ति, स्नेह और सुरक्षा से वंचित हो गईं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कृत्यों पर रोक लगाने के लिए राज्य को अपने अधिकारियों पर निवारक प्रभाव डालने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।