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कोरोना लॉकडाउनः नया बिज़नेस शुरू करने मंदी बेहतर समय है?
25-Jun-2020 10:45 AM
कोरोना लॉकडाउनः नया बिज़नेस शुरू करने मंदी बेहतर समय है?

कुछ बहुत अच्छी, कंपनियों की शुरुआत बुरे दौर में ही हुई थीं

पैडरैग बेल्टन
बिज़नस रिपोर्टर

जनरल मोटर्स, बर्गर किंग, सीएनएन, उबर और एयरबीएनबी में आख़िर कौन सी बात है जो एक जैसी है?

इन सब की स्थापना ऐसे वक़्त में हुई थी, जब कारोबार और अर्थव्यवस्था के लिहाज़ से बुरा समय चल रहा था.

जनरल मोटर्स की स्थापना साल 1908 में हुई थी, जब अमरीकी अर्थव्यवस्था साल 1907 के आर्थिक संकट के बाद उथल-पुथल के दौर से गुज़र रही थी.

इस बीच बर्गर किंग ने साल 1953 में पहली बार पैटी लॉन्च की. ये वो समय था, जब अमरीकी अर्थव्यवस्था एक बार फिर से मंदी का सामना कर रही थी.


साल 1980 में सीएनएन ने जब अपनी ब्रॉडकास्ट सर्विस शुरू की, तब भी अमरीका में महंगाई दर तक़रीबन 15 फ़ीसद की दर तक पहुंच चुकी थी.

ऊबर और एयरबीएनबी ने जब अपना कारोबार शुरू किया तो पूरी दुनिया 2007-09 के वित्तीय संकट से निकलने की कोशिश कर रही थी.
मुश्किल आर्थिक हालात
अमरीका के वॉशिंगटन स्थित बाइपार्टिज़न पॉलिसी सेंटर के फ़ेलो डैन स्ट्रैंगलर के अनुसार, ये वो उदाहरण हैं जो बताते हैं कि कुछ बहुत अच्छी, लंबे समय तक चलने वाली कंपनियों की शुरुआत बुरे दौर में ही हुई थीं.

उनका कहना है कि मुश्किल आर्थिक हालात ने उन्हें आने वाले सालों के लिए बेहद क़ाबिल बना दिया था.

वो कहते हैं, "अगर आप मंदी में काम शुरू करते हैं तो कंपनी को कामयाब बनाने के लिए आपको एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाना होगा. आप ऐसे समय में ये कोशिश कर रहे होते हैं, जब आपको आसानी से पैसे का इंतज़ाम नहीं होता. जब बाज़ार में ग्राहक नहीं हों तो आप ग्राहक जुटाने की कोशिश कर रहे होते हैं."

हम यक़ीनन अर्थव्यवस्था और कारोबार के नज़रिये से एक बुरे वक़्त से गुज़र रहे हैं. इसके लिए ज़िम्मेदार कोरोना संकट और दुनिया भर में लगा लॉकडाउन है.

इतिहास गवाह है....

विश्व बैंक ने ये अनुमान लगाया है कि साल 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 फ़ीसद की गिरावट आएगी. द्वितीय विश्व युद्ध और साल 1946 के बाद दुनिया की अर्थव्यवस्था ने ऐसा संकट नहीं देखा था.

अमरीका की अर्थव्यवस्था पहले से मंदी का सामना कर रही है और बैंक ऑफ़ इंग्लैंड का कहना है कि ब्रिटेन साल 1706 के बाद सबसे बड़ी आर्थिक गिरावट का गवाह बनने जा रहा है. इसका मतलब ये भी हुआ कि पिछले 314 सालों में ब्रिटेन ने ऐसे ख़राब आर्थिक हालात नहीं देखे थे.

लेकिन जैसा कि इतिहास बताता है, कामयाब कंपनियों की नींव बुरे वक़्त में ही रखी गई थी.

ऐसे में सवाल उठता है कि साल 2020 का उद्यमी वर्ग क्या ऐसी कंपनियों का नींव रख सकेगा जो आने वाले वक़्त में घर-घर में अपनी पहुंच बना सकेगा?

कोरोना संकट

कोविड-19 की महामारी के कारण या इसके बावजूद यक़ीनन कई नए कारोबार शुरू हो रहे हैं.

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि अकेले अमरीका में नई कंपनियों के गठन के लिए सिर्फ़ मई के आख़िरी हफ़्ते में 67,160 आवेदन फ़ाइल किए गए.

साल 2019 के इन्हीं सात दिनों की अवधि में फ़ाइल किए गए आवेदनों से ये आंकड़े 21 फ़ीसद ज़्यादा हैं.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया सैंटा क्रूज़ में अर्थव्यवस्था के प्रोफ़ेसर रॉबर्ट फेयरली कहते हैं कि ये चलन कुछ हद तक इस वजह से भी बढ़ रहा है कि क्योंकि नौकरियों की तंगी है और बहुत से लोग इस वजह से कारोबार शुरू कर रहे हैं.

रॉबर्ट फेयरली इसे आवश्यकता से जन्मी उद्यमवृति कहते हैं, "अगर किसी को सैलेरी वाली नौकरी नहीं मिल रही है तो अपनी कंपनी शुरू के लिए मोटीवेट होने की एक वजह ये भी होती है."

आपदा में अवसर

मुमकिन है कि कारोबारियों का एक तबक़ा कुछ समय से अपने बिज़नेस आइडिया पर काम कर रहा हो.

प्रोफ़ेसर फेयरली कहते हैं, "लॉकडाउन की वजह से लोगों को सोचने के लिए वक़्त मिला है. हो सकता है कि बिज़ी शेड्यूल के समय भी उन्होंने इस बारे में सोचा हो लेकिन उन्हें लगा होगा कि चलो इस पर काम करके देखते हैं."

कुछ अन्य स्टार्ट-अप्स ने ये समझा कि कोरोना संकट ने उन्हें कारोबार का अवसर दिया है और इससे महामारी को मात देने में वे मदद कर सकते हैं.

पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स (पीपीई किट्स) बनाने वाले कारोबारियों के साथ ये बात ख़ास तौर पर खरी उतरती है.

पिछले कुछ महीनों में तो कई कंपनियां आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए वजूद में आई हैं.

नए कारोबार

मैथ्यू कैम्पबेल-हिल और उनकी पत्नी लीडिया ने 'एरोसॉल शील्ड' का अपना बिज़नेस अप्रैल में शुरू किया था.

उनका ये उत्पाद मेडिकल स्टाफ़ को मरीज़ों के कफ़ से बचाने के लिए है.



यूनिवर्सिटी ऑफ़ बर्मिंघम के क्लिनिकल साइंस इंस्टीट्यूट में सीनियर फेलो मैथ्यू कहते हैं, "कारोबार शुरू करने के छह दिन के भीतर ही हमें बड़ी मात्रा में ऑर्डर मिलने लगे थे."

ये शील्ड बनाने के लिए मैथ्यू और लीडिया ने सेना और दूसरी सहायता एजेंसियों के लिए टेंट बनाने वाली एक कंपनी के साथ कुछ दिनों तक काम किया था.

ब्रिटेन में कोरोना संकट के दौर में 'हिडेन स्माइल' नाम से एक फ़ेस मास्क लॉन्च किया गया. बिज़नेसमैन नील कॉटन की कंपनी के इस फ़ेस मास्क में कॉटन के दो सतहों के बीच मुड़ा हुआ पेपर फ़िल्टर लगाया गया है.

नील कॉटन बताते हैं, "आपको बार-बार फ़िल्टर बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ती है क्योंकि न तो ये मुंह से निकलने वाले भाप से और न ही बाहर की हवा से इसका ज़्यादा संपर्क होता है."

लॉकडाउन

कोरोना संकट के दौर में कुछ और भी उद्योग हैं जिनके कारोबार में तेज़ उछाल देखने में आया. इनमें घरेलू सुविधाओं और डिलेवरी सेक्टर में सेवाएं मुहैया कराने वाले स्टार्ट-अप्स शुरू हुए.

साल 2018 में अमरीका में पेंट का कारोबार शुरू करने वाली निकोल गिबंस का धंधा लॉकडाउन के दौरान चमक गया.

वे कहती हैं, "आम तौर पर सप्ताहांत में लोग खाने-पीने का कार्यक्रम बनाते हैं न कि घरों को पेंट करने का. लेकिन अब वे कुछ करना चाहते हैं और उन्हें घर सजाने का बुख़ार चढ़ गया है."

लंदन की कूरियर कंपनी गोफ्र का बिज़नेस पिछले दो महीने में सबसे व्यस्त रहा. कंपनी का कहना है कि लॉकडाउन के दौर में लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग का चस्का लग गया है.

वे लोग जो अपना बिज़नेस शुरू करने की सोच रहे हैं, मैनेजमेंट कंसल्टेंसी फ़र्म मैकिंज़े के पार्टनर मार्कस बर्गर डे लियोन उन्हें सलाह देते हैं कि फ़ैसला करने से पहले सोचने के लिए पूरा वक्त लें. और अगर आप बिज़नेस शुरू करने का फ़ैसला लेते हैं तो फुर्ती से काम करें.(www.bbc.com)

 

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