सामान्य ज्ञान
ईबोला वायरस विश्व का सबसे घातक वायरस है औऱ अब तक इसका कोई इलाज और टीका नहीं बना है। इसके लक्षण दस्त, उल्टी और रक्त स्राव है और यह संक्रमित खून, मल या पसीने के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। यह यौन संपर्क या दूषित लाशों के असुरक्षित निपटान के जरिए भी फैलता है।
यह वायरस पहली बार वर्ष 1976 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगों में पाया गया था। तब इसने 280 लोगों की जान ली थी। यह इस हद तक घातक है कि यह संक्रमित लोगों में से 25 से 90 फीसदी रोगियों की जान ले लेता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 18 जून 2014 को पश्चिम अफ्रीका में घातक ईबोला वायरस से मरने वालों की संख्या 337 पहुंचने की घोषणा की है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जून 2014 के दूसरे सप्ताह में 14 मौतें हुई और इस इलाके में 47 नए मामले सामने आए हैं।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में गुएना को सबसे बुरी तरह से प्रभावित देश बताया गया है। इस बीमारी से यहां अब तक 264 मौतें हो चुकी हैं। इसमें सीएरा लियोन और लाइबेरिया में क्रमश: 49 और 24 मौतें होने की बात भी कही गई। ये तीनों देश फरवरी 2014 से इस बीमारी के प्रकोप को झेल रहे हैं।