सामान्य ज्ञान
राजसमन्द झील राजस्थान, भारत, राज्य के राजसमन्द जिले में स्थित एक मानवनिर्मित झील (कृत्रिम झील) है। इसका निर्माण महाराणा राजसिंह जी ने गोमती नदी पर 1662 ई. में गोमती, केलवा तथा ताली नदियों पर बांध बनाकर किया गया है। राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक़्क़ाशी देखकर स्वत: ही देलवाडा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है। झील के किनारे की सीढिय़ों को हर तरफ से गिनने पर योग 9 ही होता है, इसलिए इसे नौचौकी कहा जाता हैं।
सोलहवीं शताब्दी में तत्कालीन महाराणा राजसिंह ने भीषण अकाल, पेयजल की आपूर्ति, नगर के सौन्दर्यकरण एवं रोजगार को ध्यान में रखकर राजसमन्द झील का निर्माण कराया था। चार मील लम्बी, डेढ मील चौड़ी एवं 45 फुट गहरी तथा पौने चार हजार एमसीएफटी जल भराव क्षमता वाली यह झील बाद में स्थानीय लोगों की जीवन रेखा बन गई। लेकिन पिछले तीन दशक में मार्बल खनन एवं प्रसंस्करण उद्योग के कचरे ने झील के जलागम क्षेत्र को अवरूद्ध कर दिया। नतीजतन यह जलाशय लगभग सूख गया। इस स्थिति में कुछ बुद्धिजीवियों ने झील की सफाई एवं गोमती नदी के जल प्रवाह में अवरोध हटाने का बीड़ा उठाया, जो अभियान बनकर सामने आया और सामूहिक प्रयास से झील में फिर से पानी आया तथा नदी में भी जल बहने लगा। इसके लिये अभियान के सूत्रधार दिनेश श्रीमाली को केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने दिल्ली में राष्ट्रीय भूमि जल संवद्र्धन पुरस्कार से सम्मानित किया। अब इस झील को राष्ट्रीय जल संरक्षण योजना में शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।