सामान्य ज्ञान

क्या है ट्रांस फैट
25-Jun-2020 11:55 AM
क्या है ट्रांस फैट

ट्रांस फैट अथवा ट्रांस फैटी एसिड (टीएफए) सबसे खतरनाक किस्म के वसा हैं जिसके हमारे शरीर पर अनेक प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। प्रमुख टीएफए में एलाईडिक एसिड जो प्रमुख रूप से आंशिक तौर पर हाइड्रोजनीकृत खाद्य तेल में पाया जाता है, और वेसैनिक एसिड जो मांस/ डेयरी उत्पादों में पाया जाता है।

आम तौर से इस्तेमाल में आये जाने वाले वनस्पति तेलों जैसे सोयाबीन, सूरजमुखी, कुसुम, सरसों, ओलिव, राइसब्रेन और तिल का तेल सीआईएस मोनो और पोलीअनसैचुरैटड फैटी एसिड का स्रोत है और इनमें सैचुरैटड फैटी एसिड की मात्रा कम है। आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल भी लंबे अरसे से हमारे भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा बने हुए हैं। अनेक अध्ययनों से पता चला है कि हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेलों से निकाले गए ट्रांस फैट का हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल हमारे भोजन में ट्रांस फैट्स का प्रमुख स्रोत हैं। डेयरी वसा और मांस के उत्पादों में मौजूद टीएफए की कम मात्रा उतनी नुकसानदायक नहीं है। मानव शरीर के लिए आहार संबंधी कार्यक्रम में कुल ऊर्जा ग्रहण करने के अलावा आहार में की वसा की मात्रा और गुणवत्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

आहार संबंधी वसा में सैचुरैटड, मोनोअनसैचुरैटड और पोलीअनसैचुरैटड फैटी एसिड हो सकते हैं। इसके अलावा अनसैचुरैटड फैटी एसिड दोहरे बोडों में हाइड्रोजन अणुओं की स्थिति पर निर्भर सीआईएस अथवा ट्रांस विन्यास में मौजूद हो सकता है। सीआईएस विन्यास के मामले में हाइड्रोजन के दोनों अणु कार्बन श्रृंखला के समान भाग पर मौजूद हैं, जिसके परिणामस्वरूप उलझी हुई संरचना तैयार होती है, जिसके कारण तेलों में और भी अधिक तरलता के गुण होते हैं। हालांकि, ट्रांस विन्यास में हाइड्रोजन अणु विपरीत हिस्से में होते हैं और इसके परिणामस्वरूप यह श्रृंखला अधिकाधिक दृढ़ता के साथ अपेक्षाकृत सीधी होती है। संबंधित ट्रांस आईसोमरों में सीआईएस आईसोमरों के बदलाव के कारण गलनांक में वृद्धि होती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से जिस तेल अथवा वसा का गलनांक जितना कम हो, वह उतना ही अच्छा है। एलाइडिक अम्ल ओलेइक अम्ल का संरचनात्मक आइसोमर है। जबकि ओलेइक अम्ल का गलनांक 16.3 डिग्री सेल्सियस है, एलाइडिक अम्ल का गलनांक 43.7 डिग्री सेल्सियस और वैक्सेनिक अम्ल का गलनांड 44 डिग्री सेंटीग्रेड है। ट्रांस अम्ल अपने सैचुरैटड समरूपों की तुलना में और भी नुकसानदायक है।  

किसी चीज को फ्राई करने की प्रक्रिया जिससे ट्रांस फैटी  बनते हैं और इनका निर्माण खाने की वस्तु को फ्राई करने के तापमान, फ्राई करने की अवधि, वसा/ तेलों को कितनी बार गर्म किया गया/ दोबारा गर्म करने से जुड़ा है।

वर्ष 2003 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सिफारिश की थी कि औद्योगिक दृष्टि से तैयार हाइड्रोजनीकृत तेलों और वसा से ग्रहण किए गए ट्रांस फैट कुल ऊर्जा का 1 प्रतिशत से कम होना चाहिए। हालांकि भारत के आहार संबंधी दिशा निर्देशों में कहा गया है कि वसा ग्रहण करने की मात्रा कुल ऊर्जा का 2 प्रतिशत से कम होनी चाहिए।
 

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