विचार / लेख
का हो मोदीजी महाराज, आपको सिक्किम, लद्दाख सब याद रहता है, हमारे बिहारे को भुला जाते हैं ?
क्या हुआ, सुशासन बाबू ? माथा इतना गर्म क्यों है ? आप तो हमारे एन.डी.ए के सबसे मजबूत सहयोगी हैं।
तो ओली जी का कुछ करते क्यों नहीं ? पहले उन्होंने बिहारियों पर गोली चलवाई। हमने बर्दाश्त कर लिया। अब वो बिहार को डुबा मारने पर तुल गए हैं। आपको पता हईए है कि हर बरसात में नेपाल से आने वाले पानी से हमारा आधा बिहार डूबता है। इस साल तो ओली जी नदी के आसपास की ज़मीन अपनी बताकर बांध की मरम्मत भी नहीं करने दे रहे। हमारे इंजीनियर और ठीकेदार सब को कूट-कूट के खदेड़ दे रहे हैं। बताईये, अब प्रलये नू आएगा बिहार में ?
तो इसमें समस्या क्या है ? वो नेपाल का पानी बिहार में घुसाते हैं। आप बिहार का पानी नेपाल में घुसा दीजिए। हिसाब बराबर।
ऐ महाराज, ई तक्षशिला वाला भूगोल मत पढाईए न हमको। बिहार में कोई पानी-वानी नहीं पैदा होता। इधर का पानी नेपाल के पहाड़ से उतरता है। दुनिया भर में आपकी डिप्लोमेसी का डंका बज रहा है। दो बित्ते के नेपाल के सामने आप हरदी-गुरदी काहे बोल गए हैं ?
अब क्या कहें नीतीश जी, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी पूरी तरह जिनपिंग के प्रभाव में है। हमारी कुछ सुन ही नहीं रहे हैं ओली जी।
तो सीधे जिनपिंगवा को ही काहे नहीं धरते हैं ? ससुरा को अहमदाबाद में झूला कवनो मंगनी में झुलाए थे का ? उसको फोन करके ओली जी के दिमाग का स्क्रू कसवाईए। और ऊ नार्थ कोरिया वाला किमवा जिंदा है कि मर गया ? उससे भी एक धमकी दिलवा सकते हैं। साफ कहे देते हैं कि अबकी बिहार को डुबाए तो बिहार में एन.डी.ए को भी डूबल ही समझिए!
जिनपिंग और किम ट्रंप की नहीं सुनते तो हमारी क्या सुनेंगे ? ऐसा कीजिए कि इस बार बिहार को डुब जाने दीजिए। अगले साल पूरे बिहार-नेपाल बॉर्डर पर हम पत्थरों की दस फीट ऊंची दीवार खड़ी कर देंगे। हमेशा के लिए बाढ़ का झंझट ही ख़त्म।
धन्य हैं प्रभु, लेकिन इतना सारा पत्थर कहां से उठावा कर लाईयेगा ? गलवान से कि नाथूला से?
अरे नीतीश जी, बाढ़ और बर्बादी के बाद अक्टूबर के बिहार चुनाव में प्रदेश भर के लोग जो ढेला-पत्थर फेकेंगे आपकी चुनाव सभाओं में, वो किस दिन काम आएगा ? कम से कम आपदा में अवसर खोजना तो सीख लीजिए हमसे!