सामान्य ज्ञान
गंगा नदी डॉल्फिन और सिंधु नदी डॉल्फिन मीठे पानी की डॉल्फिन की दो प्रजातियां हैं। ये भारत, बांग्लादेश, नेपाल तथा पाकिस्तान में पाई जाती हैं।
गंगा नदी डॉल्फिन सभी देशों के नदियों के जल, मुख्यत: गंगा नदी में तथा सिंधु नदी डॉल्फिन, पाकिस्तान के सिंधु नदी के जल में पाई जाती है। केंद्र सरकार ने 05 अक्टूबर 2009 को गंगा डोल्फिन को भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है। गंगा नदी में पाई जाने वाली गंगा डोल्फिन एक नेत्रहीन जलीय जीव है जिसकी सूंघने की शक्ति अत्यंत तीव्र होती है। विलुप्त प्राय इस जीव की वर्तमान में भारत में 2000 से भी कम संख्या रह गई है जिसका मुख्य कारण गंगा का बढ़ता प्रदूषण, बांधों का निर्माण एवं शिकार है। इनका शिकार मुख्यत: तेल के लिए किया जाता है जिसे अन्य मछलियों को पकडऩे के लिए चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस समय उत्तर प्रदेश के नरोरा और बिहार के पटना साहिब के बहुत थोड़े से क्षेत्र में गंगा डोल्फिन बचीं हैं।
बिहार और उत्तर प्रदेश में इसे सोंस जबकि आसामी भाषा में 'जिहू' के नाम से जाना जाता है। यह इकोलोकेशन (प्रतिध्वनि निर्धारण) और सूंघने की अपार क्षमताओं से अपना शिकार और भोजन तलाशती है। यह मांसाहारी जलीय जीव है। यह प्राचीन जीव करीब 10 करोड़ साल से भारत में मौजूद है। यह मछली नहीं दरअसल एक स्तनधारी जीव है। मादा के औसत लम्बाई नर डोल्फिन से अधिक होती है। इसकी औसत आयु 28 वर्ष रिकार्ड की गयी है।
केंद्र सरकार ने 1972 के भारतीय वन्य जीव संरक्षण कानून के दायरे में भी गंगा डोल्फिन को शामिल किया था, लेकिन अंतत: राष्ट्रीय जलीव जीव घोषित करने से वन्य जी संरक्षण कानून के दायरे में स्वत: आ गया। 1996 में ही इंटर्नेशनल यूनियन ऑफ़ कंजर्वेशन ऑफ़ नेचर भी इन डॉल्फिनों को तो विलुप्त प्राय जीव घोषित कर चुका था।