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नई दिल्ली, 26 जून (वार्ता)। गांवों में आबादी वाले क्षेत्र की ड्रोन से मैपिंग कर भूमि का मालिकाना हक तय करने की केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना से देश में ड्रोन विनिर्माण और ड्रोन ऑपरेटरों की मांग बढ़ेगी जो लंबे समय के स्वदेशी ड्रोन उद्योग को तैयार करने में बेहद मददगार होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल अप्रैल में पंचायती राज दिवस के अवसर पर स्वामित्व योजना की शुरुआत की थी। इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदार भारतीय सर्वेक्षण विभाग को सौंपी गई है जो भूमि की मैपिंग कर राज्य सरकारों को डाटा सौंप देगा। इसी डाटा के आधार पर स्थानीय सरकारें भूमि का स्वामित्व तय करेंगी।
भारत के महासर्वेक्षक गिरीश कुमार ने उद्योग महासंघ फिक्की द्वारा आज आयोजित एक वेबिनार में कहा कि इस योजना में देश के छह लाख से अधिक गांवों के आबादी वाले क्षेत्रों की पूरी मैपिंग की जानी है। इसके लिए बड़ी संख्या में ड्रोनों की आवश्यकता होगी
उन्होंने कहा कि भारतीय ड्रोन विनिर्माण उद्योग अभी शुरुआती चरण में है। कोई भी स्टार्टअप कंपनी इतनी बड़ी संख्या में आपूर्ति करने में सक्षम नहीं होगी इसलिए एक बड़े ऑर्डर की निविदा जारी करने की बजाय छोटे-छोटे ऑर्डरों की निविदायें जारी की जाएगी ताकि स्टार्टअप को मौका मिल सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें गुणवत्ता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि योजना के तहत मैपिंग का काम तकरीबन पांच साल तक चलने का अनुमान है। इस दौरान बड़ी संख्या में ड्रोन पायलटों की भी जरूरत होगी। न सिर्फ ऑपरेटरों को ड्रोन चलाने की जानकारी होनी चाहिए बल्कि योजना की जरूरत के हिसाब से उन्हें भूमि के मैपिंग की भी बुनियादी जानकारी होनी चाहिए। देश में ऐसा कोई संस्थान नहीं है जहां इस तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा हो। इसे देखते हुए भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने स्वयं प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तैयार करने और प्रशिक्षण देने का फैसला किया है।
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) कुमार ने बताया कि महाराष्ट्र में प्रयोग के आधार पर इस योजना की शुरुआत की गई थी। इसके बाद कुछ अन्य राज्यों में भी प्रयोग हो चुका है। इसमें त्रुटि की संभावना 10 सेंटीमीटर से भी कम होगी।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय में संयुक्त सचिव अंबर दुबे ने कहा कि देश में ड्रोन के इस्तेमाल की अपार संभावनाएं हैं। मौजूदा सरकार हर प्रस्ताव पर खुले मन से विचार कर जल्दी फैसला लेने में विश्वास रखती है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में टिड्डी दलों से निपटने के लिए राज्य सरकार ने ड्रोन से रसायन के छिड़काव की अनुमति मांगी थी। इस पर एक दिन से भी कम समय में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने स्वीकृति दी थी।
श्री दुबे ने कहा कि मैपिंग के अलावा कृषि, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, कानून व्यवस्था बनाये रखने और बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों में ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है। सरकार आने वाले समय में पायलट की ²श्य सीमा से बाहर ड्रोन उड़ाने और रात में ड्रोन उड़ाने की अनुमति देने पर भी विचार कर रही है।