सामान्य ज्ञान
राई-सरसों की खेती विश्व के लगभग 30 देशों में की जाती है। विश्व में राई-सरसों का उत्पादन लगभग 448.55 लाख टन होता है तथा इसकी खेती लगभग 277.40 लाख हैक्टर में की जाती है। राई का प्रयोग भारत में रसोई घरों में सदियों से किया जा रहा है।
राई की की गिनती सरसों की जाति में होती है। इसका दाना छोटा और काला होता है। राई का प्रमुख गुण पाचक होता है। पेट के कीड़े इसका पानी पीने से मर जाते है। हैजे में राई को पीस कर पेट पर लेप करने से उदरशूल व मरोड़ में आराम मिलता है। इसकी पुल्टिस बना कर दर्द वाली जगह पर सेंक किया जाए तो तुरंत राहत मिलती है। राई के लेप से सूजन कम होती है।
गर्म पानी में राई डालने से राई फूल जाती है। और उसके गुण पानी में पहुंच जाते हैं। इसे पीस कर शहद में मिलाकर सूंघने से जुकाम में आराम मिलता है। मिर्गी-मूच्र्छा में मात्र राई पीस कर सूंघाने से फायदा होता है।
राई के तेल में बारीक नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया रोग का नाश होता है। राई के अधिक प्रयोग से उल्टी हो सकती है अत: राई का सीमित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।