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उन्नाव में पत्रकार की हत्या, मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस
27-Jun-2020 1:18 PM
उन्नाव में पत्रकार की हत्या, मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस

लखनऊ, 27 जून । पशुधन विभाग में टेंडर के नाम पर हुई 9.72 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में एसटीएफ ने दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक आरोपी लखनऊ में सुनार है और दूसरा गोरखपुर का रहने वाला है। धोखाधड़ी से आई मोटी रकम के एक हिस्से को फर्जी कंपनी के जरिए ठिकाने लगाया था। उधर, मामले की विवेचना कर रही लखनऊ पुलिस ने मुख्य आरोपित आशीष राय, पत्रकार अनिल राय, राज्य मंत्री के प्रधान सचिव समेत सातों आरोपियों को पूछताछ के लिए दो दिनों की रिमांड पर लिया है।

गिरफ्तार आरोपितों में से सुनार सचिन वर्मा गोमती नगर के विभव खंड का रहने वाला है। सचिन की गोमती नगर के पत्रकारपुरम स्थित गोमती प्लाजा में एसएन ज्वैलर्स के नाम से दुकान है। एसटीएफ के मुताबिक सचिन मुख्य आरोपित आशीष राय को कई वर्षों से जानता है। आशीष ने वर्ष 2018 में सचिन को बताया था कि धोखाधड़ी की बड़ी रकम आनी है। इसके लिए रजिस्टर्ड फर्म हो और उसके नाम से बैंक खाते की जरूरत है।

आशीष के कहने पर सचिन ने अपने परिचित गोरखपुर के त्रिपुरेश पांडेय उर्फ रिंकू को अपनी दुकान के उपर एक कमरा किराये पर दे दिया। फिर परिचित सीए जीतेंद्र पटेल की मदद से आरके ट्रेडर्स नाम से फर्म बनाई और उसका एक बैंक खाता इलाहाबाद बैंक की विवेक खंड शाखा में खुलवा दिया। बाद में आशीष राय ने इसी फर्म के खाते में 2018 में 26 सितंबर, छह व 16 अक्टूबर को 72 लाख 12 हजार रुपये जमा करवाए। यह रकम मंजीम सिंह भाटिया के फर्म के खाते से आरटीजीएस के जरिए जमा हुई थी।

बाद में सचिन व त्रिपुरेश ने अपने हिस्से के 20 फीसदी लेकर बाकी रकम निकालकर आशीष राय को दे दी। सचिन के मुताबिक आरके ट्रेडर्स के खाते में से 13 लाख रुपये उसने अपनी फर्म नारायण ज्वैलर्स के खाते में ट्रांसफर करवाकर निकाल लिए। सचिन ने बताया कि उसने वर्ष 2014 में अपने नाम से विनय खंड के पते पर आशीष के लिए टाटा सफारी स्टार्म गाड़ी निकलवाई थी। उसने बताया कि आशीष अक्सर अपनी काली कमाई को उसके जरिए सफेद करता था। सचिन व त्रिपुरेश के पास से धोखाधड़ी में इस्तेमाल हुई चेकबुक, आरके ट्रेडर्स पत्रकारपुरम का लेटर पैड और दो मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।

डीजीपी मुख्यलाय ने एसटीएफ से इस मामले में संलिप्त पाए गए दोनों आईपीएस अफसरों के खिलाफ मिले साक्ष्यों और उनकी भूमिका के बारे में रिपोर्ट मांगी है। इन दोनों ही अफसरों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जा सकती है। इनमें से एक आईपीएस अफसर रिटायर हो चुके हैं। जबकि दूसरे अभी भी सेवा में हैं।(navbharat times)

 

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