सामान्य ज्ञान
टॉप अप हेल्थ इंश्योरेंस मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ ऐड ऑन पॉलिसी की तरह ली जा सकती है। टॉप अप प्लान में एक डिडक्टेबल लिमिट होती है जो इंश्योर्ड पर्सन खरीदारी के वक्त चुन सकता है। क्लेम की सूरत में डिडक्टेबल के बराबर की रकम इंश्योर्ड पर्सन या मौजूदा पॉलिसी से आती है। बाकी रकम इंश्योरेंस कंपनी भरती है।
इंश्योरेंस कंपनियां डिडक्टेबल और सम एश्योर्ड के लिए मिनिमम और मैक्सिमम अमाउंट के ऑप्शंस की रेंज के बारे में बताती हैं। यह रकम इतनी ज्यादा नहीं होनी चाहिए कि उसे इमर्जेंसी में इंश्योर्ड पर्सन (या बेसिक हेल्थ पॉलिसी) आसानी से चुका पाने की हालत में नहीं हो। प्रीमियम इंश्योर्ड की उम्र, सम एश्योर्ड और डिडक्टेबल पर डिपेंड करती है। डिडक्टेबल जितना ज्यादा होता है, प्रीमियम उतना ही कम होता है। पॉलिसी लेने से पहले कस्टमर को देख लेना चाहिए कि उसमें डे केयर प्रोसीजर, पहले से मौजूद बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद में होने वाला खर्च शामिल हो।
प्रपोजल फॉर्म इंश्योर्ड पर्सन को भरना होता है। उनको पर्सनल डिटेल, चुना गया प्लान, हेल्थ डिटेल और मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में बताना होता है। मिनिमम उम्र आमतौर पर 18 साल होती है, लेकिन कुछ फ्लोटर पॉलिसी में 3 महीने तक के बच्चे को भी कवर मिलता है। मेडिकल टेस्ट की जरूरत भी इंश्योरेंस कंपनियों के हिसाब से चेंज होती रहती है। कुछ टॉप अप प्लांस सिंगल क्लेम अमाउंट डिडक्टेबल से ज्यादा होने पर एक्टिवेट हो जाते हैं। सुपर टॉप अप प्लांस में तय समय अवधि में एग्रीगेट क्लेम का फायदा मिलता है।